नाईट मोड
नाईट मोड


अरनब : "हर रोज़ की तरह ये दिन भी बोर जाने वाला है रोज़ का वही लॉक डाउन रुटीन तंग आगाया हूं मैं इस ज़िन्दगी से ,उपर से घर वालो के ताने ।"
फोन रिंगिंग :" हां बोल तुझे क्या काम है मेरे से"
दानी: "अरे अलसी इंसान तेरे से किस को काम होगा काम उनसे होता है जो किसी लायक होते है"
अरनब: "घर वाले काम हैं जो ती शुरू हो गया"
दानी : भाई तेरे मतलब कि बात है तू फोटोशूट को बोल रहा था ना इन्स्टा ग्राम स्टोरी के लिए तो मैने पास में ही एक बिंदास जगह ढूंडी है कोई अता जाता नहीं है वहां ज़्यादा लकिन हरा भरा और पुराने खिले जैसा है जैसा तुझे पसंद है बिकुल वैसा।"
अरनब: "क्या बात है सच बोल रहा है ना सही है यार फिर तो मज़ा आयेगा मे तयार हूं बोल कब चलना है बता कब चलना है।"
दानी : "आज शाम तू तयार हो जा अता हूं शाम को तुझे लेने चल बाय आकर मिलता हूं"
अरनब :"मम्मी दानी के साथ बाहर जा रहा हूं लेट हो जाएगा "
मम्मी: "क्यों घर में क्या मुसीबत अरही है जो ऐसे हालातों में बाहर जाना है तुझे घूमने"
अरनब: "मम्मी कुछ नहीं हो रहा साथ जा रहे हम लेट हुआ तो दानी के घर रुक जाएगा और आपको फोन करके बता दूंगा फिक्र ना करो आप।"
मम्मी: "अच्छा ठीक है ।"
दानी :" भाई घर से बाहर भी अजा अब या रात यहीं करेगा ।'
अरनब : "आरहा हूं यार कैमरा तो लेलू सूरज ढल जाएगा तो नाईट मोडमें फोटो लेंगे"
दानी: "हां ठीक है जल्दी आ अब "
दानी : "अरे सुन एक बात मैने तुझे नहीं बताई यार वो जगह थोड़ी दूर है हमारे एरिया से लिकिन है शानदार "
अरनब: "कोई नहीं अगर दर हुई तो में तेरे घर रुक जाऊंगा और ये बात मैने घर पर भी बता दी है तो फिक्र नहीं है मुझे"
दानी: "फिर ठीक है बस कुछ देर में हम पहुँच जाएगा"
"लो भाई पहुंच गए "
अरनब: "क्या जगह है यार एक दम मस्त दिल खुश हो गया
चल फोटो शूट शुरू करते हैं"
अरनब : "चलो बोहत फोटो ले लिए कुछ देर बैठते हैं कितना खामोश मंज़र है और सुकून सरी थकन सी दूर हो गई यहां आकर। दानी सुन वो सामने घर किसका है इतनी सुनसान जगह किसी मकान वो भी इतना बड़ा घूमने में सरा दिन गुजर जाए
दानी:"मालूम नहीं किसका है लेकिन कोई यहां रहता नहीं शायद"
अरनब:" चलते हैं ना देखते हैं "
दानी :"पागल है ऐसे किसी के घर में बिना इजाज़त ठीक नहीं है"
अरनब: "अरे छोड़ ना हमे कोनसा रहना है वहां जाकर अजाएगे बस "
दानी :" काफी देर हो गई है पहले से ही घर चल रहे जन किसी और दिन आ जाएगा"
अरनब : किसी और दिन का पता नहीं आज चलते हैं बस "
दानी: "अच्छा ठीक है चल"
अरनब : "दानी इसका दरवाज़ा क्यों खुला है जबकि कोई अंदर ना कोई गया ना रहता है "
दानी: "छोड़ ना जल्दी देख कर चलते हैं बस अंधेरा होने लगा है वैसे ही"
अरनब: "भाई कमाल है इतना बड़ा घर महल जैसा कोई कैसे अकेले छोड सकता है इतनी खूबसरत पेंटिंग्स इतनी हसीन दीवारें सब कुछ खूबसरत है "
दानी :" हां और डरावनी भी, भाई चलते है ना क्यों देर कर रहा है देख लिया अब और क्या करना है?
अरनब: "रुक ना अंदर वाले कमरे और देख लें बल्कि में तो सोच रहा रात यही रुकें अच्छा सुन ना कैमरे का नाईट मोड ऑन कर फोटो लेते हैं "
दानी: "क्यों मज़ाक कर रहा है मुझे शौक नहीं रुकने का तू ही रुक मै जा रहा हूं और फोटो भी तू ले"
अरनब : "अच्छा ठीक है चलते हैं लकीन मुझे तो दरवाज़ा भी नजर नहीं आ रहा कहा से आए थे और लाइट भी नहीं है तेरे फोन बैटरी है फ्लैश लाइट ऑन कर ज़रा"
दानी: "हां रुक देखता हूं "।यार फोन काम नहीं कर रहा अरनाब बैटरी भी फुल थी मुझे अब अजीब सा डर लग रहा है
अरनब : "अच्छा कोई नहीं डर नहीं हम साथ है ना दरवाज़ा ढूंढते हैं चल मेरे साथ शायद लेफ्ट साइड में था बाहर का दरवाजा "
चल भी अब अच्छा ला अपना हाथ दे मुझे डरपोक कल स्टोरी में साथ मे डल दूंगा कि ती कितना डरपोक है अब बोलेगा भी कुछ वैसे तो मुझे कितना सुनता रहता है अब डरर से आवाज़ नहीं निकाल रही"
दानी : "अरनब ,अरनब"
अरनब :" हां बोलना क्या अरनब और तेरी आवाज़ इतनी दूर से क्यों आ रही जैसे किसी गुफा में बोल रहा है"
दानी : "अरनब भाई सुन तो"
अरनब :" अब गुस्सा मत दिला जल्दी चल"
दानी :" भाई वो हाथ छोड़ दे वो में नहीं हूं अरनब"
अरनब :" क्या बकवास है में नहीं हूं"
दानी: "पीछे देख मैं तो यहां हूं तेरे आगे"
अरनब पीछे मुड़ते ही खुद पर काबू नहीं कर पाया उसने जो दखा और वही बेहोश हो गया उस आत्मा ने उन दोनों को कोई नुक्सान तो नहीं पोहचाया लेकिन अरनब उस हादसे के बाद काफी अरसे तक घर से बाहर नहीं निकला और ना ही किसी दोस्त से कांटेक्ट में रहा दानी भी डर से सेहमा रहता था लेकिन अरनब को उस भूतिया मकान से ला ने वाला भी वही था!
इस हादसे के बाद दोनों दोस्तो की ज़िन्दगी में कभी नाईट मोड नहीं आया ना कभी इन दोनों ने आगे कोई जगह या घूमने का इरादा किया।