पार्ट 21-क्या अनामिका वापस आएगी ?
पार्ट 21-क्या अनामिका वापस आएगी ?
आपने पिछले पार्ट में पढ़ा अंकित जब अनामिका के घर गया, तो बेहोश हो गया..सूरज उसे उठाकर लाया ..साथ ही आँटी ने अंकित को बताया कि उन्होंने अनामिका को नहीं देखा था ..सूरज अंकित को बताता है कि जब तक वो अनामिका से नहीं मिल लेगा या उसे जिंदा या मुर्दा नहीं देख लेगा...तब तक चैन से नहीं बैठेगा... अब आगे .........
सूरज लगभग भागता हुआ सा अंकित के पीछे -पीछे आया और बिल्कुल उसके पास आते हुए अपने घुटनों पर झुककर हाँफता सा बोला "रुक जाओ अंकित ..कहाँ जा रहे हो "
"तुम क्यों आ रहे हो..मेरे पीछे ...कहा ना बोतल खरीद कर रख दो और जाओ " अंकित ने रुक कर जवाब दिया और फिर चलने लगा
"कल तुम कुछ और थे ...आज तो साले ...आग फेंक रहे हो तुम ..हुआ क्या ऐसा? "
सूरज ने आश्चर्य से पूछा...दौड़ने की वजह से अब भी हाँफ रहा था..अंकित रूका और रास्ते में बनी एक मुँडेर पर बैठ गया और बोला
"तो क्या करूँ बताओ ?...ये तो तय है उसे ढूंढूंगा, लेकिन कैसे कहाँ ..कुछ समझ नहीं आ रहा ..लगता है इसमें वक़्त लगेगा ..और तुम्हें अपना घर तो देखना पड़ेगा ना यार " अंकित ने अपना दाहिना हाथ सिर के बालों में फसाते हुए कहा
सूरज :- (उसी मुंडेर पर अंकित के पास बैठते हुए ) "हद्द है इतना सब हो गया ..तुम अभी भी मानने को तैयार नहीं ?
सूरज :-"कैसे मानूं बताओ ना...एक दिन की बात होती तो सपना समझ कर भूल भी जाता..लेकिन..दो महीने..सुना.. दो महीने ..ना जाने कितने सपने देख डाले इस दौरान...कितना वक्त साथ गुजारा...मेरी जिंदगी का अस्तित्व ही उस से है .. एक ही मकसद है अब ...कहीं भी हो ..ढूंढ निकालूँगा उसे "
सूरज कुछ देर चुप रहने के बाद "एक बात मानोगे मेरी ..डॉ लाल के पास चलो .."
अंकित :-(तेज़ आवाज में) "मुझे किसी डॉ लाल या पीले के पास नहीं जाना.. ...एक बार और मत बोलना ऐसा कुछ...(हाथ जोड़कर) मुझे अकेला छोड़ दो ...जाओ अपने बीबी बच्चों के पास?"
सूरज :-(ताव में आते हुए ) "नहीं जाऊँगा ..कहीं नहीं जाऊँगा ..तुम्हें यूँ अकेला छोड़कर कहीं नहीं जाने वाला "
अंकित :-"अकेला? अकेला ही तो हूँ ..और कौन है साथ मेरे? .. तुम्हें भी तो यकीन नहीं ...ना मुझ पर ना मेरी बात पर."
सूरज :-"समझते क्यों नहीं ...अर् रे सोचो ना... किसी ने तो देखा होता ...किसी ने नहीं देखा ताज्जुब नहीं लगता तुम्हें ...? ना सरोज आँटी ने...ना मैंने ..ना ही किसी और ने .."
अंकित :-"(आसमान की ओर देखकर ) मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता .. ...ना देखा हो किसी ने ...मैंने तो देखा है ...मैंने प्रेम किया उससे...उसने मुझसे ...ये जो दुनिया कहती फिरती है चाहत सच्ची हो तो मिल कर रहती है...जैसा आप दूसरे को देते हैं बदले में वैसा ही मिलता है...तो क्या ये सारी बातें बस्स कहने भर को है?...जब मेरे प्यार में कोई कमी नहीं तो क्यों नहीं मिलेगी मुझे? ...बताओ ना यार "
एक गहरी साँस छोड़ते हुए सूरज ने अपने माथे पर हाथ फेरा और कुछ पल चुप रहकर बोला
"ठीक है..यही सही ...जब तक सच सामने नहीं आ जाता ..जब तक तुम्हें पूरी तरह तसल्ली नहीं मिल जाती... तुम मान नहीं जाते....मैं तुम्हारा साथ नहीं छोडूंगा ...अब ठीक है "
अंकित ने मुंडेर से उतरकर, मुस्कुराते हुए सूरज को गले लगाया और बोला "हाँ ये ठीक है"
सूरज :-"तो क्या सोचा है..फिर?"
अंकित :-"पता नहीं ....दिमाग जैसे बन्द है"
सूरज:-"भाभी के किसी रिश्तेदार का पता या फ़ोन नम्बर तो होगा नहीं ना?
अंकित:-" नहीं ...यार ..किसी का नहीं ..बहुत बड़ी गलती कर दी ...पूछा ही नहीं कभी"
सुरज:-"हम्म चलो ..इंस्पेक्टर नवीन के पास चलते हैं"
अंकित :-"मुझे नहीं लगता नवीन मदद कर पायेगा"
सूरज:-"कुछ और समझ में भी तो नहीं आ रहा अभी..
(फिर रुककर ) वैसे एक जान पहचान वाला है तो सही ...वो किसी विधायक के यहाँ काम करता है ...ऊँचे रसूख वाला कोई मदद कर सकता है हमारी"
अंकित :-"ठीक है चलो फिर ?"
सूरज :-"आज बाहर है वो ...नहीं मिलेगा ..."
सूरज ने कहने के साथ ही जब नजर उठाकर अंकित की ओर देखा वो निढाल सा सड़क पर ही बैठ गया ...सूरज को उसकी दशा पर बड़ा तरस आया ..अपना हाथ उसकी और बढ़ाकर बोला "चलो ...हाथ दो "
अंकित :-"कहाँ .."?
सूरज :-"अरे उठो तो ...दिमाग को खुराक मिलेगी तो कुछ सोच पायेगा ना"
सूरज ने अंकित का हाथ पकड़कर उसे उठाते हुए कहा ...दोनों उठे और सूरज उसे टैक्सी में बिठा ले गया, टैक्सी में बैठ थोड़ी देर बाद अंकित ने उससे हाथ के इशारे से इस भाव में पूछा कि 'कहाँ ले जा रहे हो '..लेकिन सूरज ने उसे अपने हथेली दिखाते हुए तसल्ली से बैठे रहने का इशारा किया ...थोड़ी देर में टैक्सी एक जगह रुकी और टैक्सीवाले को पैसे देकर सूरज, अंकित का हाथ पकड़ते हुए उसे साथ ले गया ..प्रवेश द्वार पर दोनों जब पहुंचे तो अंकित ने देखा दरवाजे के ऊपर लिखा था "मैक्स क्लब "
जब उसकी नजर सूरज पर पड़ी तो वो अपनी गर्दन हिलाते हुए झूम रहा था और मुस्कुराते हुए अंकित से बोला
"अच्छा सोचा ना मैंने ..आजा ...चल अंदर चले "
सूरज से अपना हाथ छुटाकर, खीजते हुए अंकित बोला
"ये सब है क्या ?..एक तरफ अनामिका नहीं मिल रही है...दूसरी तरफ कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है ..कि कैसे करूँ क्या करूँ... ..बिल्कुल दिमाग नहीं है क्या तुम्हारे पास,..एक- एक मिनट भारी पड़ रहा है...और तुम मुझे यहाँ ..इस क्लब में ले आये हो..
सूरज मुंह खोले जीभ को अपने ऊपर वाले साइड के दांतो पर टिका कर पहले तो अंकित को देखता रहा फिर बोला
"मेरे भाई भरोसा तो रख ...जो हमारे समझ में आया हम करके देख चुके हैं..अब एक ही रास्ता फिलहाल समझ आ रहा है और वो ये कि, कोई दबदबे वाला आदमी जिसकी बात पुलिस भी माने और बाकी के लोग भी, उसकी मदद मिल जाये ...तो उसके लिए भी कल चल रहे हैं ना .. ..वो सेक्रेटरी है यार ...मिलना हो गया तो समझो सारी मुश्किल हल ...ये सब पुलिस वुलिस सब भाग भाग कर काम करेंगे और भाभी मिल जाएगी ...दिमाग को भी शांत करना जरूरी है ना, इसलिए यहाँ लाया हूँ तुम्हें .... "
अंकित के पास कुछ भी बोलने को ना रहा और उसे शांत देख सूरज ने उसका हाथ पकड़ा और अंदर की तरफ खींच कर ले गया ..डाँस करने के लिए बोला, लेकिन अंकित के मना कर दिया, तो सूरज ने उसे एक सॉफ्ट ड्रिंक बनवा कर दे दी और खुद जाकर फ्लोर पर डांस करने लगा ..अंकित बहुत देर उदास बना रहा फिर सूरज को डांस करते देख उसके चेहरे पर मुस्कान तैर गयी ..कुछ ही मिनट हुए होंगे कि अंकित का मन उचटने लगा वहाँ से ..और दोनों बाहर निकल आये ...सूरज, अंकित के साथ चलने लगा ..कुछ देर दोनों चुप रहे ..
अंकित :-"पता है सूरज ...एक बार मैंने अनामिका से कहा कि मुझे यहीं अपने पास रुक जाने दो ...जानते हो उसने क्या कहा ?"
सूरज :-"हम्म... क्या ?"
अंकित :-"बोली कि घर पर कोई नहीं है ...तुम्हारा रुकना संस्कारों के खिलाफ माना जायेगा ..कितनी सुलझी हुई सोच है ना "
सूरज :-"हम्म .."
अंकित :-"ऐसा लगता है मानो सदियां बीत गयीं हैं उससे मिले..
काश मैंने उसकी बात मानकर सिंदूर भर दिया होता ..तो शायद वो जवाबदेही की जिम्मेदारी महसूस करती ..और कम से कम मुझे बता कर तो जाती .."
सूरज :-(गर्दन हामी में हिलाते हुए ) "हम्म"
अंकित :-"सूरज... मैं उसके बिना नहीं जी पाऊँगा ...नहीं जरूर वो किसी मुसीबत में है और मैं यहाँ चैन से हूँ"
सूरज :-"कहाँ चैन से हो तुम ...कितने तो ..परेशान हो यार .. "
अंकित :-(आवेग में) "परेशान होने से वो मिल तो नहीं गयी ...जहाँ उसके बिना एक पल जीना नहीं चाहता था ...वहीं कितने दिनों से उसके बिना जिये जा रहा हूँ ...धिक्कार है ऐसी जिंदगी पर"
बोलते हुए उसने अपने पैर को सड़क पर लगे खम्बे पर तेज़ी से मारा..सूरज ने उसे पकड़ा और सड़क से दूर, एक पत्थर पर बिठाते हुए बोला
"पागल हो गए हो क्या ? कैसी बातें कर रहे हों..अभी कुछ देर पहले तो बड़े जोश में थे.."
अपनी दोनों हथेलियां सूरज की ओर खोलते हुए अंकित झुंझलाते हुए बोला
"तो क्या करूँ ...बताओ ना ..करूँ क्या...कभी तो इतना गुस्सा आता है ..कि अगर सामने आ जाये ना ...तो दो तमाचे गालों पर जड़ दूँ ...उसके बाद पूछूँ कि बताओ कहाँ गयी थी? ....फिर ...माफ़ी मंगवा लूँ और ये हामी भी भरवा लूँ कि अगली बार कहीं भी जाये मुझे बता कर जाए ..... लेकिन ...जब उसका चेहरा आँखों के सामने आता है.... तो...तो सारी गुस्सा पता नहीं कहाँ उड़ जाती है...."
सूरज :-"....अब क्या बोलूं यार ...थोड़ा धैर्य रखो ..मिल जाएंगी ..और अभी दिन भी कितने हुए हैं... वक़्त लगता है यार "
अंकित :-"दिन ?....मुझसे पूछो ये जिंदगी नर्क है उसके बिना....एक- एक पल सालों सा लग रहा है , नहीं ...नहीं ..बस्स बहुत हुआ ...कल हम उस ...क्या बताया था तुमने ...?"
सूरज :-"वो विधायक का सेक्रेटरी "?
अंकित :-"हाँ वही ...कल उससे मिलते हैं...काम बना तो ठीक ...वरना ...मीडिया और अनशन का सहारा लूँगा ..."
सूरज :-"ठीक है ...जो तुम्हें ठीक लगे करो...मैं साथ हूँ तुम्हारे"
अंकित :-(हँसते हुए )"सबसे पहले तुमसे मिलवाऊंगा उसे ...कहूँगा.. ये देखो तुम्हारा लाडला देवर ..और मेरा जिगरी यार"
सूरज :-"हा हा हा "
अंकित :-" मेरे दुख का साथी ..सच में सूरज ....तकदीर तो अच्छी है मेरी ..तुम जैसा दोस्त मिला ..अनामिका जैसी प्यारी और काबिल लड़की का प्यार मिला ... ये अच्छी तकदीर ही तो है... बस्स अभी शायद तकदीर परीक्षा ले रही है ...अच्छा तुम्हें अनामिका के हाथों का खाना खिलवाऊंगा.. "
सूरज :-"अच्छा खाना बनाती हैं क्या भाभी ?"
अंकित :-"उँगलियाँ भी खा जाओगे तुम साथ में ..इतना अच्छा पकाती है"
सूरज :-(मुस्कुराते हुए) "अच्छा ...ठीक है भई देखेंगे "
अंकित :-"एक बार मैंने उससे बोला कि इतनी टेस्टी कॉफी कैसे बना लेती हो ..? तो उसने कई बार मुझे कॉफी बनाने का तरीका बताया "
सूरज :-"फिर...तुम्हें आया बनाना ? "
अंकित :-" आता तो तब ना .. जब ध्यान से सुनता ..हा हा ..
सूरज :-"हा हा हा "
अंकित :-"पूछता ही इसलिए था कि वो मेरे सामने बैठकर बोले और मैं, उसे कुछ पल और देख सकूँ...तब तक उसे प्रपोज़ नहीं किया था ...तो बस्स उसे देखता रहता ..क्या करूँ है ही इतनी प्यारी ..बहुत खूबसूरत है ....आह ..बहुत ही ....(फिर चाँद की ओर उँगली कर )..बिल्कुल ऐसी ही ...जिस वक्त उसने कहा कि मांग भर दो मेरी ....मैं पागल इतना खुश हो गया था.. कि उसे ये नहीं बता पाया कि तुम आज रोज़ से भी ज्यादा सुंदर दिख रही हो ...बिल्कुल चाँद जैसी ...आह .. "
फिर एकदम शान्त होकर शून्य में निहारने लगा उसे ऐसे देख सूरज ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला "चलें ?"
अंकित "हम्म.."
सूरज ने आगे बढ़कर टैक्सी रोकी तो अंकित बोला
"सूरज ...मैं सोच रहा हूँ ... जब यहाँ तक आ ही गये हैं तो क्यों ना पुलिस स्टेशन चलें .."
सूरज :-"तुम ही तो कह रहे थे यार ...कि नवीन मदद नहीं कर पायेगा "
अंकित :-" सो तो अब भी कहता हूँ ..लेकिन क्या पता कुदरत को हम पर तरस आ जाये शायद ...शायद कोई मदद या सुराग ही मिल जाये ..एक बार और पूछने में हर्ज़ ही क्या है "
सूरज :-"ठीक है ...चलो चलते हैं "
दोनों टेक्सी में बैठे और पुलिस स्टेशन पहुंच गए ..
पुलिस स्टेशन में नवीन बैठा मिला ,उसने जैसे ही अंकित और नवीन को देखा ..तो बोला
"अरे ..अंकित ...आओ ...आओ ..अच्छा हुआ तुम खुद ही आ गए वरना मैं खुद आने वाला था तुम्हारे पास "
मेज़ पर रखे अपने पैरों को उसने नीचे करते हुए कहा तो अंकित बड़ा उत्साहित होकर बिल्कुल उसके पास जाते हुए बोला
"क्या पता लगा सर.. बताइये ना "
"ऐसा है अंकित ...तुम्हारे लिए अच्छा यही रहेगा कि तुम सच्चाई स्वीकार कर लो,(अंकित के कंधे पर हाथ रखते हुए ) अनामिका इस दुनिया में नहीं है .."
अंकित :-(चीखते हुए ) " बकवास ...बिल्कुल बकवास ..झूठ है ये"
इंस्पेक्टर नवीन :-"....उसकी मौत का अंदाज़ा तो पहले ही था मुझे.. लेकिन तुम्हारी बातों में आकर ..और तुम्हें, अपने दिए गए वचन की खातिर फिर से तफ्तीश की मैंने .....मुझे लगता है तुम्हारी मुलाकात किसी अनामिका की हमशक्ल से हुई होगी ...अनामिका से नहीं "
सूरज :-"जान सकता हूँ इतने विश्वास से किस आधार पर कह रहे हैं आप "?
इंस्पेक्टर नवीन :-" बिल्कुल ... पुलिस को अनामिका की डेड बॉडी मिली थी..
अंकित दीवार से लगकर हाँफने लगा और उसके मुँह से 'नहीं ..नहीं ...ये नहीं हो सकता "
नवीन ने कहना जारी रखा "....और ये बात डेड बॉडी की फ़ोटो सहित, इस फाइल में दर्ज है ...
नवीन ने अपनी बात पूरी भी ना कर पाई थी कि 'धड़ाम 'की आवाज हुई ,चौंक कर ,इंस्पेक्टर नवीन और सूरज ने पलटकर देखा तो अंकित बेसुध होकर नीचे जमीन पर पड़ा था ..........
..................अगला पार्ट बहुत जल्दी .........