Kameshwari Karri

Tragedy

4  

Kameshwari Karri

Tragedy

नज़रिया

नज़रिया

8 mins
507


  विजया ने नींद में एक बहुत ही बुरा सपना को देखा जिसे देखते ही नींद में भी उसकी रूह काँप उठी। वह उठकर बैठ गई। विजया के पति आयकर विभाग में काम करते थे। दो बेटे थे दोनों पढ़ लिखकर अच्छी नौकरी कर रहे थे। उनका विवाह भी उन्हीं की मर्ज़ी से उनके द्वारा चुनी गई लड़कियों से ही हुआ। अब दोनों बेटे विदेश में रहते हैं। पिता अखिलेश जी की मृत्यु की ख़बर सुनकर दोनों अपनी पत्नियों के साथ आए थे। सारी रीति रिवाजों के साथ पिताजी का क्रिया कर्म किया। जाने से पहले दोनों बातें कर रहे थे कि माँ को कौन अपने साथ रखेगा दोनों की पत्नियों ने साफ़ इंकार कर दिया था कि नौकरी करते हुए उनकी ज़िम्मेदारी हम नहीं ले सकते। अब बेटों ने भी तय कर लिया कि जो होगा देखेंगे।अभी तो चुप रहते हैं!!उस बारे में कोई भी बात नहीं करेंगे। दूसरे दिन दोनों ने माँ से कहा हमारी छुट्टियाँ ख़त्म हो गई हैं और अब हम लोग कल निकल रहे हैं। विजया ने कहा ठीक है जैसा तुम चाहो!! दोनों बेटे मन ही मन खुश हो रहे थे कि माँ ने कुछ कहा ही नहीं…. चलो अच्छा है हमारे मना करने से लोगों के बीच !!हम बुरे बन जाते थे। अब माँ ने ही कुछ नहीं कहा तो !!शायद उसे आने की इच्छा नहीं है।कोई बात नहीं हमारा काम बिना नोकझोंक के हो गया कहते हैं न लाठी भी नहीं टूटी साँप भी मर गया वाहह। विश्वास और विनोद ने जाते समय माँ पर बहुत प्यार जताया गले लगे। थोड़ी बहुत आँसू भी बहाए। बहुओं ने भी सासू माँ के पैर छुए और अपना ख़्याल रखने की हिदायतें दी साथ ही रोज फ़ोन करने का वादा भी किया और फुर्र से उड़ गए। उन बेवक़ूफ़ों को मालूम ही नहीं था कि कल की उनकी बातों को माँ ने सुन लिया था। वह उन्हें तकलीफ़ नहीं देना चाहती थी।इसलिए उनके साथ जाने के बारे में कुछ नहीं कहा और तो और लोगों के पूछने पर भी यही कहा कि वह इसी घर में रहना चाहती है। इसलिए उनके लाख बुलाने पर भी नहीं गई। आख़िर वह माँ है न। यहाँ तक ठीक है। विजया ने ऐसा कौनसा बुरा सपना देखा था जिसके कारण वह नींद में भी डर गई थी। 

अखिलेश के गुजर जाने के बाद वह अकेली पड़ गई थी। पति के न होने के ग़म से उभरने के लिए उसने घर के पास के ही पार्क में जाना शुरू किया और वह एक बेंच पर बैठकर बच्चों को खेलते हुए देखती थी और अपना मन बहला लेती थी। किसी से बात नहीं करती थी। एक दिन ऐसे ही अपना सर झुकाकर बैठी थी और बीच -बीच में बच्चों पर नज़र डाल रही थी तभी किसी ने पुकारा विजया!!!विजया ने देखा कि रामनाथ जी हैं जो पति के रिश्ते में भाई लगते हैं। उसने झुककर उनके पैर छुए!!!!

रामनाथ ने कहा — विजया मैंने सुना था कि अखिलेश के गुजरने के बाद तुम अपने बच्चों के साथ विदेश चली गई हो ? इतनी जल्दी वापस भी आ गई पता ही नहीं चला। विजया ने कहा- नहीं रामनाथ जी मैं यहीं रह रही हूँ मैं उनके साथ नहीं गई। मुझे अकेला रहना ही पसंद है !!!बाद में देखूँगी क्या करना है। रामनाथ जी की पत्नी भी चार साल पहले गुजर गईं थीं। उनके दोनों बच्चे बाहर रहते हैं।वे भी अकेले ही रह रहे हैं। 

विजया रोज पार्क में बैठने जाती थी और उसी समय रामनाथ जी भी आते थे दोनों ही अकेले थे। कहते हैं न कब किस के साथ हमारा दिल लग जाता है मालूम नहीं हम उनसे बिना अपने मन की बातों को छिपाए सब कह लेते हैं। वे हमें अपने से लगने लगते हैं। दोनों का दर्द एक जैसा ही था कब वे एक दूसरे से अपने दुःख दर्द बाँटने लगे पता ही नहीं चला। दोनों एक दूसरे के घर भी आने जाने लगे। विजया कुछ अच्छा बनाती थी तो रामनाथ को देने जाती थी। रामनाथ उसके लिए बाज़ार से कुछ लाना है तो ला देते थे। उन दोनों के उम्र में बहुत फ़र्क़ था रामनाथ जी ७५ के क़रीब थे और विजया ६५ के आसपास पर दोनों एक दूसरे को दोस्त की नज़र से देखते थे पर हमारे समाज में एक औरत और एक मर्द दोस्त कभी नहीं हो सकते चाहे उनकी उम्र कितनी भी क्यों न हो।ये दोनों !!लोगों की बातों से बेख़बर थे।उन्हें नहीं मालूम था कि लोग उनके लिए क्या -क्या बातें बना रहे हैं। किसी ने कहा -दोनों ने शादी कर ली है ,साथ मिलकर ट्रिप पर भी जाते हैं। दोनों अपने -अपने घरों में अलग से रह रहे हैं क्योंकि शादी के बारे में पता चलते ही विजया को पति का पेन्शन नहीं मिलेगा।इसलिए चुप्पी साधे हुए हैं। जितनी मुँह उतनी बातें!!!! दूसरे लोगों को भी मौक़ा मिल गया चाची या मासी कहकर पहुँच जाते थे।कुछ कहो —तो हम क्यों नहीं कहते!!!!!

कल ही सासु माँ के भाई आए थे।यह बताने कि बिरादरी में थू थू हो रही है।तुममें शर्म लिहाज़ नहीं है क्या? कहते हुए बहुत सारी बातें सुना गए। विजया ने सोचा क्या करूँ ? इन सबकी बातों से दिल दुख रहा था और आँसू है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे। तभी डोर बेल की आवाज़ सुनाई दी शायद कामवाली बाई है सोचते हुए दरवाज़ा खोला तो आश्चर्य का ठिकाना नहीं क्योंकि दोनों बेटे बाहर खड़े थे। जिस तरह से भरी दोपहरी में एक गिलास ठंडा पानी मिल जाए तो मन को सुकून मिलता है वैसे ही दोनों बेटों को देखते ही विजया भी फूली न समायी। विजया ने कहा - अरे !!! तुम लोग बिना बताए अचानक से आ गए ? विनोद ने कहा क्यों बताकर आना था क्या आपकी ख़ुशी में ख़लल पड़ गई है? आप बेफिक्र रहिए हम जल्द ही चले जाएँगे। विजया ने कहा यह क्या बात हुई न दुआ न सलाम आते ही लड़ने बैठ गया। तेरी आदत नहीं बदली अब भी बचपना नहीं गया है। 

चलो कॉफी बनाती हूँ पीते हुए बात करेंगे। दोनों फ़्रेश होने चले गए। विजया कॉफी बनाते हुए सोच रही थी कि ये दोनों अचानक क्यों आए हैं कुछ तूफ़ान आने वाला है क्या? 

कॉफी लेकर आती है तब तक विनोद और विश्वास दोनों आकर बैठ गए। सब चुपचाप कॉफी पी रहे थे तभी अचानक विनोद ने कहा जो बड़ा बेटा है माँ कल मामा जी ने फ़ोन किया था। हम यह क्या सुन रहे हैं ? आप इतनी बड़ी हो गई हैं और इस उम्र में यह सब शोभा देता है क्या ?छोटा बेटा विश्वास ग़ुस्से वाला है वह तो ज़ोर -ज़ोर से चिल्लाने लगा।आपने तो हमारा सर शर्म से झुका दिया।इस उम्र में यह सब शोभा देता है क्या? हमें इतने दूर से आपको समझाने के लिए आना पड़ा।आप छोटी बच्ची तो नहीं हैं बताइए आपने सचमुच शादी कर ली है क्या? मैं कुछ नहीं बोल सकी।मेरे बच्चे मुझसे इस तरह की बातें कर रहे हैं।हे भगवान इनकी बातें सुनने से पहले मुझे मौत क्यों नहीं आई। सोच ही रही थी कि विनोद ने पुकारा माँ !!हम आपसे बात कर रहे हैं कुछ बोलिए!!!!क्या बोलूँ ?दुनिया से तो फिर भी लड़ा जा सकता है पर अपनों से ? मैंने सिर्फ़ इतना ही कहा क्या आपको मुझ पर भरोसा नहीं है? माँ आप पर भरोसा है तो क्या ? दुनिया का मुँह कैसे बंद कर सकते हैं।सबकी ज़ुबान पर सिर्फ़ आप दोनों का नाम है बोलिए क्या सफ़ाई देंगी और किस - किस को देंगी। विजया ने विनोद से कहा विनोद तुम्हारे साथ कॉलेज में पढ़ती थी न रिचा वह अब कहाँ है? अरे माँ वह तो मेरी बहुत अच्छी दोस्त है अभी भी हम मिलते हैं और फ़ोन पर घंटों बात भी करते हैं।बड़ा मज़ा आता है पर अभी उसका नाम आप क्यों ले रही हैं ? 

विश्वास तुम्हारे साथ भी तो तुम्हारी दोस्त सरिता थी न। हाँ माँ उसकी भी शादी हो गई है। उसके पति बड़े अच्छे हैं। हम दोनों बातें करते हैं न फिर भी वे बुरा नहीं मानते हैं। आजकल ऐसे लोग कहाँ मिलते हैं बोलिए न ? हाँ आप दोनों ने सही कहा जब आप दोनों जवान थे फिर भी मैंने आप लोगों की दोस्ती को समझा।आप लोगों का समर्थन किया।आप लोगों को मालूम है न आपके पापा और दादी को यह दोस्ती पसंद नहीं थी पर मैंने उन लोगों को समझाया था कि एक लड़की और लड़का दोस्त क्यों नहीं हो सकते हैं। हमें अपने बच्चों पर विश्वास होना चाहिए फिर लोगों का मुँह तो अपने आप बंद हो जाएगा। जब तब मैंने आप लोगों पर विश्वास किया आप लोगों की दोस्ती को समझा फिर आप दोनों हम दोनों की दोस्ती को क्यों नहीं समझ सकते। हम दोनों उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां हमें एक दोस्त की ज़रूरत है। जिसे अपने दिल की बातों को बेझिझक कह सकें। लोगों का क्या है बच्चों !!!उनका तो काम ही है कहना।हम ही उनका मुँह बंद कर सकते हैं। आप ही मुझे नहीं समझ सके तो दूसरों के लिए मैं क्या कह सकती हूँ। दोनों बेटों ने अपना सिर शर्म से झुका लिया। माँ हम आपके साथ हैं।आपकी दोस्ती में कोई अड़चन नहीं आएगी। उसी समय रामनाथ भी आए अरे !!आप दोनों कब आए ? विजया तुमने तो मुझे बताया ही नहीं कि ये दोनों आ रहे हैं। तुम आज मैदान में नहीं आई तो मुझे फ़िक्र हो रही थी कि कैसी हो एकबार देख लूँ। चलो बहुत अच्छी बात है। तुम्हारे शुगर टेस्ट की रिपोर्ट मैंने ले ली है लो और अपने बच्चों के साथ मज़े करो पर चीनी कम खाना समझी। बॉय !!बच्चों माँ का खयाल रखना कहते हुए चले गए। विनोद को लगा लोगों की बातें सुनकर वे कितनी बड़ी गलती करने जा रहे थे। हम तो उनका सहारा बन नहीं पाए पर जो सहारा उन्हें मिला अपनी न समझी में उसे भी खोने वाले थे। उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया और माँ से कहा माँ आप अपना जीवन अपने तरीक़े से जिएँ आपको कोई नहीं रोकेगा। हम आपके साथ हैं। जब भी आपका दिल करें आप हमारे पास ज़रूर आएँ। उनकी बातें सुन कर विजया के दिल से बहुत बड़ा बोझ उतर गया। उसने अपने दोनों बच्चों को गले लगाया। आज उसे अपनी परविरिश पर गर्व महसूस हो रहा था। 


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Tragedy