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Ayush Badhai

Abstract

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Ayush Badhai

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प्रज्ञा !!

प्रज्ञा !!

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कहीं सुना था, हर एक क्लास में एक चश्मिश टॉपर, एक जोड़ी कपल,एक एक हीरो, हिरोइन,एक विलन,एक पढ़ाकू, दो तीन चुगलखोर , एक टीचर का/की चमचा , दो तीन पक्का बाला दोस्त और चार पांच बैकबैंचर होते ही हैं। पर प्रज्ञा की क्लास में तो सारे ऑलराउंडर ही थे सारे काम में 1st चाहे वो टॉपर हो, पढ़ाकू और बैकबेंचर हो। प्रज्ञा इन सब रोल में एक दम फीट होती थी। 

  

तो हुआ यूँ कि बहुत साल पहले, अरे रुको जरा सबर करो इतना बी आगे जाने की जरूरत नही हैं,बस कॉविड से एक साल पहले की बात है। एक प्राइवेट कॉलेज में एडमिशन ले ली प्रज्ञा ने । क्लासेस बगेरा भी अच्छे से चलने लगा। प्रज्ञा जो की लगभग हर क्लासटेस्ट और टैस्ट में क्लास में टॉपर होती थी । उसकी अच्छी अच्छी फ्रेंड्स भी थे और एक बो भी था । 


प्रज्ञा एकदम खुश और बिंदास स्वभाव की थी। हर वक्त छोटी बच्ची की जैसे होती रहेती थी आपने फ्रेंड्स लोगो के साथ। हर टाइम बिंदास और सीरियस टाइम में सीरियस। जब क्लास के टीचर अपना अपना अडॉप्शन के बच्चों से बात करते थे तो वो सर को पापा बोलती, और बाकियों को भाई बहन एक दम फैमिली टाइप जैसा। और एक काम प्रज्ञा हमेशा क्लास में करती थी सर लोगों से हमेशा मस्ती। क्लास के अंदर आपनी वॉटर (पानी) बोतल को दूल्हा दुल्हन बनाकर खेलती थी। सर, मैडम लोग को साथ साथ बकिओ को भी कभी आगर गाना सुनना होता तो वह लोग क्लास में प्रज्ञा और उसकी फ्रेंड के साथ साथ जो की चमिश टॉपर है वो भी गाते थे। ओर जभी हॉली डे होता था जो घर जाने की खुशी तो पूछो ही मत, ऐसा लगता था मानो जैसे की सारा साल को वो दो तीन छूटी के दिन में ही जी लेगी।

प्रज्ञा को बस ये प्रोब्लम रहती थी कि कॉलेज होस्टल का मॉर्निग वाले नस्ते से हर रोज बस उपमा ही देते थे। ओर श्याम वाले स्नैक से भी। पर लंच और डिनर से इतना कुछ बेर नहीं थी। 


हर क्लास में जो एक एक होते हे, प्रज्ञा क्लास में क्लास के टॉपर के साथ साथ क्लास की हिरोइन, पढ़ाकू ,बैकबांचर थी। 


एग्जाम के टाइम प्रज्ञा हमेशा सब से कहती फिरती थी की में कुछ भी प्रिपरेशन नहीं की हूं, अभी तक कुछ भी पढ़ाई स्टार्ट नहीं की हूं। अगर कोई कुछ डाउट पूछ ले तो जबाव हमेशा रेडी रहता था की मेरेको ये टॉपिक बिल्कुल आता नहीं है, मगर सबको ये पता है की क्लास की टॉपर लोग हमेशा ये बात बोलते रहते है और जी जान लगाकर पड़ते है चाहे वो रात की ३ ही क्यूं नहीं, जो की रिजल्ट के टाइम दिखता है। 


क्लास में जभी कोई सवाल आगर सार पूछ ले तो जबाव भर भर के देती । और जवाब भी ऐसी देती की एक सवाल में दो तीन उत्तर फ्री। सवाल का हर एंगल से गहराई से जवाब देते थी। 

  

प्रज्ञा अपना पर्सनल लाइफ को ले कर भी बहत सेंसेटिव थी। जिस टाइम क्लास में थोड़ा सा टाइम मिल जाता था अपना दोस्तों के साथ इसारो इसारो में बाथ किया करती थी। एक साल ऐसे हैं हसी मजाक में बीत गई। मगर दूसरे साल इंपोर्टेंट था क्यू की इस साल बोर्ड एग्जाम आने बाला जो था। 


दूसरे साल की पढ़ाई लगभग डेढ़ साल तक हुआ क्यू की कोविड का पीरियड जो था । कोविड टाइम में सारा आधे ही सिलेबस खतम हुआ था की नहीं सारा स्कूल, कॉलेज बंद होगया और सारा काम घर से ही होने लगा , लॉकडोन के वजह से। प्रज्ञा के साथ साथ सारे बच्चों को इतनी खुशी हुई की पूछो ही मत। पर ये कहते ही न की ज़रूरत से ज्यादा हजम नही होती है। कोविड के टाइम सारे इतने बोरिंग हुए की सायद छूटी के नाम से ही चीड़ होने लगे।

  

सारा पढ़ाई ऑनलाइन हुआ । पर गेम में मजा तब आया जब पता चला की एग्जाम कैंसल हो गया, कोविद के बढ़ते सिचुएशन के वजह से। सारा दो साल जो पढ़ाई किए थे सारा बेकार गया , और तभी हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट से न्यूज आई की रिजल्ट जो आएगा वो 10th के मार्क के हिसाब से दिया जाएगा। थोड़ा मूड तो अप हुआ मगर चले जो होता है अच्छे के लिए होता हैं। 

   

रिजल्ट के आने के लिए भी बहत टाइम लगा इतने में वो घर में थी ओर शायाद सी ए के प्रेपरेशन में लग गई। फ्यूचर भी इंपोर्टेंट है। 


बहत दिनो के बीत जाने के बाद रिजल्ट का दिन आया । दूसरो को रिजल्ट कैसा हुआ होगा, पास होंगे की नही इसकी टेंशन होती है मगर प्रज्ञा को इसकी साथ साथ और एक टेंशन थीं । की अब सारे रिलेटिव लोग बार बार फोन कॉल , मैसेज करेंगे!! की बेटा तू पास हुआ की नहीं, हुआ तो कितना नंबर लाया, अब फ्यूचर का क्या प्लान हे बगेरा बगेरा। 


जब सारा 12th लेवल कॉलेज का पढ़ाई खत्म होगई तो प्रज्ञा को बहत सारे दोस्त भी बन गए थे जो की सायद लाइफ टाइम तक रहेंगे। जैसे की आराधना,उदिता,आशा,मनसा,तृप्ति, नरेश,आयुष, मिश्रा , सिपुल, सौरभ,ओर भी बहत सारे साइंस और किमर्स के। 

तो 12th में अच्छे से पास करने के बाद प्रज्ञा फेर एक नई यूनिवर्स की तलास में निकल गई आपनी हायर स्टडीज कंटिन्यू करने के लिए अपना सारा यादों और सारे खुशी के पल को समेटे हुए।



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