नयी दिशा
नयी दिशा
डॉ माथुर जैसे ही दूकान से पैसों का भुगतान करके अपनी कार की और मुड़े तो उन्होंने देखा कि एक आठ से दस साल का लड़का भागता हुआ आया और दूकान से ब्रेड चुरा कर सड़क की और दौड़ गया. दुकानदार उसे पकड़ने दौड़ा तो डॉ माथुर ने उसे रोक दिया और ब्रेड के पैसे दे दिए. फिर डॉ माथुर अपनी कार कीऔर मुड़ गए. कार के पास पहुँच कर उन्होंने देखा कि वह लड़का उनकी कार के पास ही खड़ा था और दौड़ते दौड़ते हांफ गया था. वह लड़का पीछे मुड़ कर देख रहा था कि कोई उसका पीछा तो नहीं कर रहा. डॉ माथुर उसके पास पहुंचे और उसके सर पर प्यार से हाथ फेरने लगे. डॉ माथुर ने लड़के से उसका नाम पूछा. वह लड़का कुछ न बोला और सिसकने लगा. लड़के ने बताया कि उसके छोटे भाई बहिन दो दिन से भूखे हैं.उनके लिए ही उसने ब्रेड चुराई है.
डॉ माथुर ने लड़के से पूछा ' क्या तुम मेरे घर चलोगे? मैं तुम्हे घर पर भर पेट भोजन करवाऊंगा. ' पहले तो लड़का हिचकिचाया. लड़के ने अपना नाम राजेश बताया और फिर साथ चलने को तैयार हो गया
कार चलाते वक़्त डॉ माथुर लड़के से बोले कि जो तुम कर रहे थे वह अपराध है, चोरी है , दुकानदार तुम्हे पकड़ कर पुलिस के हवाले कर देता तो तुम्हे जेल हो जाती. तुम्हारे भाई बहनों का ख्याल कौन रखता. राजेश रोने लगा और डॉ माथुर से विनती करने लगा. डॉ माथुर ने उसे समझाया कि वह उसे पुलिस के हवाले नहीं करेंगे.
डॉ माथुर ने राजेश से कहा कि तुम मुझे अपने बारे में बताओ. राजेश बोला कि मेरे परिवार में मेरे माता पिता, मैं और दो छोटे भाई बहिन हैं. मेरे माता पिता मज़दूरी किया करते थे. पिछले साल एक भवन निर्माण के समय उन दोनों के साथ दुर्घटना हुई और तीनो बच्चे अनाथ हो गए. राजेश पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. दोनों छोटे भाई बहिन की ज़िम्मेदारी उस पर आ गयी थी.रिश्तेदारों ने भी मुंह मोड़ लिया. एक रेस्टोरेंट में राजेश ने काम करना शुरू किया था. वहां पर एक दिन उस से कप प्लेट टूट गया तो मालिक ने उसके पेट में लात घूंसे मारे और काम से निकाल दिया. वह दो दिन बेहोश रहा. तीसरे दिन होश आने पर उसने देखा उसके भाई बहिन उसके पास बैठे रो रहे थे और दो दिन से भूखे थे. वह तुरंत उठा और पास की दूकान से रोटी चुरा लाया. तब से रोज़ वह ऐसा करने लगा पर पकड़ा कभी नहीं गया. डॉ माथुर की आँखों में राजेश की कहानी सुन कर आंसू आ गए. वह सोच रहे थे कि इस बाल मन पर क्या क्या गुजरी है. घर पहुँच कर डॉ माथुर ने राजेश को भर पेट भोजन कराया और थोड़ा भोजन उसके भाई बहिन के लिए भी दिया. कुछ पैसे देते हुए कहा कि अगले दिन आ कर उनसे मिले. राजेश भोजन ले कर चला गया.
डॉ माथुर सरकारी नौकरी से सेवा निवृत्त हो कर अपना अधिकतर समय सामाजिक कार्यों में लगते थे. परिवार की तरफ से कोई विरोध नहीं था.जब डॉ माथुर राजेश से मिले तो उसकी कहानी सुन कर उन्हें लगा कि वह जो कर रहा था वह उसकी नज़र में सही था पर समाज की दृष्टि से गलत था. वह लड़का भी समाज ki एक कड़ी है तो उस कड़ी को सुधारना भी समाज की ज़िम्मेदारी है. डॉ माथुर ने संकल्प लिया कि वह इस बालक के जीवन को नयी दिशा देंगे.एक बाल मनोवैज्ञानिक होने के नाते वे जानते थे कि आपराधिक प्रवृत्ति का आधार बदला लेना है. जब रेस्टुरेंट के मालिक ने उसके साथ क्रूरता का व्यवहार किया तो उसका यह वर्ताव बाल मन को झकझोर गया था. इस अनाथ बालक ने कौन से प्यार और सहानुभूति का अनुभव इस समाज से लिया है. उसने समाज का वो क्रूर रूप देखा है इसीलिए वह आपराधिक दिशा कि और बढ़ गया जो आगे चल कर समाज के लिए खतरा हो सकता है.
अगले दिन डॉ माथुर राजेश का इंतज़ार करने लगे पर वह नहीं आया. वह निराश हो गए. दो दिन बाद दरवाज़े की घंटी बजी तो राजेश को दरवाज़े प् खड़ा पाया. उसने बताया कि वह बीमार था इसलिए नहीं आ पाया. डॉ माथुर मुस्कराते हुए बोले आओ कुछ नाश्ता कर लो फिर मैं तुम्हे कहीं ले जाना चाहता हूँ. रास्ते में बड़े बाजार से उन्होंने तीनो बच्चों के लिए नए कपडे ख़रीदे,फिर उन्होंमे अपनी कार एक इमारत के आगे रोकी जिस पर बोर्ड लगा था बाल सुधार गृह.वणन पहुँच कर उन्होंने उस दिखाया कि किस प्रकार उसकी उम्र के कई बालक विभिन्न प्रकार के हुनर और कौशल सीख रहे थे जिन में निपुण हो कर वे अपना जीविकोपार्जन कर सकते थे. कुछ बालक कुम्हार का कौशल सीख रहे थे, कुछ शिल्पकार्य सीख कर मूर्तियां बना रहे थे, कुछ दर्ज़ी का हुनर सीख रहे थे कुछ लकड़ी का काम सीख रहे थे. राजेश वहां पहुँच कर बहुत खुश हुआ और डॉ माथुर से पूछने लगा क्या मैं भी यह कौशल सीख सकता हूँ. डॉ माथुर बोले हाँ जिस में तुम्हारी रूचि हो. राजेश ने कहा वो काष्ठकार का हुनर सीखना चाहता है जिस से ैपनी जीविकार्जन करेगा.
डॉ माथुर को यह देख कर संतुष्टि हुई कि उन्होंने राजेश को सही दिशा दिखा कर बाल मनोविज्ञान में एक नयूए कदम रखा है जो समाज से आपराधिक वृत्ति काम करेगा.