मंज़िल
मंज़िल
वह कुर्सी पर बैठा कह रहा था, "मिलेगी मंज़िल हमें। मिलेगी मंज़िल हमें।"
उसकी बात सुनकर उसके आस-पास लोगों की भीड़ बढ़ने लगी। लोगों को लगा यही आदमी है जो हमें हमारी मंज़िल तक ले जा सकता है।
लोगों ने उसकी इस बात को इतना फैला दिया कि एक दिन उस आदमी को जनता ने देश की सर्वोच्चय कुर्सी पर बैठा दिया।