नौकरानी
नौकरानी
मैं मोबाइल चला रही थी।तभी मुझे नरगिस की अवाज सुनाई पड़ी।"मरियम तुमने खाना खा लिया क्या।"मैनें मोबाइल से नज़र उठा कर नरगिस को देखा।"अरे नरगिस फुफी बहुत दिनों के बाद आए आप तबियत तो ठीक है ना या रास्ता भूल गईं?" मैनें उन पर तंज कसा।
जिसे सुनकर वो टहाका मार कर हंसने लगीं। उनकी हसीं से मेरा पूरा घर गूँज उठा।नरगिस मेरे पड़ोस की ही एक लड़की थी।उन्हें थोड़ी दिमागी बिमारी थी। थी तो बहुत बड़े खानदान से पर आर्थिक स्थिति थोड़ी क्या पूरी खराब थी।तीनों बहनों की शादी हो गई।भाईयों ने आपस में प्रॉपर्टी बांट ली।माँ को भाभी ने सताना शुरू किया तो बहन ले गई। बाप का देहांत हो चुका था।
नरगिस की शादी ही नहीं हो रही थी।बड़ी मुश्किल से किसी ने इनका रिश्ता एक विधुर से लगाया जिनकी पत्नी का देहांत हो चुका था।उसके पास भी दो बेटी और दो बेटा था।इनकी शादी उनसे करा दी गई।दिमागी बीमारी की वजह से इनके सौतेले बच्चों ने इन्हे अपने माँ का अधिकार नहीं दिया इसलिए उनके पति में और इनमें रोज कलह होने लगा।नरगिस के पति ने उसे पीट कर उसके मायके छोड़ दिया।इनके बारे में किसी ने पूछा भी नहीं।भाई तो वैसे भी मतलब नहीं रखते थे।अब माँ भी नहीं थी, सो नरगिस बेसहारा हो गई
नरगिस और मेरी माँ की बनती थी।माँ उसे तसल्ली देती वो आएगा और तुझे ले जाएगा। तू आराम से रह।अगर कोई कहता कि तेरा मर्द तुझे ना ले जाएगा तो वो पागल हो जाती और सबसे लड़ने लगती।माँ उसे समझती और उनको तसल्ली देती।जिसे सुनकर वो मुस्कुरा देती और खुश होकर मेरी माँ के मना करने पर भी सारा काम कर देती।माँ घर में जो भी बनाती उसे खिलाना नहीं भूलती.
पर वो एक हफ्ता से नहीं आ रही थी।तो मैंने उससे पूछा "कहां थी आप तो उन्होनें बताया डॉक्टर सहब के यहाँ, जो उन्हीं के खानदान के थे। उन्होंने ने ही उन्हे खाना बनाना और काम करने के लिए रख लिया था।
खाने का समाय हो चुका था तो मैनें पूछा की "आपने खाना तो खा लिया होगा।" बोली नहीं खाना बहू बना रही थी।सोचा भाभी से मिल लूँ। ऐसा कह कर वो चली गई, मैं भी घर के कामों में व्यस्त हो गई।कल जब मैं नाश्ता कर रही थी तभी नरगिस की अवाज मेरे कानो में पड़ी, "कहां हैं भाभी" तभी अम्मी ने अवाज दी " इधर ही आवा हो नरगिस ,नस्ता तो कर ले ले होबोव।"तो वो बोली "रात की रोटी और अचार"!
मैनें पूछा कि डॉक्टर के घर में खाना या नाश्ता नही बनता क्या?" तो वो बोली कि "नौकरानी का खाना अलग होता है।जो वो अपने लिए बनाते हैं वो नौकरानी को नहीं खिलाते"! मेरा मुंह खुला का खुला रह गया मैं सोच में पर गई, कैसे लोग हैं ये और कैसी मानसिकता है इनकी? ये कैसा व्यवहार है ।मुझे नरगिस को देख कर बहुत अफसोस हुआ" कैसा पति है रख नहीं सकता ?कम से कम खर्च के पैसे भेज देता तो बेचारी की ये हालत नहीं होती।आज हमरे यहाँ का कानून इतना सख्त है फिर भी महिला के साथ नाइंसाफी हो ही जाती है क्योंकि सामाज ये होने देता है।