मवाना टॉकीज भाग 9

मवाना टॉकीज भाग 9

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अगले दिन सुबह सोमू उठा तो उसका सिर खूब भारी हो गया था। कल की विचित्र घटनाएं उसके जेहन पर हथौड़े की तरह दस्तक दे रही थीं। कल रात को एक बार उसका मन हुआ कि पुलिस स्टेशन चला जाये लेकिन पहले भी कई बार उसकी बताई बातें झूठी और काल्पनिक सिद्ध हो चुकी थीं और थानाध्यक्ष अभय मिश्र के द्वारा उसको कड़ी चेतावनी मिली थी तो थाने जाने की उसकी हिम्मत नहीं पड़ी थी। वह हमेशा इसी दुविधा में झूलता रहता था कि क्या सच है और क्या झूठ? क्या सच में कल डॉ चटर्जी उसके साथ मवाना टॉकीज गए थे और वहाँ से गायब हुए थे? उसने एक बार फिर निश्चित कर लेने का फैसला किया और सुबह ही उठकर मवाना टॉकीज की ओर चल पड़ा। वहाँ पहुंचने पर उसे डॉ चटर्जी की कार दिखाई पड़ी तो वह समझ गया कि कल वह जरूर यहाँ आया था और कल वाली घटनाएं कल्पित नहीं थीं। डॉ चटर्जी सच में गायब हो चुके हैं और अभी तक लौटे नहीं हैं अन्यथा कार अभी तक यहाँ खड़ी न होती। एक बार फिर सोमू ने मवाना टॉकीज के बाहर और भीतर डॉ चटर्जी को खूब तलाश किया और असफल रहने पर पुलिस स्टेशन की ओर चल पड़ा। 
पुलिस स्टेशन का प्रभारी अभय मिश्र, जौनपुर जिले का एक लंबा तगड़ा सुदर्शन नौजवान था जो मेरिट पर इस पद के लिए चुना गया था। वह बेहद जहीन और ईमानदार पुलिस अधिकारी था। कम उम्र में ही उसके बाल झड़ जाने के कारण वह अपनी उम्र से थोड़ा अधिक जरूर लगता था लेकिन यह गंजापन भी उसके व्यक्तित्व को शोभा ही देता था। पुलिस स्टेशन पहुंचकर सोमू ने अभय के बारे में दरियाफ्त की। ड्यूटी ऑफिसर ने उसे दस बजे तक इंतजार करने को कहा। सोमू एक बेंच पर बैठकर प्रतीक्षा करने लगा। ठीक दस बजकर पांच मिनट पर अभय मिश्र की बोलेरो जीप थाना परिसर में आ पहुंची। सोमू को देखते ही उसने बुरा सा मुंह बनाया और पूछा, क्यों महाराज? आज क्या कहानी लाये हो? 
सोमू हाथ जोड़कर बोला, अभय साहब! आप प्लीज मेरा विश्वास कीजिये, शहर के मशहूर साइकियाट्रिस्ट डॉ चटर्जी कल मेरे साथ मवाना टॉकीज गए थे और वहीं गायब हो गए हैं। 
अभय ने जोर का ठहाका लगाया और बोला, गुरु! तुम अपना टाइम फ़ालतू में क्यों वेस्ट कर रहे हो? अगर बॉलीवुड में चले जाओ तो तुम्हारे नाम की धूम मच जाए। कसम से!! 
सर प्लीज! आप मेरा विश्वास कीजिये, सोमू गिड़गिड़ाने लगा, मैंने आज सुबह फिर जाकर तसदीक की है तब यहाँ आया हूँ, डॉ चटर्जी की कार भी मवाना टॉकीज के पास ही खड़ी है। 
ओके! अभय बोला, डॉ का मोबाइल नंबर दो! 
सोमू ने चुपचाप अपनी जेब से डॉ चटर्जी का विजिटिंग कार्ड निकाल कर अभय की ओर बढ़ा दिया। अभय ने अपनी जेब से मोबाइल निकाल कर नंबर पंच किया तो सामने से स्विच ऑफ की घोषणा होने लगी। अब अभय ने उनके क्लीनिक में फोन किया। 
हेलो, डॉ चटर्जीस क्लीनिक, सामने से एक लड़की की आवाज आई
पुलिस इंस्पेक्टर अभय मिश्र बोल रहा हूँ, अपनी दमदार आवाज में अभय बोला, डॉ साहब कहाँ हैं?
सर अभी तक आये नहीं हैं, पेशेंट इन्तजार कर रहे हैं, मैं भी परेशान हूँ सर, पता नहीं क्या बात है? वो बोली 
एक आदमी कह रहा है वे गायब हो गए हैं, मैं तहकीकात करके बताता हूँ, कहकर अभय ने फोन काट दिया।

 


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