STORYMIRROR

Dinesh Dubey

Horror Fantasy

4  

Dinesh Dubey

Horror Fantasy

पंचम भाव 41

पंचम भाव 41

5 mins
271


पंचम उन कीड़ों पर सवारी का मजा ले रहे थे और वह कीड़े परेशान थे कि उनके साथ हो क्या रहा है उनको समझ में नही आ रहा था ,उन्हे लग रहा था की उन्हे कोई कंट्रोल कर रहा है पर कौन है ये पता नही चल रहा था।


सभी कीड़े तेजी से पहाड़ी के ऊपर जाते हैं , और फिर तेज़ी से पलटते हैं, पर पंचम पहले से होशियार थे वह उनकी रस्सियों को कस देते हैं ,तो वह सब फिर से बौखला उठते हैं , वह एक दूसरे को देखने लगते हैं ,की उन पर कौन बैठा है ,पहले तो उन्हे कोई नही दिखता है , !!


सभी लोग ध्यान लगाते हैं तो उन्हे उनके ऊपर सवार पांच लोग दिखाई देते हैं , तो वह क्रोधित हो उठे और वह कोशिश करते हैं की दूसरो के ऊपर सवार लोगो को निगल ले पर पंचम भी काम नही थे उन्हे सर घुमाने का मौका ही नही दे रहे थे ,।


यह देख वो सभी कीड़े अपने शरीर को गोल कर के उनको पकड़ने का प्रयास करते हैं ,तो पंचम अपने जूते को नुकीले कर उनकी गर्दन में जोर से कोचते हैं तो सभी बिलबिला उठते हैं और सीधे हो फड़फड़ाने लगते है , पांचों देव अपने पैरों के नुकीले जूतों से उनकी हालत खराब करते हैं।


दसों कीड़े बौखला कर नीचे की ओर जाते हैं और जमीन पर पड़ते ही वह कीड़े लोटनें लगते हैं ,जिस से पंचम को सम्हालना मुश्किल हो जाता हैं , और पांचों गिर पड़ते हैं पर रस्सी नही छोड़ते है ,जिस वजह से उनके गले कसने लगते हैं ,और वह ढीले पड़ते है , तो पंचम पूरी तेज़ी से उनको ऊपर की ओर लेकर उड़ते हैं ,जिस से उनके गले बुरी तरह से कसने लगे ,और दस के दसों कीड़े छटपटाने लगते है ,उन्हे अपनी बचाव का कोई और चारा नही दिखाई दे रहा था।


ऐसा लगने लगा था की सभी कीड़ों का दम घुट जायेगा , तो एक कीड़ा हिम्मत कर चरक को अपनी पूछ मतलब निचले हिस्से से एक जोरदार धक्का मारता है ,जिस से चरक नीचे गिरता है , चरक को गिरता देख दूसरा कीड़ा भी वही करता है।


अब उन्हे एक अच्छा तरीका मिल गया इनसे बचने के और कुछ ही क्षणों में सभी देव नीचे जमीन की धूल फांक रहे थे और वह क्रोधित कीड़े अब गुस्से में ,उन्हे घेर चुके थे ,और उन पर हमला करने के लिए खुद को तैयार कर चुके थे और अपने मुंह फैला कर उनको निगलने के लिए झपटते हैं, उनके मुंह के अंदर तेज नुकीले दांत बड़े भयानक नजर आ रहे थे।

पंचम एक दूसरे को देखते हैं ,जैसे ही वह उन्हे निगलने के लिए अपना मुंह उन पर मारते हैं तभी पांचों देव अपने रूप बदल कर एक दम से बड़े हो जाते हैं और अपने जूतों से उनके मुंह को दबा देते हैं ।


पांचों कीड़े गिर छटपटाने लगते हैं ,यह देख बचे पांचों कीड़े उन पर हमला करते है। तो , उनको हाथो से पकड़ कर पांचों देव पटकने लगते हैं ,और उनको उठा कर तेज़ी से पहाड़ पर पटकते हैं।

नीचे के कीड़े भी अपनी शक्ति से अचानक अपने शरीर को बड़ा करते हैं, और उनसे भी बड़े हो जाते है।


जो पहाड़ के पास जाकर गिरे थे , वह भी उठकर अब पूरी शक्ति के साथ उन पर हमला करने के लिए आगे बढ़ते हैं , तो पंचम अपने पैरो के नीचे जिनकी गर्दनों को दबा रखा था ,उन कीड़ों ने अपना शरीर तो बड़ा कर लिया पर वह अपनी गर्दन नही छुड़ा पाए थे ,उन पांचों कीड़ों को पंचम मंत्र पढ़कर वलय कवच में बंद करते हैं , उनकी सारी फड़फड़ाहट धारी की धरी रह जाती है , यह देख बचे पांचों कीड़े पलटकर पहाड़ों कि ओर भागते हैं।


बाकी की पांचों को भागते देख, पंचम उन पांचों कीड़ों को ,वही एक और छोड़ उनके पीछे जाते हैं , पांचों अलग अलग दिशा की ओर भागने लगते हैं ताकि वह लोग उसे पकड़ने को अलग अलग आए तो वह उन पर हमला कर उन्हे मार सके।


पंचम भी उनके पीछे अलग अलग जाते हैं , पांचों कीड़े तेजी से अलग अलग जा रहे थे , उनके पीछे पीछे जा रहे देवों में सबसे पहले चरक एक कीड़े को उसकी पूंछ को पकड़ कर तेज़ी से खींचता है ,और उसे पहाड़ पर पटकता है तो इस प्रहार से उस कीड़े के मुंह से खून निकलने लगता है।

वह कीड़ा क्रोधित हो तेज़ी से पलट कर चरक पर हमला करता है उसके मुंह से निकल रहें खून के छींटे जैसे ही चरक पर पड़ता है ,तो चरक उसे छोड़ नाच उठता है ,क्योंकि उसका रक्त जहां जहां पड़ा वहां वहां पर छेद हो गया था ,ऐसा लग रहा था जैसे उसका खून नही तेजाब था।

वह कीड़ा पूरा खून चरक पर पलटने ही वाला था की तभी चरक हिम्मत कर उसकी पूछ को पकड़ कर उसके मुंह के करीब ला दिया जिस से उसका खून उसके ही पूंछ पर गिर पड़ता है ,और उसकी पूरी पूंछ गल कर अलग हो जाता है , वह कीड़ा बुरी तरह से चीखने लगा , और खून का फौआरा छोड़ता है , इस से बचने के लिए चरक घायल होने के बाद भी तेजी से वहां से हटता है ,और फिर उसके सर पर सवार हो कर ,उसके गर्दन में तलवार निकाल कर घुसा देता है ,जिस से वह चीखकर वहीं लोटने लगता है ,, मौका देख चरक मंत्र पढ़कर उसे वलय कवच में बंद कर देता है।

वह उसे ले जाकर जहां सभी कीड़ों को रखा था वहीं उसे भी रखता है , कवच में भी उसका खून भर जाता है और वह उसी में गलने में लगा था ,और वह जोर जोर से चीखते हुए कहता है की उसे बाहर निकाल दे वरना वह खत्म हो जाएगा , चरक उसे तेज़ी से ऊपर नरक में भेजता है ,वॉर फिर बाकी बचे पांचों को भी नरक भेजता है।


चरक फिर तेज़ी से उस ओर जाता है जहां अवधूत गया था , वहा अवधूत और शैतान में जोरदार मल्ल युद्ध चल रहा था , चरक के आ जाने से अवधूत का बाल बढ़ जाता है और वह उस कीड़े के मुंह को पकड़ लेता है और चरक उसकी पूंछ को पकड़ कर अवधूत की ओर ले जाता है और दोनो मिलकर उस कीड़े को कई गाठों में बंध देते हैं।


क्रमशः 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Horror