नज़रअंदाज़
नज़रअंदाज़
रास्ते में उसे एक बैग पड़ा मिला जिसमें कुछ कागजात और एक सौ की गड्डी रखी हुई थी।
बैग में पड़े आधार कार्ड को उसने जानबूझ कर नज़रअंदाज़ कर दिया... उसमें पता जो मिल जाता।
सौ की गड्डी अब उसके जेब में थी।
चंद पलों के लिए ही सही, ईमान से नजरें चुरा कर उसने अपना दस हज़ार का नुकसान बचा लिया था... ऐसा उसका मानना था।