मुट्ठी बाबा
मुट्ठी बाबा
एक गाँव में महिपाल नाम का शरारती लड़का रहता था। उसके पिता का नाम रघुवीर सिंह था। रघुवीर सिंह बेटे की शरारतों से तंग आ चुके थे।
एक दिन गाँव के ही प्रकाश दाज्यू ने रघुवीर सिंह को बताया कि पड़ोसी गाँव में दस दिन पहले भगवती मंदिर के पास के पीपल के पेड़ के नीचे एक बाबा ने डेरा डाला है। वे आदमी की मुट्ठी देखकर उसका भूत, वर्तमान और भविष्य बता देते हैं। इसलिए गाँव में वे मुट्ठी बाबा के नाम से लोकप्रिय हो रहे हैं। धीरे-धीरे उनकी ख्याति दूर-दराज के गाँवों में भी फैल रही है।
दाज्यू की बात सुनकर रघुवीर सिंह के मन में कौतूहल उत्पन्न हुआ- "क्यों न दाज्यू महिपाल को बाबाजी के पास ले जाया जाय और उसका भविष्य जाना जाया ?"
"हाँ, एकदम सही सोचा भाई साब आपने। क्या पता आज का बिगड़ैल छोकरा भविष्य का ज्ञानी पुरुष बने !" दाज्यू ने जवाब दिया।
"सही कह रहे हो दाज्यू। मैं कल ही महिपाल को बाबाजी के पास ले चलता हूँ।"
"जरूर। भाई साहब जरूर।"
इसके बाद दोनों अपने-अपने घरों की ओर चल दिए।
दूसरे दिन प्रातः ही रघुवीर सिंह महिपाल को लेकर बाबाजी के पास पहुंच गये। उन्होंने देखा कि बाबाजी चारों ओर से पुरूषों, महिलाओं और बच्चों से घिरे हुए थे। बाबाजी पहले व्यक्ति को दाएँ हाथ की मुट्ठी बंद करने को कहते, फिर कुछ मंत्र बुदबुदाते और फिर उसके बाद उससे मुट्ठी खोलने को कहते। फिर उसके बारे में सब-कुछ बताते जाते। रघुवीर सिंह का नंबर आया तो बाबाजी ने उनसे कहा- "बच्चा ! लगता है तू अपने बच्चे की फिक्र में घुला जा रहा है।"
यह सुनकर रघुवीर सिंह बाबाजी के आगे नतमस्तक हो गये। बाबाजी तो अंतर्यामी हैं। उन्हें तो यह भी पता है कि मेरे मन में क्या चल रहा है। "बच्चा, तू फिक्र न कर मैं अभी तेरे बच्चे का भूत, वर्तमान और भविष्य सब बताता हूँ।" उन्होंने हाथ के इशारे से महिपाल को पास बुलाया और उसे बैठने को कहा। महिपाल बैठ गया।
"चल बच्चा, अपना दायाँ हाथ आगे कर।" बाबाजी ने महिपाल से कहा।
महिपाल ने चुपचाप बायां हाथ आगे कर दिया।
"बच्चा मैं कह रहा हूँ अपना दायां हाथ आगे कर। इतना बड़ा होकर दायाँ हाथ नहीं पहचानता ?" बाबाजी ने फटकार लगाई।
"कर रहा हूँ बाबाजी।" ऐसा कहकर महिपाल ने दायाँ हाथ आगे किया।
"चल मुट्ठी बंद कर अब।" बाबाजी ने आदेश दिया।
महिपाल ने मुट्ठी बंद कर दी। बाबाजी मंत्र बुदबुदाने लगे। मंत्र बुदबुदाने के बाद बाबाजी ने महिपाल से मुट्ठी खोलने के लिए कहा। महिपाल के मुट्ठी खोलते ही बाबाजी उसका हाथ पकड़कर गौर से देखने लगे, तब उन्होंने रघुवीर सिंह की ओर देखकर कहा- "देख बच्चा ! तेरा पुत्र अतीत में भी शरारती था और वर्तमान में भी शरारती है। इसने अपनी हरकतों से सारे गाँव वालों को परेशान किया है। किया है कि नहीं बच्चा बोल ?"
"जी बाबाजी !" रघुवीर सिंह ने बाबाजी के आगे नतमस्तक होकर कहा।
"देख बच्चा, इसका भविष्य मुझे अंधकारमय दिखाई दे रहा है। इसकी मुट्ठी में चुटकी भर जमीन तक नहीं है। यह लड़का अपनी जिंदगी में एक-एक पैसे के लिए तरस जायेगा। बुरा न मान बच्चा, ये लड़का भविष्य में तेरा नाम डुबोयेगा। यही सच है बच्चा !"
बाबाजी के ऐसा कहते ही उनके सामने बैठे दो-चार भक्तों ने नारे लगा दिए- "बोलो, मुट्ठी बाबा की !"
"जै !"