एक और क़दम सही
एक और क़दम सही
कोई नई कहानी नहीं, फिर से जिन्दगी उस दोराहे पर ले आई है जहां फैसला करना मुश्किल हो गया है कि एतबार करें तो किस हद तक तकलीफ का सामना करना पड़ सकता है।
अब जिन्दगी को कब तक अंधेरे और तन्हाइयों के सहारे जीते रहे और कब तक हुए ज़ुल्मो पर अफसोस करते रहे।
शायद इस बार ज़िन्दगी कुछ नए अंदाज़ से हमारी तकलीफ और परेशानीयों को हमसे दूर करने का इरादा लेकर आई हो । फिर से ज़िन्दगी को रौशन करने के लिए एक उम्मीद की किरण देना चाहती हो ।
हर बार थोड़ी ज़िन्दगी हमसे बेवफाई करेगी । चलिए, यही सोचकर मुस्कुरा कर देखते हैं । ना जाने कौन, कब , कहां , कैसे हमारी खुशियों की वजह बन जाए। चालिए इसी तलाश में ज़िन्दगी गुजार कर देखें !