फटी जेब की जिम्मेदारी

फटी जेब की जिम्मेदारी

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शहर मे आज प्रदूषण के वजह से सब बंद है। कुहासे और धुन्ध मे कुछ नज़र नहीं आ रहा है। बाहर जाने की मनाही है सब को, "जरूरी कामों से ही बाहर निकले,.. खासकर बुढ़े और बच्चे", कल ही सूचना जारी कर दी गई है।

"अरे! काका कहाँ चल दिये भोर में ही ?"

"बिटवा! दूध का डब्बा दुकान दुकान ना पहुंचाये तो गजब हो जाएगा !"

"अरे काका ! सब बंद होगा आज, छोड़ों तुम, सुना नहीं बच्चे बुढ़े ना निकले.. हवा जहरीली है मर मुरा जाओगे.. घर जाओ !"

" बिटवा! शहर बंद होगा पर पेट नहीं ना लोगों के बच्चों का और ना ही मेरे पोते का। बस जेब फटी है बिटवा ऐसा समझो जो आता है बस चला जाता है। आज उनके बच्चों का पेट भरेगा तो मेरा पोता आज थाली में खाना देख पाएगा, जहरीली हवा से मरने की गारंटी नहीं पर भूख से जरूर मर जाएंगे हम.. दूसरा कोई नहीं कमावन को। "

धुन्ध को चीरती हुई भूख निकल पड़ी आगे। 


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