मरहम

मरहम

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''अभी क्या जल्दी थी, माँ बनने की -अभी एक महीना ही तो हुआ है विवाह को --कम्पटीशन की तैयारी करो --घर -बार सँभालो --अब मुझसे तो कुछ होता नहीं ।''मीनू की सास ने दो -टूक जबाब दे दिया।

डाक्टर ने जब मीनू से कहा ''यू आर प्रेगनेन्ट ''तो मीनू को सुखद एहसास की अनुभूति हुई थी, जो सासू माँ की बड़बड़ाहट ने पल भर में गुम कर दी।

''देखो मीनू माँ ठीक ही तो कह रहीं हैं कि अभी जल्दी क्या है बच्चे की ?'' अपने पति प्रकाश की यह बात सुनकर मीनू स्तब्ध रह गयी। उसको यकीन नहीं हो रहा था कि जो व्यक्ति अभी रास्ते में बच्चे को लेकर कितनी बातें करता आ रहा था, ऐसे बोलेगा ।

'तुम कहना क्या चाहते हो प्रकाश ?''मीनू ने आश्चर्य से पूछा।

''अबोर्शन ''प्रकाश ने कड़क आवाज में कहा ।

''बिना मेरी मर्जी के ?''मीनू ने प्रश्न किया ।

''देखो मीनू , बात का बतंगड़ मत बनाओ, आखिर बड़ों की बात भी माननी चाहिये न ! ''प्रकाश ने बात को खत्म करने के लहजे से कहा।

''मेरी खुशी, मेरी फीलिंग्स, क्या इससे किसी को कोई मतलब नहीं प्लीज प्रकाश ऐसे मत कहो। ''मीनू ने रोते हुए कहा ।

''प्रकाश इससे कह दे कि यह बच्चा एक ही शर्त पर हो सकता है, तीन महीने बाद इसको चैक कराना पड़ेगा अगर लड़का हुआ तब तो ठीक नहीं तो !''

ससुर जी का शब्द ''नहीं तो ''मीनू को भीतर तक हिला गया कितना मायूस और दूसरों की दया पर निर्भर होना महसूस कर रही थी मीनू ? ऐसा लगा मानो उसका कोई वज़ूद ही नहीं।

''अगर तीन महीने बाद मेरे गर्भ में लड़की होने पर भी मैं अबोर्शन नहीं कराऊँ तो आप सब क्या करोगे ?''मीनू ने अपने पति से पूछा।

''तुम हम सबके मन से उतर जाओगी ।''पति का जवाब सुन मीनू सकते में आ गयी ।

''दूसरों के मन से उतरना उतना मायने नहीं रखता जितना खुद के। ''मीनू ने मन ही मन खुद से कहा ।

आखिर में मीनू ने चैकअप कराने से साफ़ इंकार कर दिया और पूरे नौ महीने तक सबकी जली -कटी सुनकर भी वह विचलित नहीं हुई। वह घड़ी भी आ गयी जब वह प्रसव -पीड़ा से कराह उठी अनमने मन से मीनू को अस्पताल ले जाया गया। ''मुबारक हो आन्टी जी लक्ष्मी आई है आपके घर।'' सिस्टर ने जब रूम से बाहर बैठे मीनू के पति और सास-ससुर को यह खुश-खबरी सुनाई तो वे तीनों मुँह सिकोड़कर अस्पताल से बाहर चले गये। उधर जब डाक्टर ने बच्ची को मीनू की गोद में दिया तो मीनू को असीम अदभुत सुख की अनुभूति हुई। खुशी और ममता के आँसू उसकी आँखोँ से छलक पड़े। नौ महीनों के तानों और अत्याचारों ने मीनू का कलेजा घायल कर दिया था बेटी को गोद में लेकर जैसे उनपर मरहम लग गया हो ।


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