Rashmi Nair

Drama

5.0  

Rashmi Nair

Drama

मोबाइल चोर

मोबाइल चोर

4 mins
404


चायवाला सेक्शनमें आया और रोज की तरह सबको चाय दे रहा था। उसकी नजर दिनेश के टेबलपर रखे नये मोबाईल फोन पर पड़ी। इस बात से अंजान दिनेश भी सब लोगोंके चायकी चुस्कीयाँ लेते हुए दोस्तोंके साथ बातोंमें लग गया। इस बातको देखते हुए उसने चुपचाप मोबाईलको गमछेमें छुपा केटली उठाकर चला गया।

कुछ देर बाद दिनेशको कुछ जरुरी काम याद आया। उसे अपनी बीवीसे कुछ जरुरी बात करनी थी। उसने देखा टेबलसे फोन गायब हो गया। उसने ढुंढना शुरु किया। अपने टेबलपर रखी सारी फाईले टटोली, टेबलमें लगे सारे दराजोंमें ढुढा। यहांतककी अपना ब्रीफकेस भी छन मारा।पर मोबाईल कही नहीं मिला।

उसे कुछ खोजते देख दोस्तने पुछा – "क्यु दिनेश क्या ढुंढ रहे हो ?"

दिनेशने कहा -"अरे, यार अभी यहां तुम सबको दिखा कर मोबाईल सामनेही रखा था अब मिल नहीं रहा है। "

दोस्त उसे सलाह देने लगे। कोई कहने लगा" ठीक से देखा ,"

कोई कहने लगा -" फाईलोमें टटोलो शायद उसमें खिसक गया गया।"

जितने लोग उतनी सलाहें मिलने लगी।

उन सबका उसने एकही जवाब दिया -" मैं सब देख चुका हुँ यारो, यहाँतक की अपना ब्रीफकेस भी देख लिया और मैंने तो टेबल पर ही रखा था फिर ब्रीफकेसमें होनेकी संभावना कैसे होगी ? दिनेश अब टेंशनमें आ गया। उसका मन काम परसे उचट गया। बार-बार मोबाईलका खयाल से परेशान किये जा रहा रहा था। उसके दोस्त उसे तसल्ली दिये जा रहे थे।

पर उसका मन कुछ भी सुननेको तैयार था और न माननेको तैयार था। वो बहुत परेशान हो गया। अभयने कहा – सुन इस बातकी सूचना हम अपने बॉस को देते हैं। वो अगर सारे स्टाफसे कहेंगे तो शायद किसीने मजाकमें छुपाया हो तो अपने आप देगा। दिनेश मान गया और उसने जाकर अपने बॉस से अपने मोबाईलफोन खो जानेकी बात बताई। अब बात एनरॉईड मोबाईल की थी तो उसकी कीमत कमसे कम बीस पच्चीस हजार तो होगी ही।उसका बॉसभी दिनेश की मदद के लिये राजी हो गया। 

 कॅबीनके बाहर आकर,उन्होने सबको समझाकर कहा "अगर यह मजाक है तो इसे यही खत्म कर दे। जिस किसी ने भी मजाकमें या शरारतमें दिनेश का मोबाईल छुपाया हो तो उसे वापस कर दें।किसी पर कोई एक्शन नहीं लिया जायेगा। लेकिन अगर बादमें किसी को पास पाया गया तो उसे नोकरीसे निकाला भी जा सकता है , और तुम दिनेश मुझे फोन मिलने या न मिलनेपरभी मुझे अपडेट करना ,फिर देखते हैं कैसे नहीं मिलता है " कहकर बॉस अपने कॅबीनमें चले गये।

सब सकतेमें आ गये और सबने अपना–अपना मोबाईल उसे दिखाया पर उनमेंसे उसका मोबाईल ही नहीं था। वो और भी परेशान हो गया। कहीं भी नहीं। उसने जाकर प्रशासन विभागसे संपर्क करके दोपहरमें माईक पर अनांउंसमेंटभी करवा दी सारे दफ्तरमे अब तो खबर फैल गई। उस चायवालेने भी वो बात सुन ली। वो समझ गया कि बात गरम हो गई है जब ठंडी हो जायेगी तो उस मोबाईल मैं बाहर ले जाऊँगा । यही सोचकर दिवारपर लगे हैंगरमें अपना युनिफार्मकी लटकाकर जेबमें छोडकर वो शामको हडबडीमें घर चला जाता है।

उस सारी रात जहाँ दिनेश अपने फोनकी परेशानी में गुजारता है न कुछ खाते बनाता न कुछ पीते बन रहा था। वहाँ वो चायवाला उसी रात उस फोन को बेचकर अपनी माशुका को झुमके दिलाकर रिझानेके सपने देख रहा था।

 दुसरे दिन कॅंन्टीनका मैनेजर जल्दी आता है। कुछ कॅँटीनमें काम करनेवाले लडके जल्दी आकर ड्रेस चेंज करने ड्रेसिंग रुम में जाते हैं और फोनकी घंटीकी आवाज सुनते हैं। युनिफॉर्म की जेबमेंसे रोशनीभी आती हुई नजर आती है। जिसपर उस चायवाले नाम और व्यक्तिगत नंबर होता है। जहांतक हो सके इनके पास इतना महंगा मोबाईल होनेकी संभावना कम ही थी। वो लोग जाकर मैनेजरको बताते हैं।

जब चायवाला रघु आकर अपनी जेबमें मोबाईल सुरक्षित देखकर मनही मन खुश होता है। वो सोचता है आज मैँ इसे बाहर निकालुँगा। वो मोबाईलको अपने लाकरमें छिपाकर लॉक लगाकर युनिफार्म पहनकर कॅन्टीनमें अपने कामपर लग जाता है।

कॅन्टीनका मैनेजर उसे रंगे पकडवाना चाहता था उसने सेक्यरिटी स्टॉफको भी बताया कि आज शाम को ठीक ऑफिस छुटने से पहले ही मेनडोर बंद करनेको कहा, और कल सुबह से लेकर आज शामतक के सारे सी सी टीवी फुटेज का कवरेज रघु को फोकस करके उसकी सीडी तैयार रखे।

शामको एक अर्जंट मिटींग कॅंटीनमें रखवाता है। पर ये बात रघु नहीं जानता । वो रोजकी तरह ड्रस चेंज करके मो बाईल निकालनेकी पिराक में था। तब सभी बडे अफसर और सब जमा होते है। दिनेश भी वहाँ पहुँचता है उसे मौबाईल मिलनेकी उमीद तो कम थी पर बेचारा परेशान बहुत था। तब कँन्टीन मैनेजर सबको संबोधित करते हुए सारा खुलासा करता है। कलवाली सीडी को चला कर यह तो साबित हो गया कि चोर बाहर का नहीं बल्कि वही का है। पर अब वो कौन है ? यह लाईव दिखना बाकी थी। तब लाईव फुटेजभी सेक्युरिटीने कनेक्ट कर दिया। जब रघु अपने कपडे पहनकर बाहर जाने निकला तो शटर बंद था। वो बौखला गया तभी तुरंत सेक्युरिटीवालोने उसे धर दबोचकर कँन्टीनमें लाया। तब उसकी तलाशी ली गई तो उसकी जेबमें मोबाईल मिला। उसे जब्त कर लिया और पूछा गया " ये किसका मोबाईल है ?" सब खामोश थे। जब दिनेशने अपना मोबाईल देखा तो वो बोला "अरे ये तो मेरा मोबाईल है। कल से ढुंढ रहा हूँ। " उसे पूछा गया "इसका नंबर क्या है ?" उसने अपना नंबर बताया तब सबको यकीन हो गया कि वाकईमें वो उसीका फोन था।" उसे उसका मोबाईल लौटाया गया और ऑफिसका शटर खुलनेसे पहले प्रशासन विभागने तुरंतही रघुको नोकरीसे निकाल देनेका ऐलान कर दिया कि उसे कलसे कामपर आने की कोई जरुरत नहीं दिया। तुरंत पुलिस को बुलाकर उसे पुलिस के हवाले किया गया।


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