फटे में टांग अड़ाना
फटे में टांग अड़ाना
आज हम अपने गाँव गए वहाँ पुराने रिश्तेदारों से मिलना हुआ, सबकी खैर-ख़बर मिली हमारी दूर की कज़िन रितु बड़ी ही नौटंकीबाज़ उसका करैक्टर देख कर लगता क्या लड़की है ,जब देखो, हर किसी के फटे में टांग अड़ाना, इतना ज़्यादा दूसरों की समस्या हल करने के लिए तत्पर जैसे उसका जन्मसिद्ध अधिकार हो, रितु हमारी सामने की पैदा हुई लड़की है,हम जैसे बड़े -बूढ़ों को सीख देती फिरती है। हम कई सालों में इकट्ठा हुए तो चर्चा चली किसी भाभी ने कहा भई इस रितु से ईश्वर बचाए जिस घर में ये दखलअंदाजी कर दें, उस घर की बहु के ऐसे कान भरे के ,अपने सुसराल वालों को जेल तक भिजवा दे वो बहू।
मैंने हंसकर कहा रितु ने तो लव मैरिज की है ना इसको घर - गृहस्थी से वक़्त मिल जाता है, मेरी ननद बोली अरे उसने अपने पति को भूत बना रखा है, बेचारा बहुत शरीफ़ अपनी इज़्ज़त की वजह से ख़ामोश रहता है।
बस पति की चुप्पी से रितु हावी होती गई, अब तो ये हाल है कि सुसराल वालों से कभी पटी नहीं, हर एक से पंगा लेना और हर एक की दादी अम्मा बनना।
एक दिन मेरी मुठभेड़ हो गई उस रितु से एक मसले पर असल में वो हमारे सुसराल में ही बड़ी हुई है क्योंकि वो मेरी सासु माँ की बिलकुल राइट हैण्ड थी मै नई -नई शादी हो कर आई तो मुझे लगा ये लड़की अभी इतनी छोटी उम्र में जमाने भर की ख़बरें मिर्च-मसाले लगाकर सुनाती है। बड़ी हो कर तो बवाल खड़े करेंगी और मेरा अंदाज़ा ग़लत नहीं रहा।
मैं और मेरी बड़ी ननद जैसे ही रितु को अंदर घूसते देखते तो एक -दूसरे को देखकर हंस कर कहते लो #बी.बी.सी.लंदन आ गई पूरे गाँव के समाचार सुन लो इस लड़की से वो हम दोनों ननद भावज को देखकर चिढ़ जाती मेरी सास को शिकायत करती ये दोनों मेरा मज़ाक बनाती हैं।
अरे हां मै आपको सुना रही थी एक बार मेरी बहस हो गई रितु से ,वो गाँव के ही लड़का
#सईद मुस्लिम था उससे दिल लगा बैठी महारानी , हमारे देवर का दोस्त बन कर आने लगा हमारे घर ,रितु की हरकतें देखकर जल्द ही समझ आ गया । कुछ और ही चल रहा है मेरा देवर और रितु साथ ही पढ़तें थे।
मेरी सास को मैने बताया मम्मी जी आप इस लड़की को मना करो रितु को ,कल से कुछ ग़लत हुआ तो अपना घर बदनाम होगा। मेरी सास ने कहा पहले तो इस लड़के को मना करतें हैं, मेरा देवर अशोक को मना करतें हैं ,कि उस सईद नाम के लड़के को अपने यहाँ ना लाए।
हमनें ये क़दम उठाया तो रितु तिलमिला गई वो सीधा-सीधा मेरी सासु माँ से उलझ गई। मैं बोली क्या प्राब्लम है हमारा घर है,हम किसी को आने दें या ना दें। पहले तो मेरी सासु माँ को कुछ बोलने से पहले ये सोच वो कितनी बड़ी है।
एक बात सुन मुझसे बात कर मैं बताती हूँ, तू क्या है और तुझे क्यों तकलीफ हो रही है, हमनें तो सईद को मना किया है ,तुझे इतना दर्द क्यों हो रहा है। जब मैंने उसकी दुखती रग पर हाथ रखा तो कहती है, आप क्या कहना चाहती हैं?
मैने कहा यही तो पूछना चाहती हूँ प्राब्लम क्या है।
कुछ दिनों बाद हमारे यहाँ रितु ने आना बंद कर दिया,फिर सुनने में आया अपनी पढ़ाई छोड़-छाड़ कर उस ही सईद नाम के लड़के के साथ भाग गई।
अपने परिवार का भी ख़्याल नहीं रखा कुछ दिनों बाद उसके पिता जी शर्मिंदगी की वजह से गाँव छोड़कर चुपचाप अपने परिवार को लेकर कहीं चले गए, मगर उस बेशर्म लड़की ने गाँव में आना -जाना रखा, वही दख़लंदाज़ी करना हर एक घर की ख़बरें रखना और मिर्च-मसाले लगा कर बात फैलाना।
असल में सईद के घर वालों ने अपने बेटे की ख़ातिर रितु को अपनी बहु कु़बूल कर लिया। धीरे-धीरे हमारे रिश्तेदारों के यहाँ भी बड़े हक़ से घूसने लगी। कभी किसी भाभी के बेटी की शादी में कभी किसी बच्चे के नामकरण में रितु हाज़िर बिन बुलाए।