होली है
होली है
अमित को गुजरे तीन साल हो चुके हैं। खिड़की में कुर्सी डाले चंदन चाचा और कुंती चाची होली खेलते नौजवानों को ताकते हुए अमित की यादों को संजोते।आखिर जब होली खेलते हुए कुंदन ने उन्हें रोते हुए देखा तो उनके कमरे में जाकर दोनो को रंग लगा दिया। गुस्से में चाचा ने एक एक थप्पड़ जड़ दिया। कुंदन बोला "चाचा वो मेरा भी जिगरी दोस्त था, लेकिन एक बात बताओ, आपके पीपल, नीम से कितनी पत्तियां, टहनीयां टूटती हैं तो क्या ये मुरझा गए! मेरा बाप हमें छोड़ गया तो क्या जिंदगी रुक गई! बात चंदन चाचा और चाची की समझ आ गई और उसके हाथों से रंग लेकर कुंदन को माल दिया और "रंग बरसे" बोलते हुए कमरे से बाहर निकल पड़े
