पराया धन
पराया धन
"नहीँ जी आज तक कौन रख पाया है बेटियों को घर में ,बेटियाँ तो पराया धन होती है ,इन्हे तो विदा करना ही होता है !" सरपंच रघुबीर दलील दे रहा था !
"हाँ बेटियाँ तो पराया धन है अपने ही माँ-बाप के लिए,माँ के दिल का टुकड़ा है ,पिता का गुरुर है ,पर फिर भी पराया धन है ,और पराये धन को अपना समझने का भाव भी पाप है ,क्यों सरपंच जी आप यही कहना चाहते हैं ना !" "हाँ-हाँ वो .........................!
"और आप जो पटवारी के साथ मिलकर बिरसे चाचा की जमीन हड़प चुके है ,वो क्या पराया धन नहीँ.............?" "वाह री दुनिया !,तेरा पराया धन !"
