पापा का प्यार

पापा का प्यार

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बचपन मे कई बार हमारी शैतानी पर हमे डाँट पड़ती थी।

कभी माँ से तो कभी पापा से ओर वो दोनों ही एक दूसरे के गुस्से बचाते रहते थे। ज्यादातर जब हमसे लैम्प की चिमनी साफ़ करते हुए टूट जाती थी तो पापा बोलते थे कि मुझसे टूटी है।

धीऱे धीरे माँ समझ ने लगी कि पापा झूठ बोलते हैं अपनी लाडली को बचाने के लिये बोलते थे। शादी के बाद भी जब गयी तो पापा की टॉर्च गिरकर टूट गयी और जैसे ही मैंने पापा को देखा तो वो समझ गये कि कुछ नुकसान हुआ है।

क्या यही प्यार है और उन्होंने बिल्कुल भी डांटा नहीं। पापा का प्यार बेटियों के लिये अनमोल होता है।


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