मिलकर ग्यारह

मिलकर ग्यारह

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बाजार में बड़ी चहल-पहल थी, शाम का वक्त था इसलिए भीड़-भाड़ ज्यादा ही थी। तभी एक दबंग व्यक्ति आया और उसने आते ही दुकानदारों को धमकाना शुरू कर दिया, लोगों के सामान और पैसे भी छीन लिए, हर तरफ लोग डरे, सहमे चुपचाप खड़े थे और वह आतंक मचाता रहा पर किसी की हिम्मत नहीं हुई कि कुछ बोले।तभी विवेक भी बाजार पहुंचा वह अपने दादाजी के लिए दवाइयां लाने गया था। वह सिर्फ 14 वर्ष का था लेकिन बहुत ही साहसी था। उसके दादाजी ने हमेशा उसे निडर रहना सिखाया था। उसने बाजार में जब देखा कि उस दबंग आदमी ने एक बूढ़ी माई के पैसे ले लिए और उनके सारे दिए भी तोड़ दिए तो उससे नहीं रहा गया वह बोला "अंकल यह बूढ़ी माई बड़ी मेहनत से दिए बनाकर बेचती हैं और इसी से वह अपना गुजारा करती हैं, आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। वहां उपस्थित सभी लोग विवेक के इस कदम से घबरा गए उन्हें लगा कि अब वह मारा जाएगा।

वह व्यक्ति पहले तो आश्चर्य से भरा, फिर हंसता हुआ विवेक के नजदीक आया और उसका कालर पकड़कर बोला "ओ बच्चे ! तू इतना छोटा सा है पर बातें तो बहुत बड़ी-बड़ी करता है, तुझे डर नहीं लगता ? और वैसे भी तू मेरा क्या बिगाड़ लेगा ? यहां कोई भी तेरी मदद नहीं करेगा।" विवेक ने बड़ी निडरता से उससे खुद को छुड़ाते हुए कहा "यहां इतने लोग हैं तुम अकेले मेरा क्या बिगाड़ लोगे? यह पूरा बाजार एक साथ हमला कर दे तो तुम क्या करोगे ? कभी सोचा है ?"

वह गुंडा जोर से हंसा और बोला "अब तो तेरी खैर नहीं, देखता हूं तू अकेला मेरा क्या करेगा ? और यह सब मुझसे डरते हैं, कोई तेरी मदद नहीं करेगा।"

जैसे ही वह विवेक की तरफ बढ़ा विवेक जोर से बोला मोती।

उसके पुकारते ही विवेक का पालतू कुत्ता मोती, भागता हुआ आया और आकर विवेक के बगल खड़ा हो गया।अब विवेक बोला "देखो मैं अकेला नहीं हूं यह मेरा दोस्त है और हम "एक और एक ग्यारह" के बराबर हैं और हम ही नहीं सारा बाजार तुम्हें आज नहीं छोड़ेगा, कहकर विवेक ने मोती को इशारा किया। मोती ने बिना देर किए उस पर हमला कर दिया और वह गुंडा गिर पड़ा और उसके गिरते ही बाजार में खड़े सभी लोग उस पर टूट पड़े।

सब ने उसे मार मार कर अधमरा कर दिया और पुलिस के हवाले कर दिया। आज सभी को अपनी एकता की ताकत का एहसास हुआ उस दिन के बाद से उस बाजार में कभी कोई गुंडा नहीं घुसा क्योंकि सभी एक दूसरे की मदद करने लगे।

विवेक के साहस के लिए उसे विद्यालय में पुरस्कृत भी किया गया क्योंकि उसी ने उस गुंडे से सबको मुक्ति दिलाई और लोगों को समझाया कि यदि मिलकर रहें तो कोई उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता क्योंकि इससे शक्ति बढ़ जाती है जैसे एक और एक मिलकर ग्यारह हो जाते हैं।


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