पहला टीका
पहला टीका


दोस्तों, कोई टीका अथवा दवाई पहली बार जनता के सामने लाना और उसे प्रयोग करवाने के लिए रजामंद करना कभी भी आसान काम नहीं रहा।
इस चित्र में देखें दाहिनी तरफ खडी इस महिला ने अपने बांए हाथ की तरफ से साड़ी का पल्लू थोड़ा सा उठा रखा है, वह दिखा रही हैं कि उन्होंने टीका लगवा रखा है।यह मैसूर में हुए महत्वपूर्ण अवसर के बारे में जानकारी है।
19 वी सदी के प्रारंभ में छोटी चेचक का प्रकोप फैल गया था और ब्रिटिश चाहते थे कि लोगों की सुरक्षा के लिए टीके का प्रचार किया जाए।
यह जिम्मेदारी सौंपी गई मार्क विल्क्स को जो मैसूर दरबार के प्रतिनिधि थे।
उन्हें कहा गया कि मैसूर राज्य कि वे लोगों को मनाएं और समझाएं के टीका लगवाना कितना आवश्यक है। सहयोग कर रहे थे दीवान पूर्णा और रानी लक्ष्मी हमारी आभार और जिनके पति की छोटी चेचक से ही मृत्यु हुई थी। इस समय युवराज राजकाज में देवराजमणी के साथ संलग्न थे।
इन्होंने सहर्ष अपनी सहमति दे दी ।यह जुलाई 1806 की बात है। इस तस्वीर में वह बाजू पर से साड़ी उठाकर वहां पर लगे टीके को दिखा रही हैं।
जब इस टीके को जनता के समक्ष रखा गया था तो जनता ने इसे पूरी तरह से नकार दिया ।वे एक विदेशी दवाई को अपनी जान के लिए खतरा समझते थे इसलिए रानी लक्ष्मी अमानी आवारा ने अन्य महिलाओं को मनाया ।वे बड़ी और छोटी महारानी थीं। इस तरह से यह तस्वीर इतिहास के लिए एक महत्वपूर्ण नज़ीर बन गई।