Monika Sharma "mann"

Drama

5.0  

Monika Sharma "mann"

Drama

पहला कदम

पहला कदम

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खुशी ने हमेशा अपने पापा को हर मुसीबतों को अपने ऊपर झेलते देखा। कभी-कभी तो कुछ बातों का पता मां को भी ना था।

पापा हमेशा मुस्कुराते दिखे लेकिन अंदर अंदर क्या चल रहा था ये किसी को भी नहीं पता था । यह सब देखते देखते खुशी बड़ी हो गई । बड़ा भाई भी नागपुर से इंजीनियर बनकर जॉब करने लगा।

पापा ने हम दोनों बहन भाई की शादी कर दी लेकिन एक समय ऐसा आया जब हम दोनों बहन भाई पापा मम्मी के पास जा नहीं पाते थे।

एक बार मां की तबीयत खराब होने पर खुशी को गहरा झटका लगा । उसके बाद से उसने अपने मम्मी पापा को अपने साथ रखा भाई साथ इसलिए नहीं रख सकता था क्योंकि वह अमेरिका रहता था।इन्हीं सब पलों को समेट कर उसने अपनी पहली कहानी लिखी जो इस प्रकार थी।

पापा जिन्होंने सब की जरूरतो का हमेशा ध्यान रखा । कभी किसी को कोई कमी न होने दी ।अपने सपनों को न जाने उन्होंने कहां छुपा दिया था।

मां घर से बाहर कभी निकली थी ,नाहीं उन्होंने बाहर की दुनिया देखी ,पापा ही सब संभालते। घर में क्या तरकारी आनी है ,बच्चों की फीस कब जानी है, बच्चों की स्कूल की ड्रेस कहां से आएगी, सभी की देख रेख पापा ने अपने हाथो में ली हुई थी।

वक्त रेत की तरह आगे निकल गया।

ओम भाई अमेरिका सेट हो गया और मेरी शादी होने के बाद मैं अपने ससुराल । शुरू शुरू में मेरा भी मायके आना-जाना लगा रहा मगर धीरे-धीरे वह भी कम हो गया।

भाई अमेरिका ही रहा करता था पापा ने उसकी जल्दी शादी यह सोचकर करा दी के कोई अंग्रेजन न पकड़ लाए ।

भाई ,भाभी को भी अमेरिका ले गया।

मां पापा दोनों बुजुर्ग हो चले थे।

मां पापा दोनों को अपने बच्चों की याद आती । पापा फोन करते तो भाई कहता काम बहुत जयादा है अगले साल आता हूँ।

मां मुझे फोन करती -तो मैं मां को बोलती अभी बच्चों का स्कूल खुला है अभी कैसे आऊंगी? धीरे-धीरे माँ- पापा ने आश ही छोड़ दी कि उनके बच्चे उन के पास लौटेंगे ।

एक दिन मां का पैर सीढी से अचानक फिसला। पापा पौधों को पानी दे रहे थे। धम की आवाज आते ही,अंदर भागे देखा, मा नीचे खून में लतपथ पड़ी थी। पापा घबरा गए जल्दी से मां को अस्पताल लेकर गए।

खून ज्यादा बहने के कारण मां कोमा में चली गई थी।

पापा ने भाई को फोन करके सब बताया। उसने औपचारिक तरीके से दो-चार दिन बात की ।मुझे जैसे ही यह पता चला, मैं भागकर मां के पास गयी ।उस दिन पहली बार महसूस हुआ माँ पापा हमारे जीवन में कितना महत्व है। 

इस घटना ने मुझे अंदर तक हिला दिया था।

उस दिन के बाद से मैंने मां पापा को अकेले नहीं छोड़ा अपने साथ ले आई ।मां पापा अभी भी भाई के वापस आने का इंतजार कर रहे है । मगर इस बात की तसल्ली थी कि उनकी बेटी उनके के पास है।  

सारे काम जरूरी होते हैं परंतु माँ पिता से बढ़कर नहीं।     


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