Meenakshi Kilawat

Romance

5.0  

Meenakshi Kilawat

Romance

प्रेम की गगरिया

प्रेम की गगरिया

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548


पायल की सुरीली झंकार सुनकर बेहद खिचांव महसूस कर अजय आरुषी, की इक झलक देखने को बेताब दिखाई देता था। वह अपने बंगले में ऊपर नीचे बालकनी में आंगन में घूमता रहता अद्भुत संगीतमय "प्रेमधुन की सरगम" अजय के जीवन को सराबोर कर देती है वह कठपुतली की तरह किसी अनदेखी डोर से बंधा सांसों की सरगम में समाकर अपने प्यार को पाने तड़प जाता क्या यही प्रेम हैं।

उन्नीस बीस वर्ष की आयु में अजय को प्यार हो गया ग्रेजुएशन पूरा करने की तैयारी में पहला कदम महाविद्यालय में क्या रख्खा अजय की दुनिया ही बदल गई बस प्रेम की धुन में मस्त लगा रहा उन दोनों के प्यार में किंचित भी स्वार्थ नहीं, नदी की तरह निर्झर बहने वाला स्वच्छ जल, जैसे दो दिलों का स्पंदन बनकर दिलों में समा गया।

एक युवक निष्ठा से भरा तेजस्वी उसकी दिल फेंक अदा और बालीश रूप देख आरुषि भी मोहित हुई उनका प्यार बहारों की तरह तरोताजा फिजा में खुशबू फैलाता हुआ मदहोश दो दीवानों का सफर की शुरु हुआ। प्रेमधुन में गहरे समुंदर में डूबकियां लगाते वह खोए रहते अपने नजरों से ही इकरार इजहार करते जैसे सांसों में भरकर एहसास को शामिल एक दूसरे की पुकार को सुनकर एक दूसरे पर न्यौछावर करने के लिए तत्पर रहते थे।

अजय उसूलों का पक्का निश्चयी व्यक्तित्व का धनी सिर्फ और सिर्फ आरुषी को ही पसंद करता था वह कहीं से भी अपने प्रियाके लिए गुलाबके फूल ला कर भेट करता आरुषी उन फूलों को बडे प्यारसे अपने पास संभाल कर रखती थी और उस खुशबुमें डूबी रहती।

 बात है उन कॉलेज के पहले वर्षकी जब आरुषीको अकेली देखकर मवाली किस्म के चार लड़के आरुषीको छेड़ रहे थे उस समय वहां कोई नहीं था,आरुषी घबरा गई थी,मन ही मन प्रार्थना कर रही थी एक एक पल उसे भारी पड़ रहा था,वैसे नया नया कॉलेज ज्वाइन करने के बाद कोई friend बनी नहीं थी, वह अकेली ही लाइब्रेरी से निकलकर आरही थी तभी कुछ मवाली boys ने उसका रास्ता रोका और उसे छेड़ने लगे तब उसने सिंहनी की तरह झपट कर उस लड़के के गाल पर करारा चांटा जड़ दिया।

फिर भी वह नजदीक आने लगे वह कोई भी बातों से डरने के मूड में नहीं थे उतने में ही कानों पर आवाज आई, "अरे नामर्दों मुझसे लड़ो" और सर की टक्कर हुई लात घुसे दनादन बरसे आरुषी पलट कर देखती तो क्या कोई युवक उन मवाली किस्मके boys से लड़ रहा था।

 एक एक को उठाकर पटक रहा था जैसे ही चेहरा देखा आरुषी आश्चर्य से देख रही थी वह युवक अजय था जिससे उसकी मुलाकात कुछ दिनों पूर्व एडमिशन के वक्त हुई थी शायद ईश्वर ने ही मदद के लिए उसे भेजा था आरुषीको तब चैन आया और उसने अजय का बहुत-बहुत धन्यवाद किया आभार प्रकट किया अजयने आरुषि को उसके घर तक छोड़ा रास्ते में दोनों गुमसुम थे।

आरुषि खीन्न और परेशान दिखाई दे रही थी दूसरे दिन वह कॉलेज में नहीं आई,अजयको आरुषी कॉलेज मे नहीं दिखाई दी अजय का मन ना लगने की वजह से वहभी घर लौट आया,अनमने भावसे निचे उपर करके बाल्कनीमे जा बैठा वह बेहद उदास लग रहा था तभी अजय की नजर सड़क के उस पार सामने वाले बंगले पर गिरी वहां पर आरुषीको बालकनी में खड़ी देख कर चौक गया आरुषी को वहां देखकर अजय को बहुत खुशी हुई इतने नजदीक रहनेपर उसे पहले कभी दिखाई नहीं दी थी।

अजय ने मन ही मन कहा! यह तो बहुत ही अच्छी बात है आरुषी यहीपर रहती है, मन ही मन ईश्वर को धन्यवाद दिया उसे आरुषीके घर का पता चल चुका था वह इसी एरिया में रहती यह कभी सोचाही नहीं था लेकिन वह हमेशा आरुषीको अपने आसपास महसूस जरूर करता था दूसरे दिन अजय आरुषी के घर के पास में जाकर आरुषीकी राह देखने लगा कितनी देर इंतजार करने पर भी आरुषी बाहर नहीं निकली तो उसने फुलवाली दुकान से एक पुष्पगुच्छ लाकर एक छोटे लड़के के साथ भेजा वहाके सभी बच्चे अजय के पहचान के ही थे वह लड़के ने वह बुके आरुषी को उसके घर के अंदर ले जाकर दीया,तब आरुषी उस बच्चे से उसे पूछताछ करने लगी, उस बच्चेने हाथ पकड़ कर उसे बाल्कनी में लाकर अजय की ओर इशारा किया, अजय अजय को देखकर वह चौक गई, न जाने क्यों दिल की धड़कन बढ़ गई वह फूलों का गुच्छा कोमल हाथों से सहलाने लगी उसे उसमें कागज दिखाई दिया,उसे धीमे से खोलकर पढ़ा उसमें मोबाइल नंबर था,आरुषीने तुरंत कॉल पर अजयसे बात की तब अजय ने कॉलेज आने की रिक्वेस्ट की और कहा तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी वह मवाली boys को मैने अच्छा सबक सिखाया है वह अब तुम्हारे रास्ते कभी नहीं आएंगे और आरुषीका हौसला बढ़ाया मन ही मन आरुषी अजय को पसंद भी करने लगी थी क्यौंकी अजय ने गुंडोंसे उसे बचाया था इसलिए उसकी बात वह टाल नहीं सकी आरुषी ने तुरंत कॉलेज जानेकी तैयारी की अपने स्कूटी के पीछे अजय की गाड़ी आते देख उसे अच्छा लगा, आते वक्त भी वह साथ दिखाई दिया इसीप्रकार दोनों का नित्य नियम बन गया था अगर छुट्टी होती उस दिन मोबाइल पर कुछ बातें कर लेते ।

अजय का परिवार प्रतिष्ठित धनाढ्य और गुजराती परिवार था अजय उनका इकलौता लाडला बेटा होने की वजहसे उसे किसी बात की कमी नहीं थी, वह बहुत सरल स्वभाव का था और उसका परिवार भी वैसे ही था बिजनेसमैन होने के साथ भक्तिभाववाला समाधानी सुखी परिवार था ।

 इधर आरुषी का भी परिवार खा पीकर समाधानी था,आरुषीका बड़ा भाई एमबीबीएस पढ़ाई करके इंटर्नशिप कर रहा था पिताजी क्लास वन ऑफिसर थे educated फैमिली में उनकी गणना थी मराठा होने की वजह से रिस्तेदार आसपास नजदीकके गांव नगर में रहते थे हमेशा घर में मेहमानोंका आना जाना लगा रहता था।

इक दिन आरुषी का मामा अपनी बहन कुमुदिनी के पास आकर कुछ बातें बताने लगा वह आरुषि के प्रेम प्रकरण के बारे में बात कर रहा था,अगर समाज के बाहर आरुषी की शादी हो जाती है तो हम मुंह दिखाने के काबिल नहीं होंगे मैं अच्छा लड़का देखता हूं जल्द से जल्द आरुषी की शादी कर देनी होगी इसी में हमारी सबकी भलाई है।फिर भी कुमुदिनी ने विरोध किया और कहने लगी मैं मेरी प्यारी बिटिया की शादी graduation होने के बाद ही कर पाऊंगी,दोनों बहन भाई ने आपस में बहुत कुछ बातें की जब मामा चले गये तब मम्मी ने आरुषी से बात की क्या तुम्हारा प्रेम प्रकरण चल रहा है बेटा आरुषी ?

प्यारी बिटिया आरुषी ने कहा हां मम्मी उसने अपना प्रेम कुबूल किया और कहने लगी मैं अजय से ही शादी करूंगी अन्यथा सारी उम्र कुवांरी रहूंगी अजय बहुत अच्छा और नेक लड़का है इससे अच्छा दामाद तुम्हें कहीं भी नहीं मिल सकता ,सीधी सरल बात सुनकर मम्मी ने कहां वह पापा से बात करेंगी ।

इधर अजय के परिवार में भी चर्चा हो रही थी,उन्हें पता चल गया था बेटा किसी के साथ प्रेम करता है इसलिए उसके मम्मी पापा ने अजय को उस लड़की से कैसे दूर किया जा सकता हैं इस उधेड़बुन में उन्हें एक ही राह नजर आई और उन्होंने plane किया अगर अजय को कहीं दूर भेज दिया तो उनका प्रेम खत्म हो जाएगा यही सोच कर विदेश जाकर पढ़ने की बात पापाने की अजय ने तुरंत हामी भरी वह खुशी से तैयार हो गया, उसके मम्मी पापा मन ही मन खुश हो गए क्योंकि 3 वर्ष अजय आरुषी से दूर रहेगा तो उसे भूल जाएगा और हम अपने बेटे की शादी अपनी जाति की लड़की से धूमधाम से कर देंगे अजय को इस plane पर जरा भी शक नहीं हुआ ना कोई आश्चर्य हुआ वह खुशी से पढ़ाई के लिए तैयारी करने लगा।

आरुषी और अजय का यह हाल था के दोनो एक दिन की दूरी भी बर्दाश्त नहीं कर सकते थे वह 3 वर्ष दूर कैसे रह सकते मगर मिलने के लिए बिछड़ना भी जरूरी होता है अजय और आरुषी दोनों ने अपना दिल बहुत strong किया आरुषी को भी विदेश जानेमें कोई खराबी दिखाई नहीं दी उसने खुशी-खुशी जाने के लिए अनुमती दे दी।

पासपोर्ट वीजा आ गया था लेकिन आरुषी और अजय को बात करने का मौका नहीं मिल रहा इसलिए उन्होंने अपने मम्मी पापा को दोस्तों के साथ टूर पर जानेका कारण बताया उस बहाने घर से टिफिन लेकर अजय आरुषी के साथ महाराष्ट्र की प्रसिद्ध अजिंठा लेणी देखने के लिए चल पड़े।

क्योंकि विदेश जाने से पहले उनका मिलना जरूरी था उन्हें बहुतसी बातें करनी थी दोनो अजिंठा पहुंच चुके थे,जैसे ही उन्हें एकांत मिला वह प्रेमी युगल आलिंगनमें बंध गए "जैसे जन्म जन्म से बिछड़े मिल रहे हो" इतने वर्षों में भी उन्हें कभी एकांत मिला ही नहीं था, अजय ने तुरंत आरुषि को प्रेम का इजहार करना जरूरी समझा और " आई लव यू" कहां आरुषीने भी देर नहीं लगाई और अजय को "आई लव यू" कहां उनका प्रेम बहार बनकर दोनोके दिलोमें छा गया जैसे प्रेम की गगरिया छलक कर आगोश में सिमट गई।

अजय, आरुषीने बहुत बातें की अजय ने कहा मैं जाने के बाद तुम्हें धीरज से काम लेना होगा,अपना युगो युगो से हम एक दूसरे के लिए बने हैं,हमारे भाग्य बंधे होने की वजह से हमारी पहचान हुई और इतने बडे विशाल जनसमुदाय में हमें एक दूसरे का साथ पसंद आया और कुछ भी हो जाए हम यह साथ निभा कर रहेंगे।

अजय के मजबूत कंधों का सहारा लेकर आरुषी के अनमोल आंसू सावन की झड़ी की तरह झरझर बहने लगे,अजय तड़प कर कहने लगा इन आंसूओं को मत बहाओ मै तुम्हारे

आंखों में आंसू नहीं देख सकता,और आरुषी के अनमोल मोती अपने होठोंमें जप्त कर लिए, और कहा, समाज की यह अटल दिवारे हमें गिरानी है, तुम दोगी ना मेरा साथ ?आरुषी क्या कहती उसने अपने दोनों नाजुक हाथों का हार अजय के गले में डाल दिया। और मुंक अभिव्यक्ति से हां में गर्दन हिलाई क्योंकि वह दोनों ही एक दूसरेसे बेइंतेहा प्यार करते थे। वह दोनों इतने नजदीक थे कि एक दूसरे की धड़कन सुन सकते दोनों प्रेम के सागर में गोते खा रहे सांसों का सांसोंसे मिलन होने खातीर बेताब थे,तनमन विवेकशुन्य होता जा रहा था। तभी अजय ने अपने बाहों की पकड़ ढीली करके दूरी बनाए रखी वह पत्थर के समान निश्चल अडिग रहा और आरुषीको कोमल भाव से समझाता रहा

प्रेम को कलंकित करने वाली क्षणिक सुख की कामना अक्षम्य पाप की कालिख के समान हैं ,हमारा प्यार निर्मल गंगा की तरह पवित्र रहना चाहिए इस बंधन की सीमाएं हमें नहीं लांघनी चाहिए तुम मेरा प्यार हो मेरे लिए देवी से कम नहीं हो मैं तुम्हें भोग्यवस्तु समझकर वासना में नहीं लपेट सकता हमारा संसारपथ सुगंधित फूलों की तरह निर्मल होकर हमे निष्कलंक जीवन जिना चाहिए।

इतने सुंदर जीवन साथी के विचार सुनकर आरुषी धन्य हो गई मन ही मन आरुषी अजय के गुणोंकी कायल तो थी ही अब पुजा करने लगी, उसके मन मेंअजय ईश्वर की तरह स्थापित हो चुका था। शाम की लाली मां फैल चुकी थी घर लौटने का समय हो गया था।

उन्होंने घरसें टिफिन लाया था वह खाना ही भूल गए, आज उनका एक एक मिनट महत्वपूर्ण था। सब मैल धूलकर मनआत्मा साफ हो गई थी अजयने कहा,कल जाने से पूर्व हम नहीं मिलेंगे चलो अब लौट चलें"।

अजय फ्लाइट से विदेशके लिए निकल गया था पहुंचते ही अजय ने कॉल किया और अपनी खुशाली जताई,

आरुषी अजय कि मन ही मन मानस पूजा करती रही उसका साक्षात ईश्वर अजय था यह पवित्र प्रेमको सफल करने श्रद्धा विश्वाससे अंतरात्मा को सकारात्मक भाव को जगाती रही, अजयने दिए हुए फूल जो कि सुख चुके थे उसे प्रसाद समझकर कुछ पंखुडिया खाती रही नजाने वह कैसी प्रेमधूनमे दिवानी हो गई थी और अपने जानसे प्रीय प्रेममें समा गई।

इधर आरुषी के विवाहके लिए परस्पर मामासे बातें होती रही आरुषी को इस बात का पता ही नहीं चला कब उसकी engagement तय कर दी गई मम्मीने गोटाकढ़ाई वाली साड़ी आरुषी को पहनने के लिए दी और आग्रह किया तब आरूषी पूछने लगी मैं इतनी किमती साड़ी कभी पहनती नहीं हूं मम्मीने कहा मेरे सहेली के लड़के की engagement है उसने तुम्हें भी बुलाया है इसलिए तुम तैयार हो जाओ समाज के कई लोग वहा आएंगे तुम भी अच्छे कपड़े पहन लोगी तो और भी सुंदर लगोगी, आरुषी के मन में कोई भी शकसुबह नहीं था वह तैयार होकर आई ही थी की आरुषी का बड़ा भाई आया था जो की डॉक्टर होनेकें बाद इंटर्नशिप कर रहा था बहन भाई खूब प्रेम से मिले और खूब मजाकबाजी चली ,घर का माहौल खुशीसे भरा था।

आकाश ने आरुषीसे कहा चलो जल्दी करो हमारे जीजू बाट देख रहे होंगे तुम कितनी तकलीफ दोगी हमारे जीजू को तभी आरुषी को सारी बाते समझ में आई तो वह सतर्क हो गई और कहने लगी भाई मुझको भेजने की इतनी क्या जल्दी है मेरा विवाह होने जा रहा है और मुझे ही पता नहीं एक बार भी किसीने पूछा तक नहीं ,मेरे जीवन का फैसला कर लिया,मैने ऐसी कभी सोचा तक नही था।

तब आकाशने कहा, क्या वाकई में तुम्हें यह पता नहीं की तुम्हारी engagement आज है? आरुषीने भाई की ओर करूनाभरी नजरोसे देखा और कहा सच में भाई मुझे जरा भी भनक नहीं जैसे मैं कोई गाय हूं जिसे चाहा उसे उसके साथ बांध दिया मैंने क्या पाप किया है की मुझ पर मम्मी पापा ने जरा भी विश्वास नहीं किया मुझसे छुपकर मेरी शादी तय कर दी, तुम ही मुझे बचा सकते हो भाई,

भाई मैं अजय से बहुत प्रेम करती हूं उसी के साथ में मैं विवाह करना चाहती हूं अन्यथा मैं आजीवन शादी नहीं करूंगी अजयके बिना मैं ख्वाबमें भी नहीं जी सकती।

आश्चर्यचकित होकर आकाशने कहा तुम्हारी इंगेजमेंट है तुम्हें पता नहीं है यह तो बहुत बड़ी नादानीपुर्न हरकत मम्मी पापा ने की है उन्हें इस बातका हर्जाना भरना पड़ेगा, तुम चलो मेरे साथ अभी इसी वक्त दोस्त के यहां छोड़ कर आता हूं तुम गाड़ी में जाकर बैठो, निपट लूंगा मै सभीसे,

 सबका नजर बचाकर आरुषी फोर व्हीलर में जाकर बैठ गई और 2 मिनट बाद भाई ने आकर गाड़ी स्टार्ट की और जाने के बाद मित्रके परिवारको पुरी स्टोरी बताइ और मदद करनेकी अपील की, उन्होंने खुशी खुशी हामी भरी।

आरुषी को छोड़कर वह तुरंत घर लौट आया मम्मी रो रही थी पापा सर पर हाथ देकर बैठे हुए थे आकाश ने उन्हें पूछा क्या हुआ, मम्मी ने कहा आरुषी बिटिया न जाने कहां चली गई है अब क्या होगा हमारी इज्जत का समाज को मुंह दिखाने लायक नही रहेंगे हम,

आकाशने कहा, मम्मी तुम आरुषि की चिंता छोड़ कर समाज की चिंता कर रही हो, आप कैसे शिक्षित लोग हो क्या हो गया है आपको आज मुझे आप दोनों पर शर्म आ रही है,आज इस नई सदी में भी आप इस तरह सोचते हो अब क्या कहूं मैं आपसे,

आकाश ने कहा, मैं आरुषी का भाई होने का फर्ज अदा करूंगा मैं यह engagement cancel करता हूं , यह शादी अब नहीं हो सकती क्योंकि आरुषी इस शादी के लिए तैयार नहीं है।मैं मेरे बहन का दिल किसी को भी तोड़ने नहीं दूंगा ,

 घर दुखों की छायासे भर उठा मम्मी कहने लगी मेरी,मुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था मेरी प्यारी बिटिया कहां गई होगी,यह सब मेरे गलती की वजह से हुआ 

 मैंने यह बहुत ही गलत कदम उठाया मेरी बिटिया का जीवन दाव पर लगा दिया लेकिन उसका अजय भी तो यहां नहीं है वह तो विदेश गया है मेरी लाडली बिटिया ने कुछ कम ज्यादा तो नही इतना कह कर वह जार जार रोने लगी, जल्दी से पुलिस कंप्लेंट कर दो न जाने मेरी बेटी किस हालतमें होगी,

आकाश ने कहा मै कुछ करता हूं तूम दवाई लेकर निश्चिंत सो जाओ और विश्वास दिलाया आरुषीको ढूंढ कर आपके सामने लाता हुं, पापा एकदम चुप थे अंदर ही अंदर वह दुखसे झुलस रहे थे उनकी विषन्न अवस्था थी और चुपचाप आंसू बहा रहे थे,उन्हें आकाश ने हौसला दीया और दोनोको सुला दिया,

आकाश सुबह जल्दीसे आरुषी को लेने पहुंच गया आरुषी को तुरंत घरपर लेकर आया मम्मी पापा ने अपने बिटिया को गले लगाकर खुब प्यार किया और कहा तूम हमें छोड़ कर कहां चली गई थी,तुम हमारी लाडली बेटी हो फिरभी हमने तुम्हारे साथ इतना बुरा व्यवहार किया तुम्हे बिना बताए तुम्हारा विवाह करने जा रहे थे हमारी गलतियों को माफ करोगी ना बेटा, आरुषी ने मम्मी पापा को विश्वास दिलाया और कहां की तुम्हारी बेटी कहीं भी नहीं गई तुम्हारे पास में ही है ना तुमसे नाराज है।

कई दिन और बीत गए अजय विदेश से लौट आया और आतेही उसने उसके मम्मी पापा से शादी की बात की, अजय कहने लगा मुझे विवाह करना है मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए मम्मी पापा दोनों एकदम shocked हुए, 

और मन ही मन घबरा गए कहीं विदेश की लड़की से तो शादी नहीं कर रहा अजय, यह क्या हुआ हमने अजय को इसलिए अपने से दूर किया था कि वह समाज की लड़की से शादी करें लेकिन यह तो कंही नई मुसीबत लेकर आने वाला है, पापा ने डरते हिचकते अजय से पूछा बेटा कहां की है लडकी उसका नाम गांव पता क्या है अजय ने कहा पहले मुझे आप दोनो आशीर्वाद दो फिर बताता हूं अजय के मम्मी पापा ने खुब फूलो फलो का आशीर्वाद दिया , और अजय ने कहा कि मेरी शादी आरुषी से करवा दो, 

अजय के मम्मी पापा सुनकर बहुत खुश हुए , और प्रसन्न होते हुए दिलमे कहा कि विदेशी लड़की से तो 100 गुना आरुषी अच्छी है और अपनी देखी भाली भी है,

 हम तुम्हारी शादी आरोषीसे जरूर करवा देते हैं क्योंकि तुमने अपने माता-पिता के विरुद्ध कोई काम नहीं किया आरुषी का वादा भी नहीं तोड़ा हम इस बातों से प्रसन्न होकर तुरंत ही तुम्हारी शादी बड़े धूमसे कर देते है।

कुछ ही दिनों में अजय आरुषीका विवाह धूमधाम से हो गया, दोनों पार्टियौने बराबरी से हिस्सा लिया मानपान सम्मान के साथ आरुषी को अपने घर की बहू बना कर लाया गया विवाह होने के बाद अजय आरुषी हनीमून के लिए स्विट्जरलैंडके लिए निकल गए दोनों का ही सपना सच हुआ था सभी रुकावटें पार करके सच्ची प्रेमधुन बज उठी और मधुर प्यार की परिणती विवाह में हुई और दोनों ही आनंद से संसार सागर में बस गए। सच्चा प्रेम ह्रदय का स्पंदन और प्रेम ह्रदय की धुनमें समाया होता है।


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