Manjula Pandey

Tragedy Inspirational Others

3.4  

Manjula Pandey

Tragedy Inspirational Others

नन्हीं आंखों के प्रश्न-भाग २

नन्हीं आंखों के प्रश्न-भाग २

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उसने बड़ी उम्मीदों से मालविका की तरफ देखा...

मालविका मनोविज्ञान की शिक्षिका थी तो उसे समझ में आ गया कि छात्रा का अटल विश्वास है कि वह नवजात कन्या पूर्ण रूप से मेरे पास सुरक्षित रहेगी.......

हालांकि उस बच्ची के लालन-पालन की जिम्मेदारी लेने के लिये मालविका को कई प्रकार की कठोर कानूनी कार्यवाही से गुजरना पड़ा ,साथ ही अपने परिवार के कई प्रकार के उलाहने भी सुनने पड़े....


जिस छात्रा ने उस बच्ची की सूचना दी थी उस दिन के बाद वो छात्रा नियमित रूप से मालविका के घर पर आने लगी थी ,वह उस बच्ची से बहुत स्नेह करने लगी थी ........वो बालिका घंटों उस बच्ची के साथ अपना समय व्यतीत करती ....कभी कभी अचानक उस बच्ची को गले लगाकर उसे चूमने लगती।


मालविका के मन में उस छात्रा को देख कर कई प्रश्न बनते और उभरते थे लेकिन बहुत कुछ जो वो समझ रही थी उसे उसने जुबान से बाहर लाने की कोशिश नहीं की......

कुछ समय बाद मालविका का उस स्थान से स्थानान्तरण हो गया। जिस दिन मालविका ने वो स्थान छोड़ा वो छात्रा उस दिन बहुत सुबह मालविका के घर आ बैठी और घंटों उस बच्ची को गोद में ले उसे चूमती, पुचकारती और रोती रही...

मालविका ने ने उस दिन उस छात्रा की आंखों में छिपे उस दर्द को भी देखा जो आंसू बन कर बहने को तैयार था जिसे वो जबरन छिपा रही थी ।इस कोशिश में उसके चेहरे में दर्द की रेखाएं और गाढ़ी हो रहीं थीं...


आते समय उस छात्रा ने मालविका के चरणस्पर्श किये और आंसू भरी आंखों से बच्ची की तरफ देखा ...ऐसा लग रहा था कि जैसे वे बच्ची की ताउम्र सुरक्षा व लालन-पालन हेतु उसके प्रति कृतज्ञता प्रकट कर रही हो....

मालविका ने भी उसे उसी मौनता के साथ नजरों से आस्वस्त किया जैसे वो उसके ह्रदय को समझ रही है....और भारी मन से वो बच्ची को साथ लेकर अपने नवीन कार्य स्थल की ओर बढ़ चली।

   धीरे -धीरे कई साल निकल गये, अब वो नन्ही बच्ची पूरे तेरह बसंत पार कर चुकी थी।

....... क्रमशः


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