एक दोस्त ऐसा भी!!!
एक दोस्त ऐसा भी!!!
हमारे घर आया है हमारे घर का सबसे स्पेशल सदस्य : जब में 10th में था और गांव के पास वाले स्कूल में पढ़ा करता था में और मेरा बहन पापाजी ( बड़े पापा) के स्कूल बस से स्कूल गया करते थे, क्यों की पापाजी उसी स्कूल की बस को चलाते थे तो हम लोगों का सीट उस बस में फिक्स था। एक दिन जब छूटी हुई और बहन के साथ जब में बस में घुसा तो देखा की हमसे पहले कोई आकर हमारे सीट पकड़े बैठा हुआ था कोई ,और एक दम राजाओं के जैसे फैल के मानो सीट नहीं सिंहासन है, ओर किसकी मजाल हो जो बह बैठ जाए। अब यह शहनशाह हमारे साथ हमारे घर आया। और आते ही सबका फेवरेट बन गया । मम्मी पापा ने ना मेरा और मेरा बहन का नाम तो तुक्के से रखा था। मतलब ऐसे ही हमारे नाम का कोई स्टोरी नहीं है । लेकिन इस special person का नाम इसके आने से पहले डिसाइड था जर्मन शेफर्ड और लारबर्ड डॉग के एक ऑथेंटिक मिक्स ब्रेड।
रात का आसमान जैसा कला, जिसके गर्दन में था एक सफेद चांद जैसा छोटा गुच्छा, सकल से एकदम भौंदू ओर आंखों से एक नंबर नसेढ़ी, गले में लाल पट्टा और खून में फूट फूट कर आवारागर्दी। Maddy हमारा कुत्ता..............
किसके कुत्ता को अगर कुत्ता कह दो तो लोक जज्बाती हो जाते है। की ये कुत्ता नहीं है । पर सच कहूं न यार वो भी कुत्ता ही है। ग्रहण कर लो क्यों की उसका इंसान ना होना ही उसे हमसे बेहतर बनाता है। जो maddy को पापाजी उनके एक दोस्त के फार्म से लाए थे। पर आते ही न मतलब इसने गली में अपना फूल टसन जमा लिया । क्यों की गली की इकलौती कुतिया को पटा लिया । तो गली के बाकी कुत्ते इसे बड़े खुनस खाते थे। पर हमारा घर का तौर तरीके maddy जल्दी सीख लिया जैसे की जुराब नहीं चबाना है , ओर मम्मी जी से बच के रहना है। मम्मी जी को घर के सुप्रीम कमांडर बुलाते थे।
पर maddy की ना एक आदत था की जभी नहीं सुधरी : हमारे घर का गेट खुला देखते ही maddy का इंस्टैंड आर्गन उसे कहते थे की जा maddy जा........ ओर maddy हमेशा अपना दिल का सुनता था । तो वो निकल पड़ता था पूरे गाँव की दौर पे फेर उसके पीछे पीछे उसे ढूंढने आते थे पापाजी और हर बार ना इतना अतरंगी हालत में मिलता maddy । एक तो ना गांव में maddy ही एक कुत्ता था जो की कपड़ा पहनता था तो बाकी कुत्ते इसके हुस्न और अदाओं से जरा सा जलते थे। तो कभी यह जनाब आपन कपड़ा फड़वा के आते थे तो कभी दूसरों कुत्ते से भिड़ कर आते थे। एक बार तो यह अपना जाकेट को खम्भे में लटका कर आए थे , तुम खुद ही सोचो यार खम्भे में कैसे कोई अटकता है। पर maddy है तो सब मुमकिन है। पर एंड ऑफ द डे maddy ना हमेशा मिल ही जाता था।
एक बार ना maddy तीन-चार दिन हो गए मिला ही नहीं। सुबह स्कूल जाते जाते बस की खिड़की से पड़ोस वाले गांव में मुझे एक कुत्ता नजर आया जो मुझे maddy जैसे लगा। तो में तुरंत जा के पापाजी को बताया की शायद वो maddy था। सिर्फ मेरा एक शायद के आड़ में पापाजी ने वो सब किया जो मुमकिन था । हमारे गांव में थोड़ी बातचीत हमने करी तो उससे पता चला की तीन चार दिन पहले गांव में किसी इंसान ने maddy को एक गाड़ी में ले जाते दिखा था; अब गांव में क्या होता है की कई बार ऐसा कुत्ते पट्टे वाले खुले घूमते ही तो चोरी हो जाते है।
तो पापाजी ने अपना कॉन्टेक्ट लगाकर पता लगाया की पड़ोस वाले गांव में किसके पास क्रुसर पिंजरा है। फर श्याम को में और पापाजी गए maddy को ढूंढने बहत सारी गलियां छानी की तब जाकर गली में दिखे दो आदमी जिनके साथ में एक कुत्ता रात का आसमान जैसा कला, जिसके गर्दन में था एक सफेद चांद जैसा छोटा गुच्छा, सकल से एकदम भौंदू ओर आंखों से एक नंबर नसेढ़ी, गले में लाल पट्टा maddy और maddy की ना सकल पे साफ साफ लिखा हुआ था की चार दिन से भूखा है। पापाजी सीधा गए और उसके अधिक के गाल पे एक रख के झापड़ लगाए। फर मत पूछो क्या हुआ, मतलब बोलुओड लेवल का ड्रामा हुआ; लेकिन maddy वापस आ गया अपना घर।
एक दिन हमने खोया हमारे घर का एक सबसे एहम सदस्य को....... पापाजी........ हमें ऐसा लगा कि हमारे साथ किसी ने बहुत भद्दा मजाक किया है। क्यों की हम यकीन नहीं करपा रहे थे की हम उन्हें खो चुके है। हम हर दिन हर पल उस दर्द से उस दुःख से जूझ रहे थे.....पर हम तो इंसान हैं न। तो चलो हम तो फिर भी रो. कर, एक दूसरे से बात करके अपना दुःख जाहिर कर पा रहे थे। पर maddy का क्या। Maddy वो तो ना love जनता है न logic, उसे कौन समझाए और वो कैसे जाहिर करे । पापाजी के चले जाने के बाद कुछ दिन तक उनके नाम का शोक चला तो भिड़ से बचाने के लिए हम लोग उसे एक बंद रूम में बांध के रखते थे। वह भी जोर जोर से भोंकता तो सबको लगता उसे भूख लगी होगी।
कुछ दिन बाद शोक खतम हुआ पर दुःख रह गया। घर में न एक दम सन्नाटा सा छा गया था। सन्नाटा सारी शांति को भंग कर देता था। वक्त के चलते maddy भी बहुत शांत सा हो गया। शायद उसे भी एहसास था की घर में कोई कमी हो गयी है। अब मम्मी जी से भी बच कर नहीं रहता वो। बस उनके साथ साथ रहता है, पड़ा रहता किसी कोने में ।
अब कहने को ना हमारी बड़ी परिवार है, आठ सदस्य पर सच कहूं ना तो हर इंसान अपने आप में बहुत अकेला है, सिर्फ maddy है जो की कभी किसके पास तो कभी किसके पास जाकर उसे महसूस करता है की वो अकेला नहीं है।
पापाजी के चले जाने के बाद कुछ दिन तक तो घर के दरवाजा पर घंटों बैठा रहता था या बाहर के और नजर गड़ाए की शायद उसका वो फेवरेट इंसान कहीं बाहर गया है लौट आएगा: जैसे maddy वापस आ जाता था। जब भी घर का गेट खुला हुआ हो तो maddy भाग जाता था कभी कभी लगता ही की पापाजी को ढूंढने गया हो। पर अब न थक हार कर बेचारा वापस आ जाता हैं। घर का रास्ता तो उसे उस दिन से याद था लेकिन जब तो शायद समझ चुका है की पागल की तरह ढूंढने बाला इस दुनिया में नहीं रहा.........
पर कुत्ते इसे ही होते है न यार उन्हें न हमसे कोई ख्वाहिश करनी आता है न कोई शिकायत उन्हें तो बस साथ रहनी आती हैं। वो शुरूवात से हमें पहचानना चाहते है उन्हें हमारा सकल टच एहसान सब याद रहता है। हम कुत्ते को हमारा दोस्त नहीं बनाते ही बल्कि वो हमें अपना दोस्त बनाते हैं। तो हर कहानी का एक happy या sad एंडिंग होता है । ओर कुत्ते के साथ दोस्ती कर ले तो ना वो मरने के बाद भी निभाता है। ।।।
