निर्णय

निर्णय

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नेहा के दिमाग़ में उथल पुथल मची थी। उसका दिल घबराहट से बैठा जा रहा था और भावनाएँ हावी क्या सच था ? वह रोहित जिसे उसने अभी थोड़ी देर पहले देखा था या वह रोहित जिसे वह पिछले सात सालों से जानती है। नेहा रोहित से प्यार करती है और उसके साथ सारी उम्र बिताने के सपने देखती है। उसका दिल यह मानने को तैयार नहीं हो रहा था कि रोहित भी कभी उसे धोखा दे सकता है। 

परन्तु अभी थोड़ी देर पहले ही उसने रोहित को किसी दूसरी महिला के साथ स्कूटर पर जाते देखा था और उनके साथ एक लगभग दो वर्षीय बच्चा भी था। वह महिला रोहित के साथ ऐसे बैठी थी मानो वह उसकी पत्नी हो।

रोहित और नेहा कॉलेज में सहपाठी रहे थे और फिर दोनों का एक ही कम्पनी में कैम्पस सेलेक्शन हो गया था, इसलिये अब वे सहकर्मी भी थे। नेहा जब भी रोहित से शादी की बात करती थी तो रोहित हँस कर टाल जाता था और कहता था कि सही समय आने पर दोनों शादी कर लेंगे।

अभी नेहा घर पहुँची ही थी कि रोहित का फ़ोन आ गया

“ सॉरी नेहा ! मुझे घर पर कुछ ज़रूरी काम था इसलिये ऑफ़िस से जल्दी आ गया था , तुम कहाँ हो ? घर पहुँची या नहीं ?”

नेहा ने बुझी सी आवाज़ में जवाब दिया “ हाँ , घर पर ही हूँ , क्या तुम अभी मेरे घर आ सकते हो ? तुमसे कुछ ज़रूरी बातें करनी हैं “

“ अरे यारअभी तो रात हो चुकी हैमैं तुमसे कल ऑफ़िस में मिलता हूँ “ रोहित का जवाब था। 

नेहा ने अपने क्रोध पर क़ाबू रखते हुए कहा “ क्यों ? अभी क्यों नहीं आ सकते ? क्या तुम अपनी पत्नी और बच्चे के साथ हो ? “

“ ये क्या कह रही हो नेहा ? मैं तुमसे प्यार करता हूँ , इसमें बीच में पत्नी और बच्चा कहाँ से आ गया “ रोहित सकपकाते हुए बोला। 

इसी बीच नेहा को फ़ोन पर बच्चे के रोने की आवाज़ सुनाई दी तथा साथ में एक महिला की भी जो कह रही थी “ सुनियेज़रा मुन्ने को पकड़िये तो मैं इसकी दूध की बोतल तैयार कर दूँ “

अब तो शक की कोई गुंजाइश ही बाक़ी न रही थी। नेहा ने फ़ोन पटक दिया और किसी टूटी बेल की तरह बिस्तर पर गिर पड़ी। आँसुओं का सैलाब उसकी आँखों से बह निकला और रोते रोते कब उसकी आँख लग गई, उसे पता ही न चला। 

सवेरे जब वह सो कर उठी तो उसका सिर दर्द से फटा जा रहा था। उसने सोचा

“ आज ऑफ़िस नहीं जाऊँगी , मैं रोहित की शक्ल भी नहीं देखना चाहतीपर कितने दिन ? क्या दूसरी नौकरी ढूँढ लूँ ?”

उसने अपने बॉस को मैसेज किया कि आज उसकी तबियत ठीक नहीं है, इसलिये वह ऑफ़िस नहीं आ पायेगी। फिर नेहा बिस्तर से उठ कर अपने लिये चाय बनाने चल दी। 

किचेन में जाते समय उसकी नज़र सामने लगे आइने पर पड़ीं। रोने के कारण अपनी सूजी हुई आँखों को देख कर वह सोचने लगी

“ एक दिन में ही मैंने अपनी कैसी सूरत बना ली हैदेखने में अच्छी भली तो हूँफिर रोहित ने मुझे ठुकरा कर दूसरी शादी क्यों कर ली ? मेरे प्यार में कहाँ कमी रह गई ? क्या रोहित ने शादी करने से पहले एक बार भी मेरे बारे में नहीं सोचा ?”

रोहित का ख़्याल आते ही उसकी आँखों से फिर आँसू बह निकले। 

तभी दरवाजे़ पर दस्तक हुई। नेहा ने दरवाज़ा खोला तो सामने रोहित खड़ा था , थोड़ा अस्त व्यस्त साबढ़ी हुई दाढ़ी , बिखरे बाल और बुझी सी आँखें। नेहा को देखते ही वह बोला

“ तुम ऑफ़िस क्यों नहीं आईं ? क्या तुम जानती नहीं, मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ ? “

“ मुझे तुमसे कोई बात नहीं कर करनी रोहिततुमने मेरे प्यार और विश्वास का बहुत अच्छा सिला दिया हैतुम यहाँ से चले जाओ “ नेहा ग़ुस्से में बिफ़रते हुए बोली। 

“ मुझे कुछ कहने का मौक़ा तो दोप्लीज़ मुझे अंदर आने दो “ रोहित ने कहा और नेहा का हाथ पकड़ उसे लगभग धक्का देते हुए अंदर लाकर सोफ़े पर बैठा दिया। नेहा ने अपना हाथ छुड़ा कर उठने का प्रयास किया तो रोहित ने उसकी हथेलियाँ अपनी हथेलियों में जकड़ते हुए कहा

“ मुझे केवल पाँच मिनट दोनेहा, यह सच है कि मैंने तुम्हें धोखा दिया हैहाँ, मैं शादीशुदा हूँमेरी शादी सविता से उस समय हो गई थी जब मैं सिर्फ़ बारह वर्ष का था और सविता आठ कीगाँव में हम दोनों के पिता आपस में अच्छे मित्र थे। अपनी दोस्ती को प्रगाढ़ करने के लिये उन्होंने हमें विवाह सूत्र में उस समय बाँध दिया जब हम इस बंधन का अर्थ भी नहीं समझते थेसविता अपने मायके में ही रहती थी क्योंकि उसका गौना नहीं हुआ थाजब मैं कॉलेज में पढ़ने गाँव से शहर 

आया तो तुमसे मुलाक़ात हुईतुम मेरे जीवन में प्यार और ख़ुशियों से भरी बहार बन कर आयीं। मैं तुम्हारे प्यार में डूबता चला गया और यह भूल गया कि मैं उस सविता का हूँ जो गाँव में मेरे नाम का सिंदूर अपनी माँग में भर कर मेरा इंतज़ार कर रही हैकॉलेज के बाद जब गाँव गया तो माँ और पिता जी ने अपनी क़सम देकर ज़बरदस्ती सविता का गौना करा दियाऔर मेरे साथ शहर भेज दियामैंने तुम्हें कई बार सच बताने की कोशिश की पर मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता था इसलिये कभी तुम्हें इस बारे में बता नहीं पायामैं तुम्हें अपनी जान से ज़्यादा प्यार करता हूँमन से मैं सिर्फ तुम्हारा हूँ। अभी भी कुछ नहीं बदला हैहम वैसे ही रहेंगे जैसे अभी रहते हैं और ऐसे ही एक दूसरे के प्यार में ज़िन्दगी गुज़ार देंगे”

नेहा सोचने लगी “ उफ़्फ़ क्या करूँ ? रोहित ऐसे ही मीठी मीठी बातें कर मुझे हमेशा कमजोर बना देता है और मैं उसकी बातों में जाती हूँनहीं मुझे कमजोर नहीं पड़ना हैआख़िर यह मेरी ज़िन्दगी का सवाल है “

नेहा ने अपनी हथेलियाँ रोहित के हाथों से अलग कर लीं और शांत तथा संयत स्वर कहा

“ मैंने भी पिछले सात सालों में तुमसे टूट कर प्यार किया है रोहितपर तुम जो कह रहे हो वह संभव नहींमैं यह कैसे भूल जाऊँ कि तुमने मुझे इतने सालों तक अंधेरे में रखातुमने न सिर्फ मुझे , बल्कि सविता को भी धोखा दियातुम चाहते कि तुम्हारे दोनों हाथों में लड्डू रहेंआख़िर हो तुम पुरुष हीस्त्री की कोमल भावनाओं से खेलने का अधिकार है तुम्हेंमैं आज से तुमसे प्यार का नाता तोड़ रही हूँ हाँ , हम एक दूसरे के सहकर्मी और शुभचिंतक बने रहेंगेकृपया दोबारा मेरे घर आने की कोशिश मत करना “

“पर मैं तुमसे प्यार करता हूँ नेहा “ रोहित कातर स्वर में बोला

“ प्यार विश्वास का दूसरा नाम है रोहितऔर यह विश्वास तो तुम उसी दिन खो चुके थे जिस दिन हम कॉलेज में पहली बार मिले थेतुम जानते थे तुम सविता के पति हो फिर भी तुमने मेरे साथ प्यार का नाटक किया इसलिये अब यह नाटक बंद करो “ नेहा दृढ़ता से बोली और दरवाज़ा बंद करने के लिये उठ कर खड़ी हो गई।

रोहित थके हुए क़दमों से नेहा के घर बाहर निकल गया। 

नेहा ने अपनी माँ को फ़ोन लगाया और कहा “ अब मैं शादी के लिये तैयार हूँ माँ , आपने जो मैरेज प्रपोज़ल्स सेलेक्ट किये हैं मुझे भेज दीजिये मुझे अपनी जिन्दगी की राह बदलनी है और सही निर्णय करना है “

अब वह निश्चिन्त होकर चाय बनाने के लिये किचेन की ओर चल पड़ी। 


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