Smruti ✨

Drama

3  

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प्रेमा भाग - ४

प्रेमा भाग - ४

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नरेश जी बाहर आये और मुरलीधर जी के पास आके उनके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गये। क्या हुआ भाईसहाब क्या सोचा आपने , मंजूर है क्या रिश्ता आपको मुरलीधर ने पूछा, हाँ नरेश जी ने बड़ी ही विनम्रता के साथ कहा, मुरलीधर जी का मन ख़ुशी से फूल गया वो चहक कर बोले यह तो बड़ी ख़ुशी की बात है इस बात पर तो हमें जश्न मनाना चाहिए आखिर हम दो परिवार एक होने जा रहे है हम समधी बनने जा रहे है नरेश जी, हाँ मुरली जी आज से हम समधी है नरेश जी ने कहा और बे दोनों गले मिले फिर नरेश जी ने अपने घर वालों से खाने की तैयारी करने के लिए कहा और खुद हाथ मुँह धोने के लिए मुरली जी और उनकी पत्नी कैकेइ देवी से कहा और उनको गेस्ट रूम में लेकर आए और कहा इसे अपना ही घर समझे भाईसहाब कुछ जरूरत हो तो मुझे या सुमित्रा को आप बेझिझक कह सकते है, पर फिलहाल के लिए में आपसे बिदाई लेता हूँ मैं बहुत दूर से आया हूँ ना मुझे मुँह हाथ धो कर कपड़े बदलने है नरेश जी ने थके मन से कहा और अपनी कक्षा में चले गए।।


             नरेश जी के जाने के बाद मुरली जी ने कैकेइ जी से कहा, अच्छा हुआ कि नरेश जी मान गए प्रेमा बहुत अच्छी लड़की है और वो हमारे घर और और घर को भी संभाल सकती है हम प्रेमा को अपने घर की बहू बना कर बहुत खुश है क्या बोलती हो कैकेइ,  हाँ ... हाँ ... आप ठीक बोल रहे है कैकेई ने खोए हुए कहा , अभी मैं थोड़ी देर आराम कर लेता हूँ तुम चाहो तो तुम भी आराम कर सकती हो मुरलीधर जी ने कहा नहीं मैं यही ठीक हूँ आप आराम कर लीजिये कैकेइ जी ने कहा और मुरलीधर जी आराम करने के लिए चले गए।।


             दूसरी तरफ नरेश अपने कमरे पहुँचते ही उन्हें देख कर सुमित्रा जी बोली बोल आये मंजूर है, कर आये एक पल में अपनी बेटी की ज़िन्दगी बर्बाद , क्या समझते है आप अपने आप को आप ही सिर्फ प्रेमा के बाप है , मैं क्या उसकी कुछ नहीं लगती , आपने सिर्फ अपना फैसला सुना दिया में तो कुछ भी नहीं हूँ और मैं कह देती हूँ मैं पहले भी इस शादी के खिलाफ थी आज भी इस शादी के खिलाफ हूँ, याद रखिये मैं मेरी बेटी की शादी कभी उस घर में होने नहीं दूंगी, सुमित्रा ... तुम्हें जो करना है करो प्रेमा की शादी उसी घर में ही होगी मैं उन्हें जबान देकर आया हूँ एक बार उनका भरोसा तोड़ चुका हूँ प्रभा की शादी के समय से और एक बार उनका भरोसा तोड़ना नहीं चाहता नरेश जी ने कहा, एक भरोसे के चलते मैं अपनी बेटी की ज़िन्दगी बर्बाद होने नहीं दूंगी , सुमित्रा जी ने कहा , ये भरोसा तुम्हारे लिए जरूरी ना मेरे लिए जरूरी है नरेश जी ने कहा , भले ही वो तुम्हारे लिए जरूरी हो पर यह शादी मैं होने नहीं दूंगी सुमित्रा जी ने कहा और वहाँ से चली गयी।।


              


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