मर्यादा में रहिए दामाद जी
मर्यादा में रहिए दामाद जी
सान्या आज सुबह से ही गुमसुम सी है, अपने में ही खोई - खोई सी मशीन की तरह बस काम निपटाने में लगी हुई थी। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि राहुल ऐसा भी कर सकता है।
राहुल दूर के रिश्ते में उसका दामाद लगता है और सान्या का हमउम्र ही है, काफी आकर्षक व्यक्तित्व, हंसमुख, हरदिल अजीज। उसका दोस्ताना व्यवहार से सान्या बहुत प्रभावित हुई, सान्या खुद भी बहुत बिंदास स्वाभाव की है, फिर क्या था दोनो में खूब जमने लगी।
कल ही उसकी दी का फोन आया,
"हैलो दी,
"अरे सान्या सुन आज रात तू और राज बच्चों को लेकर घर आजा, राहुल और शुचि आये है तो साथ में वीकेंड मनाते हैं,
"ओके दी हम आ जाएंगे।
शाम को सान्या पति और बच्चों के साथ पहुंच गई।
राहुल सान्या को देखते ही गर्म जोशी से मिला।फिर सब ने बहुत मस्ती की, डीनर के बाद राहुल सान्या और राज से बोला मासी चलिए लांग ड्राइव पर चलते है, ये सुनते ही बच्चे भी उत्साहित हो गये,
सान्या जैसे ही राज के साथ अपनी कार में बैठने लगी कि राहुल बोला मासी मेरी कार में बैठिए,, सान्या, शुचि राहुल के साथ उसकी कार में बैठ गये,,, लांग ड्राइव और कार में बजते किशोर दा का गाना " रुप तेरा मस्ताना, प्यार मेरा दिवाना, भूल कोई हमसे न हो जाये " सान्या और शुचि भी साथ में गाने लगे,, गाते गाते सान्या की नजर कार के बैक मिरर पर पड़ी, राहुल उसको देखकर मुस्कुरा कर गाना गा रहा था। राहुल की नजरों को देखते ही, यकायक असहज हो गई सान्या,
पर फिर कुछ देर बाद राहुल को सामान्य देख कर उसने उस पल को अपना भ्रम समझा।
खैर रात में दी बोली "सान्या तू राज शुचि और राहुल एक रुम में सो जाओ, मैं बच्चों और तेरे जीजा जी के साथ दूसरे रूम में सो जाती हू "
देर रात तक चारों में गपशप चलती रही फिर सब सो गए,,, राहुल और शुचि बेड पर और सान्या राज जमीन पर।
नींद में सान्या को अपने बालों में हाथ फिरता महसूस हुआ, नींद में उसे लगा कि राज है, पर फिर वो हाथ उसके चहरे और उसके होंठों पर महसूस होते ही अचकचा कर उसकी आंख खुल गई, उसने घूम कर राज को देखा तो राज के खर्राटे बज रहे थे, सान्या कांप कर उठ बैठी, राहुल का ध्यान आते ही वो एकदम से उठकर बाहर लाबी में भाग आई।
पूरी रात उसे नींद नहीं आई, सुबह दी बोली तू लाबी में क्यों सो ग ई, सान्या ने नींद न आने का बहाना किया।
राहुल जो सबके लिए एक आदर्श व्यक्तित्व है वो अंदर से इतना गिरा हुआ है ये बात सान्या को खाये जा रही थी।
राहुल के व्यक्तित्व का वर्गीकरण गंदा या अच्छा व्यक्ति की श्रेणी में करते समय सान्या को किसी पत्रिका में पढ़ी एक मनोवैज्ञानिक बात याद हो आई,' तार्किक बुद्धि कहती हैं कि चीजें श्वेत या श्याम नहीं होती, वे इन दोनों के बीच धूसर वर्ण वाली होती है, यही तो जादू है किताबों का, जब जिस ज्ञान की आवश्यकता होती है, तब पुरानी पढ़ी हुई स्वता ही मानसपटल पर उभर आती है।
सान्या यह बात दी या शुचि को नहीं बता सकती थी क्योंकि इस बात से रिश्ते में भूचाल आ जाता इसलिए उसने खुद इस बात से निपटने का सोचा।
राहुल ने आते ही बोला "गुड मॉर्निंग मासी डियर "
"गुड मॉर्निंग दामाद जी "
"अरे मासी डियर मैं दामाद कब से हो गया "
राहुल रिश्ता तो आपका मेरा दामाद और सास का ही है, भले ही हम दोनों हम उम्र हो, शायद आप ने मेरे बिंदास और दोस्ताना स्वाभाव का कुछ और ही मतलब निकाल लिया। पर मुझे लगता है रिश्तों को अपनी मर्यादा में ही रहना चाहिए, उम्मीद करती हूं आप मेरी बात समझ गये होंगे, और यह बात आप जितनी जल्दी समझ जाएंगे आपके लिए उतना ही बेहतर होगा।
राहुल की झुकी नज़रों ने सान्या को एक सुकून भरी राहत दी।
दोस्तों इस तरह के लोग हमें अपने आसपास बहुत मिलते हैं, ये हमारी समझदारी होनी चाहिए कि ऐसे लोगों के साथ हम कैसे निपटें क्योंकि चुप रहकर या ऐसी बातें इग्नोर करके हम इन लोगों को बढ़ावा देते हैं, इसलिए समझदारी के साथ रिश्तों को बिगाड़ने से बचा सकते हैं।