STORYMIRROR

Alok Phogat

Inspirational

3  

Alok Phogat

Inspirational

रिटायरमेंट

रिटायरमेंट

2 mins
317

बात उन दिनों की है जब मैं एक सरकारी पब्लिकेशन में कार्य करता था। मेरा अपने सभी साथियों के साथ अच्छा व हंसमुख व्यवहार था। बात-बात पर जोक छोड़ना, अत: निश्चित ही सबसे अच्छी पटती थी

आपस में सबका अच्छा व्यवहार था, सिर्फ़ एक को छोड़कर उसका नाम था साहिल । 

सबकी तरक्की से जलना, अलग-थलग रहना, अलग खाना, छोटी-छोटी सी बातों में सबसे उलझना, मुंह बना लेना आदि ये सब उसकी बातों में शामिल था, इसलिए उसे सब 'सनकी' कहकर बुलाते थे, लेकिन मेरा उसके प्रति व्यवहार सहज ही था।

साहिल के बारे में मैंने बहुत जानने की कोशिश की, कि आखिर वो सबसे क्यों खिजता है। कई बार ऐसा लगता कि वह बहुत चोट खाया हुआ है, क्योंकि दूसरों पर गुस्सा वही आदमी निकालता है, जो जिंदगी में कहीं-न-कहीं अंदरूनी रूप से हताश हो। कई बार लगता कि वह मुझे कुछ बताना चाहता है, लेकिन फिर कुछ न बताता।

आखिर वो दिन आया जब मेरा रिटायरमेंट था। सबके मुंह लटके हुए थे। रिटायरमेंट-पार्टी के बाद बड़े उदास मन से सब फूलों के हार पहनाकर मुझे विदाई दे रहे थे। साहिल एक तरफ बैठा था।

मैंने कहा "साहिल मुझे विदा नहीं करोगे"? सुनते ही साहिल मुझसे लिपट कर इतनी तेज रोया, क्योंकि मेरा व्यवहार उसके प्रति हमेशा सहज था। बाकी सभी साथी हैरान हो गए। बोला, "नहीं मैं तुम्हें नहीं जाने दूंगा, तुम्हीं तो हो जो मुझे जानने-समझने की कोशिश करते हो।" 

मैंने उसे एक कुर्सी पर बैठाकर उससे उसके बारे में पूछा तो उसने रोते हुए सारा हाल बताया। 

"सात साल का था जब मां पापा गुजर गए दूसरों के पास जूते ओर ताने सहकर होश सम्हाला। ग्लास फैक्ट्री में काम कर खाने को मयस्सर हुआ। और बड़ा हुआ तो ये नौकरी मिली। शादी की फिर एक बच्ची हुई मैं खुश था कि कुछ दिन पहले एक्सिडेंट में वो भी चल बसे। मेरा कुसूर क्या था जो बचपन से अब तक भगवान मुझे सजा दे रहा है"।

उसका दुख सुनकर सबकी आंखों में आसूं आ गए और सबने बारी-बारी उस गले लगाकर धैर्य दिया।

मैंने उसे समझाया कि तुम्हारे साथ जो भी हुआ वो ईश्वर के हाथ में था व उसकी मर्जी थी, इसमें किसी और का तो कोई हाथ नहीं है, और ईश्वर से हम लड़ नहीं सकते। वहीं सबके बिगड़े काम बनाता भी है।

फिर तय हुआ कि बारी-बारी सब खाना-पीना लेकर परिवार समेत इतवार के दिन साहिल के घर पर पिकनिक मनाने जाया करेंगे। धीरे-धीरे वह सबसे इतना घुल मिल गया कि अपने सब गम भूल गया।

शिक्षा -- किसी को अपने मन की बात बता देने से मन हल्का हो जाता है, वरना वह बात अंदर ही अंदर मनुष्य के लिए घातक भी हो सकती है।


Rate this content
Log in

Similar hindi story from Inspirational