नेता जी

नेता जी

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नाम उनका है शुकदेव सिंह, लेकिन मशहूर नेता जी के नाम से, रंग काला, इकहरा शरीर। बरसो से जनता की सेवा करते-करते गाड़ी, बंगला, बैंक बैलेंस सब पैदा कर लिया है। जो राजनैतिक पार्टी पावर में उसका ही झंडा उनकी कार पर लग जाता है।

सुबह बंगले के पीछे बने अखाड़े में पहलवानी करते हुए अखाड़े के पास बैठे लोगो से कह रहे थे—

"तुम लोग टाइम का तो ख्याल रखा करो, तुम्हारी सेवा के चक्कर में हम अपने शरीर का ख्याल भी नहीं रख पाते है।"

जब उपस्थित लोगो ने बताया की उन्हें सांसद जी और विधायक जी ने भेजा है तो वो तुनक कर बोले— "ये तो ज्यादती है उनकी सुबह-सुबह अपनी बला हमारे सिर पर डाल दी; अगर मै पाँच गावों से वोट न दिलाऊ तो भूल जायेंगे ये सांसद और विधायक होना। चलो एक-एक कर के बोलो क्या समस्या है ?"

उसके बाद समस्याएं सुनी उनके भतीजे कालू ने जो उनका ड्राइवर, चपरासी, बॉडीगार्ड सब कुछ था।

"कालू कोरी बकवास न सुन; थाने, तहसील, कचहरी के कामों की पेशगी भी जमा करता रह वहाँ तो कोई अपने बाप को भी बगैर पैसे के नहीं पूछता।" —नेता जी ने कहा।

दस बजे नेता जी सफेद खादी के बने पेंट-शर्ट पहन कर अपनी एस यू वी में आ बैठे कालू ड्राइविंग सीट पर था और पीछे की तरफ बैठे थे नेता जी के गुंडा-गिरी करने वाले चमचे।

"पहले कहाँ चलना है कालू?" नेता जी ने पूछा

"जेल में चाचा जी।"

"अबे क्या बकवास कर रहा है ?" —नेता जी ने गन्दी सी गाली देते हुए कहा।

"हाँ चाचा जी जित्ता भाई बहुत दिन से आपसे मिलने की फरियाद कर रहे है।"

"सही सड़ रहा है वो जेल में, कितना समझाया था न पड़ बुधई की लुगाई के चक्कर में, अब लो बेटा मजा। पहले थाने चल तब तक जेल में मिलाई का टाइम भी हो जायेगा।"

आधा घंटा बाद वो थाना सिविल लाइन्स के एस एच ओ के सामने बैठे थे और एस एच ओ कह रहा था— "नेता जी क्या गलत काम की सिफारिश लेकर आ गए, ये नाबालिग लड़की से बलात्कार का मामला है।"

"इंस्पेक्टर साब, ऐसा जुल्म न करो बिरादरी का मामला है लड़के का बाप अपने लड़के की शादी उस लड़की से करने को तैयार है।"

काफी झांय-झांय के बाद इंस्पेक्टर बोला— "नेता जी मामला ऊपर तक चला गया है, दस का इंतजाम करो तो मै कप्तान साब से बात करूँ।"

दस का नाम सुनते ही नेता जी उछल पड़े और अंत में उन्होंने बलात्कारी लड़के के बाप से दस लाख में तय करके इंस्पेक्टर को सात लाख में समझौता कराने को तैयार कर लिया।

अगला पड़ाव था जनपद कारावास, जित्ता नेता जी के सामने बैठा था वो गाली देकर बोले— मिल गया मजा रंगबाजी का, क्यों बुलाया मुझे ?"

"चाचा निकलवाओ न जेल से, करो न जज से बात।"

"जज मेरा रिश्तेदार लगता है, जो मै कहूंगा और वो तेरी जमानत दे देगा, बीस लाख से एक धेला कम न लेगा, इंतजाम है तो बोल।"

"पांच-सात पड़े होंगे।"

"काम ना चलेगा, पूरे बीस का इंतजाम कर तब बात करूँगा जज से।"

"जेल से कैसे करू इंतजाम ?"

"तू ही तो जेल में है, तेरे चेले तो बाहर है, करवा रंगदारी उनसे, बीस का इंतजाम तो एक ही सेठ कर देगा जब तू उसे धमकी देगा जान से मारने की। और जेल से बाहर आकर लग जा समाज के कामो में, पचास गरीब कन्याओ की शादी करा रहा हूँ, दस लाख का इंतजाम तू कर के देना।"

जेल से बाहर आकर फोन पर जज से बात बात कर जित्ता की जमानत का मामला सात लाख में तय किया तभी कालू ने बताया।

"सांसद जी याद कर रहे है।"

"चलते है, तहसील-कचहरी के काम निपटा के।"

सांसद के आवास पर पंहुचते-पंहुचते शाम के चार बज गए वंहा नगर विधायक और सांसद शराब पीते मिले, उन्हें देखते ही भड़क उठे—

"क्यूँ बे सुक्के क्या बकवास कर रहा था कि तू न हो तो हम सांसद विधायक न बने?" —सांसद जी बोले।

"क्या मालिक मेरे, किसके बहकावे में आ गए आप भी, मेरी ऐसी जुर्रत मै ऐसी बात कहूं?"

"नहीं उड़ बहुत रहा है तू आजकल, कुछ पार्टी फण्ड में भी डाल या सारा माल खुद हजम कर जायेगा।" —विधायक जी ने कहा।

"कैसी छोटी बात कर दी आपने, आज ही एक लाख का चेक दे जाऊंगा।"

"औकात दिखा दी न अपनी, सुबह से शाम तक माल काटता फिरता है और पार्टी फण्ड के नाम पर निकलते है एक लाख, चल बैठ क्या पियेगा?"

आठ बजे नेता जी सांसद की कोठी से शराब के नशे में धुत्त होकर निकले और बोले— "मूड ख़राब कर दिया सा..... बुड्ढे ने; चल कालू चम्पा बाई के अड्डे चल वही मूड सही करेगी अब।"


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