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sagar mehta

Horror

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फ्लैट नंबर २१३ (अंतिम भाग)

फ्लैट नंबर २१३ (अंतिम भाग)

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जेसे ही रवि के बारे में सनाया को पता चला वो तुरंत वैभव के पास आ गई। दूसरे दिन सुबह सविता उन लोगों के घर आई।

आइये सविताजी ! सनाया ने अंदर आने का इशारा करते हुए कहा। 

वैभव के दोस्त के साथ जो हुआ वो देखते हुए मुझे तो ऐसा लग रहा है की तुम लोगो को कही और चले जाना चाहिए सविता ने सनाया को बताया। 

हम ऐसे नहीं जा सकते सविताजी हमने बहुत बड़ी रकम का लोन ले रखा है।- वैभव बैडरूम से बहार आते हुए बोला। 

पता नहीं यह सब कब तक चलेगा। ! सनाया ने मायुश होते हुए कहा।

सुनो ! मेरे ध्यान में एक तांत्रिक बाबा है भैरव नाम है उनका काला जादू भूत-प्रेत को वश में करना। यह सब उनके मानो दायें हाथ का खेल है। तुम एक बार उनसे मिल तो लो शायद वो तुम्हारी कोई हेल्प कर सके। भीम घाट के पास ही उसका घर है - सविता ने कहा। 

ठीक है आज शाम को ही हम दोनों वहा हो आएंगे। शुक्रिया ! वैभव ने तुरंत कहा। 

शाम को वो भीम घाट पहुँच गये।

एक छोटा सा घर एक रूम और किचन। एक काली माता की मूर्ति जिसके पास धुप जल रही थी जिसका धुआँ पुरे घर में फैला हुआ था उस धुए को चीरते हुए एक आदमी बहार आया।

किसको मिलना है ? आदमी ने पूछा

जी वो हमें तांत्रिक भैरव से मिलना है ? वैभव ने कहा। 

जी कहिये। मैं ही हूँ भैरव।

दोनों थोड़े चौंक गए। हर तांत्रिक काला कुरता गले में मालाये और हाथ में ढेर सारी अँगूठिया नहीं पहनता मिस्टर - भैरव ने हँसते हुए कहा। 

फिर दोनों ने वक़्त ना गवाते हुए सारी बाते बता दी। भैरव कुछ सोचने लगा। थोड़ा सोचने के बाद बोला। 

कल अमावस है कल उसकी ताकात दो गुनी हो जाएगी। हो सकता हे वो तुम लोगों पर हमला भी कर दे। हमें जो करना है कल ही करना पड़ेगा। हमें आपके घर में उसकी मुक्ति के लिए यज्ञ करना पड़ेगा। वो भी रात को। कल में रात को ११ बजे आ जाऊंगा। 

भैरव ने ४ निम्बू लिए जो मूर्ति के पास थे उस पे कंकु लगा हुआ था उसने कुछ मंत्र फूँका और वैभव को दे दिए और कहा "इन निम्बुओं को चारों दिशा में रख देना और एक बार रखने के बाद इसे वहा से हटाना नहीं।"

वैभव ने हां में सर हिलाया और वो दोनों वहां से चले गए।

घर पहुँचते ही उन्होंने देखा की सविताजी के घर के बहार भीड़ जमी थी। दोनों वहां पहुंचे और देखते ही स्तब्ध हो गए सविताजी की लाश पंखे से लटकी हुई थी। उसके शरीर पर कुछ-कुछ जगह जलने के निशान थे। पुलिस लाश को नीचे उतारने की कोशिश कर रही थी और उसका पति रो रहा था। दोनों यह देखकर हैरान रह गए थे उन्हें यकीन हो गया था की तांत्रिक की बात सविताजी ने बताई उसी का बदला लिया सरला ने।

दोनों को घर पे जाने से डर लग रहा था। अभी तो आज की रात और कल का पूरा दिन उन लोगों को बिताना था।

वैभव ने चारों दिशा में निम्बु रख दिये। पूरी रात और दूसरे दिन भी कुछ नहीं हुआ शायद निम्बु की वजह से।

रात ११ बजे। 

भैरव आ गया था रूम के सारे फर्नीचर हटा दिए गए थे। भैरव ने अपने माथे पे भभूति लगा राखी थी। हाथ में दो बड़ी अँगूठिया और गले में काली माँ का लॉकेट।

भैरव ने लाल कंकु से एक बड़ी गोल आकृति बनाई। जिसके बीचो बीच गेहू का ढेर किया फिर चावल और वैसे ही सारी सामग्री रख दी। बीच में यज्ञ कुंड रख दिया। भैरव ने दोनों को उस सर्कल में आने को कहा।

कुछ भी हो जाये इस सर्कल के बहार मत निकलना वरना मौत का तांडव होगा। वो किसी को नहीं छोड़ेगी। वो इस सर्कल में नहीं आ पायेगी - भैरव ने समझाते हुए कहा। 

यज्ञ शुरू हुआ। भैरव ने मंत्र बोलना चालू किया वो बार बार सरला का नाम ले रहा था पर कुछ हलचल नहीं हुई। जैसे ही भैरव ने आहुति देना शुरू किया वो गंध आनी शुरू हो गई हवा तेज होने लगी दोनों डर गए दोनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ लिया। भैरव सरला के नाम की आहुति दिए जा रहा था। तभी अचानक एक हवा का झोंका आया और सनाया को सर्कल के बाहर फेंक दिया। भैरव खड़ा हो गया।

ये कैसे संभब है ? तुमने निम्बू को हटाया था ?-- भैरव ने वैभव को खिजाते हुए पूछा। 

थोड़ा सोचने के बाद हां शायद सोफा खसीटते वक़्त।- वैभव इतना ही बोल पाया की सनाया की चीख सुनाई दी।

दोनों ने देखा सरला ने सनाया का हाथ पकड़ा हुआ था और दोनों हवा में तैर रहे थे सनाया के शरीर पे धीरे-धीरे जलने के निशान बन रहे थे। तभी भैरव ने एक प्याले में से गंगाजल लिया जिसपे कंकु मिला हुआ था। कुछ मंत्र फूंका और सरला पर डाल दिया, जिससे सरला कमजोर पड़ गई और सनाया का हाथ छूट गया। जैसे ही वैभव सनाया को लेने आगे बढ़ा सरला ने वैभव की और अपना हाथ किया और वैभव उछल कर दीवार से जा टकराया। भैरव फिर से गंगाजल लेने वाला था की अचानक सरला ने उसे भी उछाल के जमीन पे पटक दिया वो वही बेहोश हो गया।

अब फिरसे सरला और सनाया हवा में तैर रहे थे। सनाया बेहोश हो चुकी थी। सनाया के शरीर में से धुआँ निकलने लगा। वैभव को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब वो सनाया को कैसे बचाये। तभी 

रुक जाओ सरला। छोड़ दो उसे ! तुम्हारा गुन्हेगार में हूँ ! वैभव आवाज की दिशा में मुड़ा और वो उसे देखता ही रह गया वो वही बूढ़ा आदमी था जो उस दिन वैभव को रास्ते पे मिला था

आप तो। वैभव कुछ आगे बोल पाता तभी सरला ने बोला। 

तो तुम आही गए मंगेश और सरला जोर जोर से हँसने लगी। वैभव भी आशर्यचकित हो कर उस मंगेश को देख रहा था।

तो आप इनके पति हो जो इनकी मौत के बाद से गायब थे ! वैभव ने कहा। 

गायब नहीं। भाग गया था मुझे ज़िंदा जला कर -- सरला ने चीखते हुए कहा। 

क्या ? वैभव ने चौंकते हुए पूछा। 

सरला ने सनाया का हाथ छोड़ दिया था और वो अब बेहोश पड़ी थी।

उस दिन।वो काफी शराब पीकर घर आया था। बेटी को तो में पहले से ही खो चुकी थी इतना कर्जा बढ़ गया था की लोग रोज हमसे पैसे मांगने आने लगे और येह बचे हुए पैसो से शराब पीते थे। बात तब बढ़ गई जब शराब के नशे में ये मुझे मारने लगे। उस दिन भी ये मुझे मार रहे थे तभी गुस्से में आकर मौंने भी एक चमाट दे मारा। इनसे यह बर्दाश्त नहीं हुआ और इसने मुझपे शराब छिड़कर मुझे ज़िंदा जला दिया और भाग गया। लोगो को ऐसा लगा के मेने बेटी के गम में आत्महत्या की। इसके बाद जो भी यहाँ रहने आया मैने सबको मार दिया ये घर मेरा है। मैं सबको मार दूंगी वैसे ही जैसे सविता को मारा। जिसने मुझे मारने के लिए तुम लोगों को इस तांत्रिक के पास भेजा बहुत अच्छी दोस्त थी वो मेरी।

और फिर सरला गुस्से से मंगेश की और देखने लगी। उसके गुस्से की वजह से उसके शरीर में से धुआँ निकल ने लगा जिसकी गरमाहट वैभव साफ़ महसूस कर रहा था।

मंगेश कुछ बोले उसे पहले ही सरला बड़ी तेजी से उसकी और लपकी और एक झटके से मंगेश के आर- पार चली गई। बहुत सारी हड़िया टूटने की आवाज एक साथ आई।और मंगेश वही धराशाही हो गया उसके शरीर मेसे भी धुआँ निकल ने लगा और धीरे- धीरे वो हवा में ओझल हो गया।

फिर सरला गुस्से में सनाया की और बढ़ी।

प्लीज छोड़ दो हमें अब तो तुम्हारा बदला भी पूरा हो गया। चली जाओ यहाँ से।- वैभव ने हाथ जोड़ते हुए कहा।

नहीं ! ये घर मेरा है जो भी यहां आएगा में उसे मार दूंगी। कोई नहीं बचेगा। सरला जोर जोर से हँसने लगी। तभी भैरव की आँखे खुली उसने गंगाजल वाला प्याला लिया उसमे मंत्र फूंका और पूरे का पूरा प्याला सरला पर डाल दिया। अब हँसने की गूंज चीख मे बदल गई थी। एक तेज प्रकाश निकला इतना तेज के दोनों की आँखे बंद हो गई। थोड़ी देर बाद सब शांत हो गया। दोनों ने आँखे खोली सरला चली गई थी।

उसे मुक्ति मिल गई।- भैरव ने काली माँ के पेंडल को चूमते हुए कहा। 

सनाया को भी होश आ गया उसके शरीर पे जो जलने के निशान थे वो भी धीरे-धीरे गायब हो गए।

सब ठीक हो गया ! अब ये घर सिर्फ हमारा है। - वैभव ने सनाया को गले लगाते हुए कहा। 

सविताजी, रवि और जितने भी लोगों को सरला ने मारा था उन सभी की आत्मा की शांति के लिए दोनों ने बड़ा यज्ञ करवाया।

कुछ साल बाद दोनों को एक बेटी हुई जिसका नाम उन्होंने सविता रखा। शराब की वजह से हमारे देश में न जाने कितनो के घर बिखर जाते है कितनो के संबंध टूट जाते है। पता नहीं जिस चीज़ (शराब) पर मौत लिखी है लोग उसके इतने दीवाने क्यों है। 


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