अमित प्रेमशंकर

Tragedy Action Inspirational

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अमित प्रेमशंकर

Tragedy Action Inspirational

निन्यानबे रुपये का चप्पल

निन्यानबे रुपये का चप्पल

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मुंबई के सड़कों पर ये निन्यानबे रुपये का चप्पल लगभग एक साल से घिस घिसकर पतला कागज़ सा बन गया है। फीते भी टूटकर थोड़े पर अटके हैं। तलवों में बस आज कल ही छेद होने वाले हैं।

ये चप्पल किसी और के नही बल्कि मेरे है। हां मेरे।

आश्चर्य हुआ ना?

पर यह सत्य है। ये एक अजीब सा पोस्ट करने के पीछे जीवन का बहुत बड़ा रहस्य छूपा है। 

कभी ना कभी आप सभी ने ऐसा महसूस किया होगा कि हमारे पास है ही क्या? इस भावना में कुछ इच्छाएं छूपी नज़र आती है। जैसे हमारे पास भी अच्छा घर रहता। गाड़ी रहता। अच्छे कपड़े रहते । हम ये होते,वो होते मतलब तरह तरह के वह सारी इच्छाएं छूपी रहती है जो हम कल्पना कर सकते हैं। लेकिन कल्पना कर लेने मात्र से वे सारी चीजें हमें नही मिल जाती। उसके लिए काफी मेहनत और संघर्ष करने पड़ते हैं। 

आज हमारे पास एक अच्छा और बड़ा सा घर भी है। अच्छी बाईक और नये फीचर्स नई माॅडल की Scorpio जैसी महंगी कार भी है। महंगे कपड़े महंगे जूते सब हैं। जो हम भी कभी कल्पना करते थे।

इसके बावजूद अपने घर-परिवार से दो हजार किलोमीटर दूर आठ बाय दस के कमरे में दोस्तों के साथ मैं सौ रुपए के एक चटाई पर सोता हूँ।दो सौ का एक बेडसीट जिसे ठंड लगने पर ओढ़ता हूँ। और यही निन्यानबे का चप्पल।

जो अब अंतिम सांसें गिन रही है।

 उम्मीद है आप सभी हमारे इस पोस्ट में छूपे जीवन रहस्य को समझ गये होंगे। जय श्री राम।


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