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Manjula Pandey

Others

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Manjula Pandey

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नन्हीं आंखों के प्रश्न

नन्हीं आंखों के प्रश्न

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मां आस्था,मां विश्वास ,मां ममता का सागर होती है।मां के कदमों में जन्नत,

और आंचल में अपने बच्चे के लिये ममता भरा प्यार ,सुनहरे सपनों का संसार रखती है.......

इस तरह की बातें मालविका रोज ही उससे किया करती थी। जिन्हें सुनकर उसकी कौतूहल भरी नजरें हमेंशा बहुत कुछ पूछने के लिए उद्धत रहती थीं।मिनी की नजरों में मालविका ये स्पष्ट पढ़ लेती थी की वे अपनी मां के विषय में ज्यादा से ज्यादा जाने के लिए उत्सुक हैं....


मालविका एक सरकारी विद्यालय में शिक्षिका थी। मालविका एक आदर्श कर्मठ व क्षमता से अधिक कार्यों के श्रेष्ठ निष्पादन हेतु अपने विभाग में बहुचर्चित थी ,वैसे तो उसके पास इतनी फुरसत नहीं थी की वे अपने जीवन के खालीपन को महसूस कर पाती,अपने उत्तरदायित्व को निभाते- निभाते  कभी पता ही नहीं चला था कब वो उम्र के पचास बसंत पर कर चुकी है..... उसे अपने छात्राओं के बीच समय बिताना अच्छा लगता था ,पढ़ने -पढ़ाने के अतिरिक्त वो छात्राओं को कौशल क्षमता विकास हेतु प्रेरित करती थी।

इस वजह से वे अपनी छात्राओं की भी चहेती शिक्षिका बन गई थी। लेकिन मिनी की उपस्थिति ने उसके जीवन को पूर्ण पूर्णता प्रदान की थी।


एक दिन एक छात्रा दौड़ती हुई आई और हांफते हुए बोली "मैम। वहां रास्ते एक नन्ही बच्ची झाड़ी में पड़ी है।आप ना उसे अपने पास रख लीजिए।पाल लीजिए उसे!छोटी सी है बड़ी सुंदर है वो!.....

अभी ना! वहां कुछ पुलिस वाले खड़े हैं वहां.......आप ले आते ना मैम उस बच्ची को!आप ना उसे अच्छा बना दोगे"......

उसने बड़ी उम्मीदों से मालविका की तरफ देखा...

मालविका मनोविज्ञान की शिक्षिका थी तो उसे समझ में आ गया कि छात्रा का अटल विश्वास है कि वह नवजात कन्या पूर्ण रूप से मेरे पास सुरक्षित रहेगी.......

हालांकि उस बच्ची के लालन-पालन की जिम्मेदारी लेने के लिये मालविका को कई प्रकार की कठोर कानूनी कार्यवाही से गुजरना पड़ता।


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