अलग-अलग सोच
अलग-अलग सोच
सुधीर आज बहुत खुश नज़र आ रहा था, नहीं उसकी तरक्की नहीं हुई थी पर उसने कुछ ऐसा किया था जो उसे सकून दे रहा था। पिछले साल से इसी लाल बत्ती पर उसे एक दस साल का बालक रोज मिलता था जो उसकी कार के शीशे साफ़ करता था और सुधीर उसे बीस रुपए देता था।सुधीर ने एक दिन उससे उसका नाम पूछा वो बोला राजेश था उसका नाम ।सुधीर ने पूछा क्या तुम स्कूल जाते हो ? वो बोला नहीं उसके माता-पिता बहुत गरीब हैं और उसके चार भाई-बहन हैं। उसके माता-पिता उन्हें पढ़ने के लिए नहीं भेज सकते। वो सुबह लाल बत्ती पर कारों के शीशे साफ़ करता है और दिन भर किसी रेस्त्रां में वेटर का काम करता है और रात आठ बजे वो अपने घर जा पाता है पर इतनी मेहनत के बाद भी उसकी कमाई ज्यादा नहीं थी।
सुधीर उस लड़के की कहानी सुनकर बेचैन हो उठा और सोचने लगा कि कितने ही ऐसे लोग हैं जो उसके जैसी जिंदगी भी नहीं जी सकते, वो भावुक हो उठा।उसने रात भर सोचा कि क्या वो उसकी सहायता कर सकता है।
सुधीर दिनभर ऑफिस में व्यस्त रहता था और रात को ऑनलाइन डाटा एंट्री जॉब करता था।
सोते-सोते उसे बारह बज जाते थे। सुबह जल्दी उठकर वो जॉगिंग पर जाता था घर लौट कर योग करता और फिर तैयार हो का नाश्ता कर के ऑफिस चला जाता था, घर से ऑफिस का रास्ता एक घंटे का था,
वो खुद ड्राइव करके ऑफिस जाता था। रास्ते में तीन-चार लाल बत्ती आती थी, एक लाल बत्ती पर एक गरीब परिवार कुछ सामान बेचता था , दूसरी लालबत्ती पर एक आदमी गुब्बारे बेचता था, एक लालबत्ती पर एक बुढ़िया गुलाब बेचती थी और आखरी लालबत्ती पर उसे राजेश मिलता था, पहले-पहले तो सुधीर उसे मना कर देता था फिर उसने सोचा वो कुछ काम करके ही तो पैसे कमा रहा है।
धीरे-धीरे सुधीर को राजेश से लगाव हो गया था, कभी सुधीर उसे कुछ खाने के लिए देता था, कभी उसे नए कपड़े लाकर देता थ। पहले तो राजेश सुधीर से कुछ लेने में हिचकिचाया पर सुधीर के बहुत कहने पर उसने वो सब ले लिया जो सुधीर ने उसे लाकर दिया।
एक दो बार ऐसे हुआ कि राजेश उसे नज़र नहीं आया तो सुधीर निराश हो गया, फिर जब राजेश उसे मिला तो उसने पूछा कहाँ रह गए थे।राजेश ने बताया उसे बुखार था पर माँ ने कुछ काढ़ा पिलाया और दो दिन आराम के बाद वो ठीक हो गया।सुधीर उस लड़के को देखकर सोचता था कि इतनी सी उम्र में ही कितना समझदार था शायद उसकी गरीबी ही इसका कारण थी।अगर ये पढ़ने स्कूल जायेगा तो इसकी गरीबी कम नहीं होगी।इस नन्हे जीवन के लिए पैसे कमाना ही एक मात्र लक्ष्य था।
सुधीर उसकी ऐसी मदद करना चाहता था कि आजीवन उसे तंगी न हो।वो कई जगह इस बारे में बात करता था ।सुधीर जानता था कि राजेश को कहीं अच्छी जगह काम मिला तो वो बढ़िया तनखाह पा सकेगा।
एक दिन सुधीर ने अख़बार में एक इश्तिहार देखा कि पूरे दिन के लिए एक लड़के कि जरूरत है जो घर का सारा काम करे और उसे वहीं रहना पड़ेगा ये इश्तिहार एक बुजुर्ग दम्पति ने दिया था जो बहुत बड़े घर के मालिक थे पर वो अकेले थे और घर कि देखभाल के लिए उन्हें नौकर रखना था ।सुधीर ने उनलोगों को फ़ोन करके तनखाह पूछी और उनका जवाब सुनकर सुधीर ने उन्हें कहा वो किसी और को नौकर न रखें वो एक लड़के को जानता है जो इस काम के लिए उचित है।बुजुर्ग दम्पति बड़े खुश हुए उन्होंने सुधीर तो तसल्ली दी वो सुधीर का इंतज़ार करेंगे।
सुधीर झटपट तैयार हो ऑफिस के लिए निकला और राजेश को सब बता दिया, राजेश बोला उसे माता-पिता से पूछना होगा और वो सुधीर को अपने घर ले गया । सुधीर ने जब उसका घर देखा तो उसे गरीबी में जीने वाले लोगों पर तरस आ रहा था पर वो खुश था आज वो राजेश की गरीबी कम करने में सहायता कर रहा था।उसके माता-पिता ने पहले इंकार कर दिया वो बोले पहले वो वहां जाकर उस बुजुर्ग दम्पति का घर देखना चाहते हैं जहाँ उनके बेटे को रहना पड़ेगा,
सुधीर राजेश और उसके माता-पिता को लेकर उन बुजुर्ग दम्पति के घर पहुंचा और उनकी मुलाकात करवा दी। राजेश के माता-पिता दुःखी थे उन्हें बेटे से दूर रहना होगा । उन बुजुर्ग दम्पति ने कहा जब राजेश का मन करेगा वो अपने ड्राइवर के साथ उसे भेज देंगे।
राजेश के माता-पिता बड़े खुश हुए और उनका धन्यवाद करने लगे। राजेश वहीं बंगले में रह गया और सुधीर लौट आया।
एक महीने बाद सुधीर को उन बुजुर्ग दम्पति ने सुधीर को फ़ोन किया कि वो राजेश के पूरे परिवार को अपने साथ रखने को तैयार हैं।सुधीर ने जाकर ये बात राजेश के माता-पिता को बताई और उनके परिवार को लेकर बंगले पर गया वहां उन्हें छोड़ आया।
आज उसी लालबत्ती पर जहाँ उसे राजेश मिला था सुधीर गर्व से फुला नहीं समा रहा था ये सोचकर कि जिस लालबत्ती पर कई मोटर-गाड़ियां आकर रूकती हैं उसी लालबत्ती पर एक इंसान को नयी राह मिली और उसकी जिंदगी आगे बढ़ गयी।
लालबत्ती तो वही होती है पर सोच अलग -अलग।
