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Dilip Kumar

Drama

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Dilip Kumar

Drama

पब्लिक अथॉरिटी

पब्लिक अथॉरिटी

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पांडे जी 58 के होने वाले थे। सुना था यह विद्यालय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन था। सी बी एस ई ने कहा कि सेवानिवृति की आयु 60 वर्ष की है। पांडे जी प्रसन्न थे। अब डर काहे का ! लेकिन 58 वर्ष पूरे होने से ठीक तीन महीने पहले उन्हे प्राचार्य ने सूचित किया कि आपको 58 वर्ष पूरे होने पर सेवा निवृत कर दिया जाएगा। पांडे जी ने प्राचार्य के तुगलकी फैसले के खिलाफ अपील की। जवाब मिला किन्तु चेयरमैन साहब से नहीं, वही प्राचार्य के कार्यालय से। हमारे विद्यालय के नियम के अनुसार आपको 58 वर्ष में ही सेवानिवृत कर दिया जाएगा। मन मसोस कर रह गए। नियत तिथि को विदाई समारोह संपन्न होने के बाद पांडे जी ऊटी से लखनऊ आ गए।

छोटा बेटा भी पढ़ा लिखा था। काफी लिखा पढ़ी की, किन्तु कहीं से सकारात्मक उत्तर नहीं मिला। आखिर थक हारकर उन्होने रिटायरमेंट के इस असंवैधानिक, गंदे और गलत निर्णय को उन्होने स्वीकार कर लिया। लेकिन मैं कहाँ माननेवाला ! मैंने भी ठान लिया था। पांडे जी को न्याय जरूर मिलेगा। मानव संसाधन मंत्रालय के सचिव को लिखा, मंत्रालय के सचिव आईएएस महोदय ने मेरे पत्र का जवाब देना उचित नहीं समझा। सोचा इगनोर करते हैं। मैंने मंत्री महोदय को लिखा, वही संसाधन मंत्रालय वाले भाई साहब को।

मंत्री महोदय तो और पावरफूल निकले। मेरी समझ में अब भी नहीं आया। मेरे मन में प्रजातंत्र, समाजवाद, आजादी और सूचना का अधिकार हिलोरे ले रहा था। अब मैंने प्रधान सेवक से इस बात का पता लगाना चाहा कि क्या यह विद्यालय वही ऊटी वाला मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन है या नहीं। बस लिख दिया, अपने प्रधान सेवक को। फिर वही बात दुहराई गई जो हमारे पांडे सर के साथ हुई।

लिखा प्रधान सेवक को उत्तर दिया मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने। आपने जिस विद्यालय का जिक्र किया है वह पब्लिक अथॉरिटी है ही नहीं। आज दो वर्ष बाद अखबार के पन्ने उलटते हुए देखा तो आंखें फटी की फटी रह गई। उसी मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सूचना आयुक्त को लिखित रूप मे यह दिया कि यह विद्यालय पब्लिक अथॉरिटी है।

पता नहीं चल रहा है, समझ नहीं पा रहा हूँ कि पांडे जी की सेवा निवृति के समय तो यह पब्लिक अथॉरिटी नहीं था, मेरे लिए भी यह पब्लिक अथॉरिटी नहीं था। सेक्रेटरी साहब के बदलने से यह संस्था ऊटी और सनावर वाली भी बदल गई। पांडे जी तो गए -लखनऊ। प्राचार्य महोदया भी शायद अब वहाँ नहीं हैं। हमारे लिए तो यह पब्लिक अथॉरिटी नहीं है - साहब के लिए वही मंत्रालय वालों के समय- समय पर सुविधानुसार है भी और नहीं भी !


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