मम्मी से बोलूंगा
मम्मी से बोलूंगा


मैं 10 साल का था पिताजी एक भयानक एक्सिडेंट में गुजर गए। उनके गुजरने के छह मास बाद छोटा भाई हुआ कपिल। मैं भाई को संभालता था। मां ने जैसे तैसे मेहनत मजदूरी करके हम दोनों को पालन-पोषण किया।
कपिल शारीरिक रूप से बीमार और कमजोर रहता था। इसलिए मां उसकी देखभाल कुछ ज्यादा ही करती थी। इसी कारण वह मां का लाडला भी था।
धीरे-धीरे जो वह वह पांच साल का हुआ तो मां के प्रति उसका इतना लगाव था कि एक पल भी दूर न रहता ओर बात-बात में अपनी तोतली भाषा में मुझे भी टोकता, 'भइया आप छाईकिल तला लहे थे मम्मी छे बोलूंना', 'आप बाडाल दए थे मम्मी छे बोलूंना', 'आप डोस्टों ते छात ढूम ले टे न मम्मी छे बोलूंना' मतलब बात बात में हो मुझे मम्मी से बोलने की शिकायत करने की धमकी देता था।
धीरे-धीरे समय बीतता गया वह 10 साल का हुआ उस समय में 20 साल का था मुझे पढ़ लिख कर एक अच्छी जॉब मिल गई, लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंजूर था। मां कैंसर होने की वजह से 6 महीने बाद दुनिया से अलविदा कह गई।
भाई तो बहुत उदास रहने लगा था ना खाना खाता था ना कुछ कहता था। बस हर समय मां को ढूँढता। लेकिन कहते हैं ना कि समय अच्छे-अच्छे जख्मों को भर देता है, वह भी धीरे-धीरे समझ गया कि मां अब कभी नहीं आने वाली। लेकिन अभी उसके मुंह से कभी कभी यह बात अचानक निकल जाती कि भैया आप यह कर रहे हो ना मम्मी से...... कहते कहते अचानक रुक जाता और फिर उसकी आंखों से अश्रुओं की अविरल धारा बहने लगती। फिर मैं उसे गले से लगाकर समझाता कि यह सब कुदरत मंज़ूर था। धीरे-धीरे वह भी समय के साथ समझ गया।
मैंने उसे लाड़ प्यार तो दिया साथ ही साथ उसके अंदर आत्मविश्वास भी भरा। मैंने उसे पोष्टिक खाना खिला-पिलाकर, शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाकर उसे जूडो कराटे की क्लास ज्वाइन कराई। उसे पढ़ाया-लिखाया है और इस काबिल बनाया कि वह जीवन की कठिन परिस्थितियों से लड़ सके।
आप सब को यह जानकर हैरानी होगी कि वह भारत के बॉर्डर पर तैनात है और हमारे देश की रक्षा कर रहा है