मनुष्य के दो रत्न ईमानदारी और सत्यनिष्ठा
मनुष्य के दो रत्न ईमानदारी और सत्यनिष्ठा
एक शहर में एक जोहरी रहता था। उसने अपने कारोबार के लिए एक ऊंट पाल रखा था। उसी शहर में एक किसान भी रहता था। जोहरी बहुत ही चालाक व तेज था तथा अपने व्यापार के लिए उंटो का प्रयोग करता था। एक दिन उसने देखा कि उसका ऊंट कमजोर हो गया है वह उसके काम का नहीं रहा तो उसने उसे बेचने की सोची। उसने ऊंट बेचने की मुन्यादी कराई ।अनेक लोग उसे खरीदने पहुंचे किसान ने सोचा की क्यों न अपने कार्यों के लिए ऊंट खरीद लिया जाय। किसान ने भी ऊंट के रेट लगाए तथा जोहरी से बड़ी जद्दोजहद के बाद किसान ने ऊंट खरीद लिया हालांकि किसान को इसे खरीदने में ज्यादा पैसे देने पड़े लेकिन उसने किसी से पैसे उधार लेकर ऊंट को जैसे तैसे खरीद लिया उसके बाद किसान ऊंट को घर लेकर आया। जोहरी ने ऊंट के उपर कि बिछावन छोड़ दी क्योंकि वह खराब हो चुकी थी उसने सोचा मै इसका क्या करूंगा ,किसान जैसे ही ऊंट को लेकर घर पहुंचा तो उसने अपने नौकर से ऊंट की साफ सफाई करने को कहा। नौकर उसकी साफ सफाई में लग गया तो उसने देखा कि ऊंट की बिछावन मे एक हीरो की थैली है ।वह उसे लेकर किसान के पास पहुंचा। किसान ने देखा तो उसने कहा कि "कोई बात नहीं मै इसे जोहरी को वापस दे आऊंगा" ।नौकर ने कहा "मालिक यह तो हमे ऊंट के साथ मिला है हम क्यों इसे वापस करे इसमें तो हम अपना आगे का जीवन सुधार सकते हैं हम यह शहर छोड़ कर अन्यत्र चले जाएंगे और आगे का अच्छा जीवन जियेंगे ." नौकर की बात सुनकर किसान बोला "नहीं हमने केवल ऊंट खरीदा है यह हीरे हमारे नहीं है हम क्यों इन्हे ले" वह उस थैली को ले जोहरी के पास पहुंचा और उसे वापस करने लगा जोहरी उसे देखता रहा उसने सोचा कि क्या कोई व्यक्ति मिली हुई इतनी संपति को वापस कर सकता है उसे याद आया कि कैसे उसने उस व्यक्ति से ऊंट का मोल भाव किया ओर पहले पैसे लेकर ही ऊंट को ले जाने दिया जोहरी ने किसान का धन्यवाद किया और उसे कुछ रत्न उपहार में देने का प्रयास किया लेकिन किसान ने लेने से मना कर दिया। जोहरी रत्न देने की जिद करने लगा तो किसान ने कहा कि "जोहरी जी मैने इसमें से दो रत्न अपने पास रख लिए है अत आप इन सभी को अपने पास रख लो" जोहरी आश्चर्य से उसे देखने लगा उसे लगा कि उसने कही कीमती रत्न तो नहीं रख लिए उसने "पूछा बताओ कि आपने कौन से रत्न रख लिए" किसान ने पहले तो मना किया फिर जोर देने पर उसने कहा "जोहरी साहब मैने अपनी ईमानदारी वा सत्यनिष्ठा को अपने पास रत्न के रूप में रखा यह दोनों रत्न जब तक मेरे पास है तब तक मुझे किसी अन्य रत्न कि आवश्यकता नहीं है। अत मैने आपके रत्न वापस किए क्योंकि यह मेरे रत्नों जितने कीमती नहीं है। अत आप इन्हे अपने पास रखो।' यह बात सुनकर जोहरी को शर्म आ गई उसने किसान से कहा "असली धनवान तो आप है जो आपके पास अत्यंत बहुमूल्य रत्न है और जिस व्यक्ति के पास जब तक इन रत्नों का खजाना रहेगा तब तक उससे धनवान कोई नहीं होगा." इस कहानी की सीख यही है कि हमे अपने पास ईमानदारी एवम् सत्यनिष्ठा जैसे रत्न रखने चाहिए जिनकी बदौलत हम सब कुछ कर सकते हैं अपना जीवन सफल बना सकते हैं!
