STORYMIRROR

Krishna Raj

Drama

3  

Krishna Raj

Drama

पहाड़ों में कैद रूह..

पहाड़ों में कैद रूह..

2 mins
190


ये बार बार कौन टकरा रहा है मुझसे... आखिर मेरी कठोरता को कौन चेतावनी दे रहा है..बार बार की ये दस्तक अब मुझे विचलित कर रही थी... चारों तरफ नजर दौड़ाई... दूर दूर तक कोई नजर नहीं आया... कुछ देर की शांति के बाद फिर वही दस्तक... अब मैंने अपनी बुलन्द आवाज से पुकारा... कौन है सामने आओ.. कोई प्रतिक्रिया ना देखकर फिर मैंने पुकारा.. कौन है.. दूसरे ही पल ऐसा लगा जैसे कोई हवा के झोंके ने मुझे छू लिया... पल भर के लिए मैं स्तब्ध रह गया.. छुअन का एहसास मुझे अपनी तरफ खींच रहा था.. अपनी उलझन को छुपाते हुए और आवाज में नम्रता लाते हुए मैंने कहा.. देखो तुम जो भी सामने आओ और बताओ की क्या बात है.. कुछ देर में एक लहराती हुई आकृति मेरे सामने प्रकट हुई.... सफेद साड़ी घुंघराले केश.. सब धुँधला सा था पर मैंने महसूस किया कि ये कोई रूहानी हवा है जो बार बार मुझसे टकराकर अपनी मौजूदगी का एहसास करा रही है.. मैंने पूछा.. बोलो क्या चाहती हो... पनाह... क्या मतलब.

मुझे पनाह चाहिए.. मुझे कोई जगह नहीं दे रहा है इस दुनिया में.. सब की अपनी अपनी जिंदगी है.. सभी खुश हैं.. कुछ लोग तो मुझसे डरते भी हैं.. समझ नहीं पाती की क्यों.. इस दुनिया में हमें पनाह नहीं मिलती.. हर तरफ से हार कर आपके पास आई हूँ.. आपकी मजबूती की तो लोग कसमें खाते हैं.. कितने पेड़ पौधे फल फूल. जड़ी बूंटी सब आपकी पनाह में फल फूल रहे हैं.. क्या मुझे जगह नहीं मिलेगी.. मुझे कुछ नहीं चाहिए... बस इस भटकती रूह को आपके आगोश में सुकून चाहिए.. आज ऐसा लगा जैसे हम पहाड़ों में भी दिल होता है.. ना जाने क्या था उसकी आवाज़ में.. मैंने बाहें फैला दी.. और वो रूह मुझ में ऐसे समा गई जैसे मेरा ही अंश थी.. आज पहली बार पहाड़ ने एक रूह को कैद किया.. नहीं शायद मैं भी अब उसके कैद में था.. इस कैद में भी बेहद सुकून था... 



Rate this content
Log in

Similar hindi story from Drama