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Denisha Kumari

Abstract Inspirational Children

4  

Denisha Kumari

Abstract Inspirational Children

परिंदा

परिंदा

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"परिंदा, कहाँ हो ?"

"परिंदा| उफ्फ ये लड़की न जाने कहा फिरते रहती है। "

"यहाँ हूँ दी। क्यों चिल्ला रही हो ?"

"जब तक चिल्लाऊं नहीं तब तक तुम सुनती कहाँ हो ? न जाने क्या ख़याली पुलाव पकाती रहती हो ?"

"अरे दी! ताने बाद में दे लेना, पहले ये बताओ बुला क्यों रही थी ?"

"माँ बुला रही हैं।"

"क्यों दी ?"

"मुझे क्या पता। जाकर खुद ही पूछ लो। कही फिर से तेरे किसी करामात की वजह से शायद।"

"शुभ शुभ बोलो दी। मैं फिलहाल माँ की डाँट से पेट नहीं भरना चाहती। अभी तक खाना भी नहीं खाया है।"

"तो जल्दी जाओ न।"

"जा रही हूँ।" जब देखो रौब झाड़ते रहती है।

"क्या कहा ?"

"कुछ नहीं।" पहले माँ के पास जाती हूँ। 

"माँ आपने बुलाया ?"

"हाँ बेटा। निधी ने कॉल किया था। मैं बुला रही थी पर तुम न जाने कहाँ थी। जाकर उससे बात करलो । फिर आकर खाना खालेना।"

"ठीक है माँ।" बच गयी। वैसे निधी ने क्यों कॉल किया होगा ?

"हैलो निधी।"

"यार कहाँ थी तुम ? तुम्हे पता है परिणाम आ गये हैं।"

"क्या ? वो तो कल आने वाले थे न।"

"हाँ यार पर आज ही आ गए।"

"तुमने देख लिया ? क्या आया है ?"

"तेरे बिना कैसे देखती। आजा घर साथ देखेंगे। अकेले देखने की हिम्मत नहीं हो रही। आजा न जल्दी से।"

"आरही हूँ। पाँच मिनट।" आज ही परिणाम आ गए। भगवान इस परीक्षा पे मेरा तकदीर निर्भर करती है। अगर मुझे अच्छा पायलट बनना है तो इस परीक्षा में मेरे अच्छे अंक आये हो। वैसे तो मैं ने प्रैक्टिकल में तो बहुत अच्छा किया था। अब बस यहाँ भी मन लायक अंक मिल जाए।

"कहाँ जा रही हो ?" माँ ने पुछा।

"निधी के घर माँ। परिणाम आ गए हैं। प्रार्थना कीजिये की मेरे मन लायक अंक हो।"

"वो तो मैं करुँगी बेटा पर ये बात याद रखना, परिणाम कुछ भी हो तुम उसे अपने ऊपर हावी मत होने देना। कुछ भी हो ये याद रखना हम तेरे साथ हैं। बाकी भगवान की मर्ज़ी।"

"जी माँ।" माँ हमेशा ये बात बोलती हैं। और मै समझती हूँ किसलिए। आजकल लोग बहुत जल्दी हताश हो जाते हैं और गलत कदम उठा लेते हैं।

"निधी!"

"आ गयी! चल देखते हैं।" भगवान पार लगवा देना कहती हुई निधी ने अपना लैपटॉप खोला।

निधी और मेरा बचपन का सपना है पायलट बनना। जब भी कोई हवाई जहाज़ हमारे छत पर से गुजरता था हम खुद से यही वादा करते थे कि एक दिन हम भी विमान में होंगी, यात्री बनके नहीं बल्कि पायलट बनके। बड़ी मेहनत और पैसे लगे हैं। भगवान कृपा से पैसों की कोई दिक्कत नहीं है पर जब पता चला पायलट बनने के लिए कितने पैसे लगते हैं एक बार को तो कुछ समझ नहीं आया। क्योकि उससे पहले मेरे और दी के पढ़ाई के लिए इतना नहीं सोचा गया था। हम इतने भी अमीर नहीं हैं कि पायलट की पढ़ाई के बारे में बोला और हो गया।

"ओए! किधर खो गयी ?"

"कुछ नहीं।"

"मै पहले तेरा परिणाम देखूँ ?"

"क्यों ?"

"अच्छा मेरा ही देख रही हूँ।" कहते हुए उसने मेरा हाथ जोर से पकड़ लिया। "पास! पर ये क्या यार जितना सोचा था उतना नहीं आया। चल अब तेरी बारी।" कहते हुए उसने मेरा हॉल टिकट नंबर डाल दिया। दिल जोरों से धड़क रहा है। न जाने क्या होने वाला है।

"परी तेरे तो मेरे से भी ज्यादा अंक आए हैं। कितना अच्छा ...

"पर..." मैंने उसे काटते हुए बोला। "पर जिस कंपनी के साथ मैं काम करना चाहती हूँ उसके लिए ये काफी नहीं है।"

"यार एक बात बोलूँ।" उसने मेरे तरफ देखते हुए बोला। "मेरे अंक तेरे से कम हैं पर मुझे लगता है कि जिंदगी सिर्फ इन अंक पर निर्भर न होकर हमारे हुनर पर निर्भर होगा। शायद अभी जहाँ हम काम करना चाहते हैं वहाँ नौकरी ना मिले पर ये हमेशा के लिए तो नहीं है। हम जहाँ भी काम करने जायें वहाँ पूरा मन लगाकर काम करें और क्या पता कल को जहा हम अभी काम करना चाहते हैं वो लोग खुद ही हमें बुलायें। क्या बोलती है ?"

"बिलकुल सही कहा निधी तुमने। कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।" कहती हुई दी न जाने कब आ गयी।

"आप कब आयीं ?"

"माँ को पता था अगर कुछ भी तुम्हारे हिसाब से नहीं हुआ तो तुम कितना परेशान हो जाती हो। इसीलिए उन्होंने मुझे यहाँ भेजा है। पर शायद मेरी जरूरत नहीं पड़ने नहीं वाली थी क्योंकि तेरी दोस्त कितनी समझदार है और एक तुम हो।" दी ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा। पर बात तो सही है और चाहे कुछ भी हो जाए मेरा परिवार हमेशा मेरे साथ रहेंगे।

"ठीक फिर हम चलते हैं। जल्द ही मुलाकात होगी पायलट की तरह।"

"जरूर।"

उस दिन मैंने सीखा चाहे कुछ भी हो खुश होना चाहिए। थोड़ा बुरा तो लगता है पर अगर उसी चीज़ के बारे में सोचते रहेंगे तो वही अटक जायेंगे और उस लम्हे को जी नहीं पाएंगे जो जिंदगी में एक ही बार आती है। शायद आगे कभी उस मंज़िल को पाने का मौका मिलने वाला होगा उसे भी खो देंगे उस चक्कर में। मैंतो भाग्यशाली हूँ की मेरे आसपास ऐसे विचार रखने वाले लोग हैं। मुझे उस कंपनी में तो उस समय नौकरी नहीं मिली थी पर दुसरी जगह आराम से मिल गया था। आज पूरे दो साल बाद मेरा आखरी दिन है इस कंपनी में क्यूँकि कल से मेरा उड़ान मेरे सपने वाली कंपनी में भरूंगी। और मज़े की बात तो ये है कि निधी भी एक महीने में उस कंपनी में आने वाली है। फिलहाल के लिए हम एक साथ शायद विमान नहीं उड़ा सकती क्यूँकि तजुर्बा नहीं है। आशा मगर यही है कि जल्द से जल्द हम एक साथ विमान उड़ा पाए।


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