sagar mehta

Horror

3.3  

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फ्लैट नंबर २१३(भाग - ३)

फ्लैट नंबर २१३(भाग - ३)

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सनाया बाथरूम के पास बेहोश पड़ी थी, उसके सिर से खून भी निकल रहा था, वैभव की चीख सुन कर आस-पड़ोस वाले लोग भी आ जाते है। सनाया को हॉस्पिटल ले जाया गया।

क्या हुआ डॉक्टर सब ठीक तो है न ? वैभव ने चिंतित होकर पूछा।

हाँ !! अब सब ठीक है, कमजोरी या स्ट्रेस की वजह से चक्कर आ गए होंगे और सिर किसी भारी चीज़ से टकराया इसलिए खून निकल रहा था, लेकिन अब सब ठीक है उन्हें थोड़ी देर में होश आ जायेगा, पर एक बात समझ में नहीं आयी।

क्या ? वैभव ने तुरंत पूछा !

सनाया के दोनों हाथों पे जलने के निशान थे, वो कहाँ से आये ? कुछ हुआ था ? डॉक्टर ने आशर्यचकित होते हुए पूछा।

नहीं तो, आज सुबह तक तो सब कुछ ठीक था, वैभव ने बताया।

ठीक है मैं चलता हूँ, ऐसा बोल कर डॉ रूम से बहार चले गए।


वैभव सनाया के पास बैठता है, उसने देखा सनाया के हाथ पे जलने के निशान थे वो भी ऐसे वैसे नहीं मानो किसी ने जलते हुए हाथ से उसका हाथ पकड़ा हो, वैभव घबरा जाता है उसे सनाया की हर बातें याद आती है, जली हुई औरत का दिखना, वो गंध ...

यह कोई दिमाग का वहम नहीं !! ज़रूर कुछ गड़बड़ है, जब से हम इस घर में आये है तबसे यह सब हो रहा है, कहीं सच में कोई भूत प्रेत ? जो भी हो मैं इसका पता लगा के रहूँगा, वैभव सनाया की और देखते हुए सोचता है, तभी सनाया को होश आने लगता है।

सनाया, कैसा लग रहा है अभी ? और क्या हुआ था तुम्हें ? वैभव ने सनाया का हाथ पकड़ते हुए कहा। सनाया रोने लगती है।

वो ..वो. .औरत मार डालेगी मुझे, प्लीज मुझे बचालो वैभव ! सनाया ने रोते हुए कहा। विस्तार से बताओ सनाया क्या हुआ था, वैभव ने कहा। 


सनाया ने रात की सारी बातें बता दी।

और जब सुबह तुम ऑफ़िस के लिये निकले और मैं नहाने जा रही थी, तभी मुझे लगा की मेरे हाथों पे कुछ जल रहा है, देखा तो मेरे हाथों की चमड़ी में से धुआँ निकल रहा था, मैं बहुत डर गई थी वैभव, जैसे ही मेरी नज़र आईने पे पड़ी मैंने खुद को पूरा जला हुआ पाया और अचानक पूरे घर में किसी औरत की ज़ोर -ज़ोर से हँसने की आवाजें आने लगी..आवाज़ इतनी ज़ोर से और इतनी डरावनी थी के मैं वही बेहोश हो गई।


सब ठीक हो जाएगा ! डोंट वरी सनाया को बाहों में भरते हुए कहा..दोनों वापस घर आ गए, सनाया आराम कर रही थी की तभी घर की डोर बेल बजी, वैभव ने दरवाजा खोला। अरे सविताजी आइये आइये , वैभव ने अंदर आने का इशारा करते हुए कहा, सविता वैभव और सनाया की पड़ोसन थी जो फ्लैट नंबर २१२ में रहती थी।

केसी है सनाया की तबियत, सविता ने पूछा ? ठीक है!! अभी तो वो आराम कर रही है। चलो तो मैं बाद में आती हूँ ऐसा बोल कर सविता जाने लगती है।

रुकिए मुझे आपसे कुछ बात करनी है प्लीज ज़रा बैठिये, वैभव ने रोकते हुए कहा। बोलो वैभव क्या बात है ? सविता ने बैठते हुए कहा।

इस घर में कुछ हुआ था क्या ? वैभव ने पूछा, मतलब में कुछ समझी नहीं ?

जबसे हम यहाँ आये है तबसे सनाया को एक औरत दिखती है आधी जली हुई, पहले मुझे लगा यह सब उसका वहम है पर अब लगता है शायद सनाया सच बोल रही है, वैभव ने कहायह सब सुनकर सविता के मुँह से एक ही शब्द निकला ..सरला

सरला ? कोन सरला ? वैभव ने आशर्यचकित होते हुए पूछा 


१० साल पहले यहाँ एक पति पत्नी रहते थे सरला और मंगेश, बहुत खुश थे वो, नए नए यहाँ आये थे, सरला ने मानो इस घर को स्वर्ग बना दिया था, उसकी एक बेटी थी पिंकी, सबकुछ ठीक चल रहा था तभी पिंकी की तबियत बिगड़ने लगी पता चला उसे कैंसर हो गया है, उसके इलाज के लिए उन लोगो ने जेवरात अपनी गाड़ी यहाँ तक की अपना घर भी गिरवी रख दिया, लेकिन एक दिन सुबह पता चला पिंकी इस दुनिया में नहीं रहीसरला और मंगेश पे मानो दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, किस्मत ने मानो उन लोगो की पूरी ज़िंदगी की ख़ुशी छीन ली थीसरला बेटी के ग़म में पागल सी हो गई थी और मंगेश को भी दारु की लत लग गई थीएक दिन अचानक उनके घर से सरला की चीखने की आवाज़ आने लगी सब इकट्ठा हो गए, दरवाज़ा अंदर से बंद था, हमने दरवाज़ा तोड़ा तो सरला जल रही थी। शायद बेटी के ग़म में उसने खुद को आग लगा दी थी, हमने किसी तरह आग बुझाई पर तब तक सरला आधी जल रही थी उसके शरीर में से धुआँ निकल रहा था, हॉस्पिटल में ले जाए उसे पहले उसने दम तोड़ दिया

और मंगेश ? वो कहाँ है ? वैभव ने तुरंत पूछा, वो उस रात से लापता है, सरला के अंतिम संस्कार में भी वो नहीं आया, पुलिस ने बहुत ढूंढा पर वो कहीं नहीं मिला

फिर ? वैभव ने पूछा 

फिर यह घर mr & mrs तिवारी ने ख़रीद लिया , पर रोज़ के झगड़े की वजह से उस औरत ने ज़हर पी कर आत्महत्या कर ली और वो आदमी फिर अमेरिका चला गया और फिर तुम लोगो ने यह फ्लैट उनसे ख़रीद लिया

मुझे तो पता ही नहीं चल रहा की अब में क्या करूँ? हम इस घर को छोड़ भी नहीं सकते क्योंकि लाखों का लोन लेकर हमने यह घर लिया है, वैभव ने हताश होकर कहा 


तुम एक काम क्यों नहीं करते सनाया को थोड़े दिन उसकी माँ के पास भेज दो जिसे उसका मूड भी अच्छा हो जायेगा तब तक हम सोचते है की आगे क्या करना है !!! वैसे भी वो औरत सिर्फ सनाया को ही दिखती है, सविता ने कहाहां ये ठीक रहेगा !! मैं आज ही उसे बात करके उसे भेज देता हूँ 

जैसे तैसे करके वैभव ने सनाया को मना ही लिया, और सनाया को एक हफ्ते के लिए उसकी माँ के घर भेज दिया

वैभव ने यह बात रवि को बताई, रवि ने हँसते हुए कहा,"चलो में आज रात तुम्हारे घर ही रुकता हूँ देखता हूँ कौन सी औरत तुम्हें तंग करती है..

वैभव ने भी हाँ में सर हिलाया फ्लैट नंबर २१३, रवि ने घर के अंदर आते हुए कहा

दोनों इधर उधर की बातें कर रहे थे, तभी किचन से कुछ आवाज़ आई, दोनों ने एक दूसरे को देखा, फिर दोनों किचन में गए पर वहां कोई नहीं था

चूहा होगा शायद !! बहुत सोचो मत !! चलो सो जाते है बहुत नींद आ रही है, रवि ने किचन से बहार जाते हुए कहा

रात के २ बजे ..

वैभव को कुछ आवाज़ सुनाई देती है, वो उठ के बहार हॉल मैं जाता है, वहा डाइनिंग टेबल पर रवि बैठा था

रवि, रवि इतनी रात को क्या खा रहे हो? वैभव ने रवि से पूछा, कोई जवाब नहीं मिलने पर वो उसके पास गया और देखते ही दो कदम पीछे चला गया


रवि के एक हाथ में कांच का टुकड़ा और दूसरे हाथ में चाकू था, वो कांच खा रहा था और चाकू से अपने हाथों को चिर रहा था और वही खून मानो आम चूस रहा हो वैसे अपने हाथ को चूस रहा थावैभव का दिमाग काम करना बंद कर चुका था उसे समझ नहीं आ रहा था की वो क्या करे, तभी एक ठंडे हवा के झोके ने उसे हिला के रख दिया उसने पीछे देखा कोई नहीं था वो डर गया, जैसे ही उसकी नजर रवि पे पड़ी वो भोचक्का सा हो गया, वो औरत रवि के कंधों पर बैठी थी उसकी पिली पिली आँखें गुस्से से रवि को ही देख रही थी, वो गंध उसे भी आ रही थी जिसकी बात सनाया रोज करती थी, वैभव ने अपनी आँखें बंध कर दी और भगवान का नाम लेने लगा

थोड़ी देर बाद जब उसने आँखें खोली तो रवि ज़मीन पे पड़ा था और उसके मुँह और हाथों से खून निकल रहा था, वैभव ने एम्बुलेंस को कॉल किया

डॉ भी देख कर हैरान थे और थोड़ी देर बाद डॉ ने रवि को मृत घोषित कर दिया, वैभव यह खबर सुनकर माथे पे हाथ रख कर नीचे बैठ गया और ज़ोर ज़ोर से रोने लगा, उसने अपना खास दोस्त खो दिया था


क्रमशः 



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