पीरियड्स तो सेलिब्रेट होने चाहिए!!!
पीरियड्स तो सेलिब्रेट होने चाहिए!!!
"अरे, तुमने ज़ोमैटो कंपनी के बारे में सुना है ?", शिवि के ऑफिस में एक पुरुष कर्मी ने कहा।
"फ़ूड डिलीवरी करने वाली है स्वीगी की तरह ;और क्या ?",किसी दूसरे ने कहा।
"अपनी महिला कार्मिकों को उन मुश्किल दिनों में पेड लीव्स देगी यह कंपनी। यह महिलाएं नौकरी ही क्यों करती हैं, यार ?कभी मातृत्व अवकाश, कभी चाइल्ड केयर लीव और अब यह लीव्स। ",किसी तीसरे ने कहा।
उसके अंतिम शब्द शिवि के कानों में भी पड़े। शिवि ने उन लोगों की तरफ घूरकर देखा। उसे अपनी और देखते हुए पाकर, सबने एक -दूसरे को आँखों ही आँखों में चुप होने के लिए कहा।
लेकिन शिवि कहाँ चुप रहने वाली थी, न चाहते हुए भी उसने कह ही दिया, " माहवारी के दर्द को आप लोग क्या समझोगे ?औरत होते तो जानते कि औरत होना कितना मुश्किल है। लेकिन चलो कम से कम आप आज लीव्स के बहाने ही सही इस विषय पर बात तो कर रहे हो। "
ऐसा कहकर शिवि कैंटीन की तरफ चली गयी थी। कैंटीन में लंच करते हुए शिवि सोच रही थी कि, "जोमैटो कंपनी ने पीरियड लीव्स देकर कम से कम पीरियड जैसे सोशल टैबू वाले विषय को मुख्यधारा में बहस करने का विषय तो बना ही दिया है। "
उसने एक सर्वे में पढ़ा था कि आज भी भारत में सेनेटरी पैड्स ख़रीदने वाली लड़कियों में ४८% लड़कियाँ सेनेटरी पैड्स ख़रीदते हुए हिचकती हैं।
पीरियड्स जहाँ शिवि को शारीरिक तकलीफ देते थे, वही पीरियड्स के दौरान मिलने वाली मम्मी की नसीहतें और सोशल taboos मानसिक तकलीफ देते थे।रसोई में नहीं घुसना, पानी पीने के लिए स्टील या ताम्बे की बोतल की जगह प्लास्टिक की बोतल, सुबह उठते ही चाहे सर्दी हो या गर्मी बालों में रोज़ शैम्पू करना और भी बहुत कुछ।
पिछली बार जब उसके 7 साल के भतीजे लड्डू ने उसके हाथ का बना हुआ पास्ता खाने की ज़िद की, तब मम्मी ने उसे बोला कि,"बुआ को भी छिपकली ने छू लिया है, इसलिए बुआ रसोई में नहीं जा सकती। "
तब लड्डू ने कितने ही सवाल किये थे, जिनके मम्मी के पास कोई जवाब नहीं थे। जैसे : बुआ ने कब छुआ ?कैसे छुआ ?मुझे भी छूना है। बुआ और मम्मी दोनों को ही क्यों छूती है ? तब मम्मी ने उसे डाँट कर चुप करा दिया था।
सेनेटरी पैड खरीदने जाओ, तो दुकानदार को इशारा करके बताओ या इतना धीरे बोलो कि वह आपकी आवाज़ सुनकर नहीं, बल्कि आप के होंठों की मूवमेंट देखकर अनुमान लगा लेता है कि आपको पैड चाहिए।
अगर कोई मां बहिन की गाली दे तो लोग न तो घूरते हैं और न ही ध्यान देते हैं, लेकिन दुकान पर खड़े होकर ज़ोर से सेनेटरी पैड बोल दिया तो सभी आँखें आपको घूरने लगती हैं, मानो आपने सेनेटरी पैड न मांगकर कोई एटम बम मांग लिया हो।लोगों की ऐसी भाव भंगिमा देखकर कभी तो मन ऐसा करता है कि पैड यूज़ न करके गन्दा कपडा ही इस्तेमाल कर लेते हैं। चलो, अब कम से कम बिग बाज़ार जैसे डिपार्टमेंटल स्टोर खुल जाने के कारण सेनेटरी पैड मांगने नहीं पड़ते।
उसके बाद दुकान वाला सेनेटरी पैड ऐसे छिपाकर देता है, मानो चरस या गांजा दे रहा हो। एक -दो पैकेट तो जैसे तैसे अपने हैंड बैग में छुपाकर डिपार्टमेंटल स्टोर से ले आते हैं, क्यूंकि वहां पर अख़बार या काली प्लास्टिक की थैली में छिपाकर देने वाला कोई नहीं होता।
ऐसे ही एक बार शिवि कुछ विशेष ऑफर के कारण १५ -२० पैकेट्स एक साथ ले आयी। शिवि इतने सारे पैकेट्स को छुपाकर नहीं ला पायी थी। पापा और भैया बाहर ही बैठे हुए थे, उनके सामने से होते हुए ही वह पैकेट्स अंदर लेकर गयी थी।
इस बात को लेकर मम्मी ने फिर हंगामा किया, "इस लड़की में ज़रा भी शर्म नहीं है। इतने बड़े भैया और पापा के सामने से कौन सेनेटरी पैड्स के पैकेट्स लेकर जाता है। हम तो जब महीने से होते थे, तब अपने पापा के सामने जाते तक नहीं थे;कहीं उन्हें पता न चल जाए कि हम महीने से होने लग गए हैं। "
"मम्मी पैड्स ही तो लेकर आयी थी। पापा -भैया से कैसी शर्म उनकी बेटी हूँ, छोटी बहिन हूँ। मैंने कोई चोरी थोड़े की है जो नज़रें चुराऊँ। जब आप मेरे साथ अछूतों जैसा व्यवहार करती हो तो उन्हें पता चल ही जाता होगा कि मेरे पीरियड्स चल रहे हैं। किसी भी औरत को आप तभी पूर्ण मानते हो जब वह मां बने। मातृत्व की तैयारी से इतना गिला क्यों ?उल्टा पीरियड्स तो सेलिब्रेट होने चाहिए। "शिवि अपनी रौ में बोलती जा रही थी।
"सारा ज्ञान तो बस इस लड़की को ही है। हमारे बड़े बुजुर्ग तो पागल थे, जो उन्होंने यह कानून - कायदे बनाये। "शिवि की मम्मी ने कहा।
"मम्मी, हो सकता है उस समय की परिस्थतियाँ ऐसी होंगी। लेकिन जब परिस्थति बदल गयी है, तो नियम भी बदलने चाहिए। यदि पानी एक ही जगह ठहरा रहता है तो सड़ जाता है। "शिवि अपनी बात कहकर पैड्स उठाकर कमरे में रखने चली गयी।
शिवि तब तो अपनी मम्मी को अपनी बात समझा नहीं पायी थी, लेकिन आज जोमैटो कंपनी द्वारा घोषित की गयी पेड पीरियड लीव्स ने इस विषय पर खुलकर बात करने का एक अवसर तो दे ही दिया था।अब जब इस विषय पर बात होनी शुरू हो गयी है, तो जल्द ही इससे जुड़े हुए सोशल टैबू भी समाप्त हो जायेंगे। स्त्री को सम्पूर्ण बनाने वाले पीरियड्स तो सेलिब्रेट होने चाहिए। मन ही मन मुस्कुराते हुए शिवि अपना लंच समाप्त कर, वापस अपनी सीट पर चली गयी थी।