पापा की परी
पापा की परी
रिया कहाँ हो बिटिया?
मौना ने दरवाजे से ही आवाज दी तो एक हाथ में किताब और दूसरे हाथ में कल्छी पकड़े रिया रसोई से दौड़ लगाते हुये आई और किताब कल्छी वहीं टेबल पर रख वो मौना के गले से लिपट चहकते हुये बोली....
" मौसी आ गई , मौसी आप कितने दिनों बाद आई है। आपको मेरी याद नहीं आती?"
रिया शिकायती लहजे में बोली तो मौना प्यार से उसके गाल थप थपाते हुये बोली.....
"आती है न बिटिया बहुत आती है। तभी तो दौड़ी दौड़ी हर दो महीने में अपनी नौकरी से छुट्टी लेकर हाजिर हो जाती हूँ तुम्हारे पास। अच्छा बता छोटू कहाँ है? कहीं दिख नहीं रहा?"
ये है मौना रिया की मम्मी की छोटी बहन जिन्होंने अपना करियर बनाने के लिये अभी तक शादी नहीं की। अभी कुछ दिनों पहले रिया की माँ का एक्सीडेंट हो गया था। रिया के पापा ने उन्हें बचाने की बहुत कोशिश की। पैसा पानी की तरह बहाया फिर भी वो बारह साल की रिया और छह साल के छोटू को छोड़कर स्वर्ग सिधार गई।
तब मौना से सभी ने अपने जीजाजी से शादी करने के लिये कहा पर अपनी बहन की जगह लेने को न तो मौना तैयार थी। न ही उसके जीजाजी अपनी पत्नी की जगह किसी को देना चाहते थे। पर बच्चों का ख्याल रखने के लिये मौना बच्चों को अपने साथ रखना चाहती थी। पर रिया ने उसके साथ जाने से मना कर दिया था। इसलिये मौना एक दो महीने में बच्चों के पास आती रहती थी। आज भी वो बच्चों से मिलने आ पहुंची थी। और रिया से प्यार और सवाल दोनों कर रहीं थी। तो रिया मुस्करा दी और बोली ..
" छोटू सो रहा है मौसी।अच्छा मौसी जी आप बैठिये मैं आपके लिये चाय बनाकर लाती हूँ"
"अरे रिया तुमने चाय बनाना सीख लिया? और ये कल्छी से क्या बना रही थी? अभी तुम कितनी छोटी हो अभी से रसोई में काम करने लगी तुम? मैने जीजाजी से कहा था कि तुम दोनों को मैं अपने पास रखूंगी पर तुम नहीं मानी और आज देखो तुम से जीजाजी स्कूल जाने की उम्र में रसोई में काम करवा रहे है।
आने दो उन्हे मैं छोड़ूंगी नहीं उन्हे आखिर उनकी हिम्मत कैसे हुई मेरी लाड़ली से इतना काम करवाने की? ,,
मौना गुस्से से तम तमाती हुई बोली। तो रिया ने उन्हे ग्लास में ठंडा पानी देते हुये कहा...
"शान्त मौसी शान्त !! मुझे पापा ने कुछ भी बनाने के लिये नहीं कहा। पर मुझे उनकी परेशानी दिखती है। वो बिचारे ऑफिस से आते है फिर खाना बनाते है।शाम को ही कपड़े धोकर डालते है। छोटू को संभालते है।साफ, सफाई सभी कुछ करते है।और मम्मी को बचाने के लिये हुये खर्चे की वजह से पापा किसी को काम करने के लिये भी नहीं रख पा रहे। इसलिये इन सब परेशानियों की वजह से पापा मुस्कराना भी भूल गये!
जब मम्मी थी तो कितना खुश रहते थे वो। मम्मी पापा दोनों ऑफिस से आकर मिल बाँट कर सारे काम कर लेते थे। और वो दोनों हमारे साथ भी टाइम बिताते थे। पर उस दिन के एक्सीडेंट में माँ के जाने बाद जैसे सब कुछ बदल गया। अब इस घर में कोई मुस्कराता नहीं है।
छोटू तो अभी कितना छोटा है। काम की वजह से पापा उसे भी ज्यादा समय नहीं दे पाते। बस इसीलिये मैने चाय बनाना और सब्जी बनाने के साथ घर के और भी छोटे-मोटे काम करने सीख लिये। ताकि अपने पापा की हेल्प कर सकूँ।
और मौसी आपने हमें अपने साथ रखने की बात कहीं तो मैं जानती हूँ कि आप हमें बहुत प्यार से अपने पास रखेंगीं पर पापा का क्या? वो तो और भी दुखी हो जायेंगें अभी तो हम लोगों की वजह से वो थोड़ा खुश रहने की कोशिश भी करते है। फिर तो बो वो भी नहीं करेंगें! इसीलिये मैने आपके साथ जाने से मना किया था।"
एक बारह साल की लड़की के मुँह से इतनी समझदारी की बातें सुनकर मौना की आँखों में आँसू आ गये। माँ के जाने के बाद पापा और भाई के लिये प्यार और जिम्मेदारियों ने रिया को उम्र से पहले ही बड़ा कर दिया था। अपनी माँ की लाड़ली अपने पापा की परी आज सच में परी बनकर उनकी जिन्दगी में खुशियाँ लाना चाहती थी।
पर वो अपनी बड़ी बहन की बेटी के बचपने को यूँ खत्म नहीं होने देना चाहती थी। इसलिये मौना ने अपना ट्रांसफर इसी शहर में कराने का सोच लिया था ताकि वो अपनी बहन के बच्चों के पास रहकर उनकी देखभाल भी कर सके।ताकि रिया को एक हाथ में कल्छी और एक हाथ में किताब पकड़ जिम्मेदारियों के बीच पिसना न पड़े।
दोस्तों जब बच्चों के सर से माँ या बाप किसी एक का भी साया सर से उठ जाता है तो बच्चे बचपन में ही बड़े हो जाते है। फिर बेटियां तो होती ही इतनी जिम्मेदार है की वो छोटी सी उम्र में ही अपने पापा की परी की जगह माँ बनकर उनकी देखभाल करने लगती है। मैने सही कहा न मैने।
