निश्चल प्रेम
निश्चल प्रेम


महक ने कई बार आदित्य को मना किया है कि उसे ऐसी हरकतें पसंद नहीं है लेकिन वह भी कहाँ मनने वाला था, इतने दुत्कार सुन कर भी महक के चारों तरफ़ भँवरे की तरह मंडराता रहता और आए दिन उसके लिए तोहफ़े ले आता।
महक और आदित्य एक बड़ी कम्पनी में काम करते थे। दोनो के कार्यक्षेत्र वैसे तो अलग अलग थे लेकिन बैठते एक ही फ़्लोर पर थे। आते-जाते आदित्य महक को कुछ ना कुछ कह जाता और महक नाराज़ हो जाती। महक पहले से यहाँ काम करती थी और आदित्य को यहाँ आए अभी छः महीने ही हुए थे।
आदित्य ने जब से महक को देखा है दिवानो कि तरह उसे पसंद करने लगा है। किसी ने उससे पूछा भी कि वह इतना स्टाइलिश और दिलकश, फ़ैशन और ब्रांड के पीछे पागल है फिर उसे महक जैसी साधारण सि लड़की कैसे अच्छी लगती है। या सिर्फ़ उसे नाराज़ कर मज़ा लेने के लिए वह ये सब करता है। इसपर उसने कहा था महक की सादगी, संजीदगी उसे भा गई है। उसकी साफ़ निश्चल आँखें तो किसी को भी बस में कर लें ऐसा जादू है।
इधर महक पर उसके किसी भी उपाय का असर नहीं होता। समय पर ऑफ़िस आती और काम ख़त्म होते ही घर निकल जाती। शुक्रवार को प्रायः सभी मित्रों का कुछ ना कुछ प्लान बनता और सभी साथ में निकलते थे लेकिन महक कभी भी इनके साथ नहींं जाती।
आज
महक की ऑफ़िस में सबसे करीबी दोस्त का जन्मदिन था और सभी ने बाहर साथ में खाने-पीने और मज़े करने का प्लान बनाया। लेकिन महक ने इस बार भी मना कर दिया, इसपर महक की दोस्त नाराज़ हो गई। महक को कुछ बुरा लगा की उसके कारण उसकी प्यारी दोस्त नाराज़ नो गई।
महक ने कॉफ़ी के दो मग लाए और दोस्त को साथ लेकर ऑफ़िस के मीटिंग रूम में ले गई और उसे अपने बारे में बताना शुरु किया। जैसे जैसे वह महक के बारे में जानती वह आश्चर्य से स्तभ होती जाती। महक ने जब उसे अपने शादीशुदा होने की बात कही उसे सहज ही विश्वास नहीं हुआ।
महक ने यह भी बताया कि एक दुर्घटना में उसके पति का आधा शरीर निष्क्रिय हो गया है और इसलिए उसे ऑफ़िस के बाद घर जाने की जल्दी होती है।
जैसा कि आदित्य की आदत थी महक के पीछे भागते रहने की उस समय भी उसने यही किया था और महक की सारी सच्चाई मीटिंग रूम के दरवाज़े के पीछे छुप कर सुनता रहा। यूँ तो सच्चाई सुन कर आदित्य को भारी झटका लगा था लेकिन साथ ही महक के प्रति उसका आकर्षण और बढ़ गया था। यह जानते हुए कि महक से वापसी में उसे वह भावना नहीं मिलने वाली जैसा वह उसके लिए रखता है, आदित्य स्वयं को उससे प्रेम करने से नहीं रोक पाया।