मीरा की शादी
मीरा की शादी
राकेश के पिताजी के दोस्त हॉस्पिटल में भर्ती थे। उनकी तबियत काफ़ी खराब थी। डॉक्टरों ने जवाब दे दिया था कि अब उनके पास दो चार दिन ही बचे हैं। लेकिन ऐसा लग रहा था कि उनके प्राण कहीं अटके हुए हैं। राकेश के पिताजी के पूछने पर उन्होंने दरवाज़े के बाहर खड़ी अपनी बेटी मीरा की तरफ़ इशारा करते हुए कहा कि "मुझे इसकी चिंता है। इसकी ना तो माँ है ना कोई भाई - बहन। मेरे जाने के बाद इसका कोई भी नहीं रहेगा। इसका क्या होगा, कौन इसका ख्याल रखेगा। हालांकि ये बी. ए कर चुकी है, फिर भी इसकी चिंता मुझे खाये जा रही है।"
राकेश के पिताजी ये सुन कर सोच में पड़ गए। उन्होंने अपने बेटे राकेश कि शादी मीरा से करवाने की बात रख दी। उन्हें पूरा यकीन था कि राकेश अपने पिता की बात ज़रूर मानेगा।
उधर ये बात सुन कर मीरा के पिताजी बहुत खुश हुए। उन्होंने भी फटाफट से रिश्ते की हाँ कर दी। दोनों ही अपने बच्चों से पूछना भूल गए और बस राकेश और मीरा को अपना फ़ैसला सुना दिया। मीरा को तो इस शादी से कोई दिक्कत नहीं थी परन्तु राकेश ऐसी शादी नहीं करना चाहता था। लेकिन वो अपने माँ पिताजी के अपने ऊपर विश्वास को देखकर ये बात कह नहीं पाया।
मीरा के पिताजी की खराब हालत देखते हुए हॉस्पिटल के मंदिर में ही पंडित को बुलाकर मीरा और राकेश की शादी करा दी गई। शादी होते ही मीरा के पिता चल बसे। मानो बेटी की शादी के लिए ही ज़िंदा थे।
हमारे देश में बेटे श्रवण तो बहुत जल्दी बन जाते हैं लेकिन ये अच्छाई अपनी पत्नी को नहीं दिखाते। ऐसा ही राकेश ने भी किया। उसने शादी की रात को ही मीरा को बोल दिया कि "मैं इस शादी को नहीं मानता। मैं थोड़े समय बाद अपने माता पिता को ये समझाने की कोशिश करूँगा। तब तक इस कमरे की बात बाहर नहीं जानी चाहिए वरना मुझसे बुरा कोई नहीं होगा। और अपना बिस्तर ज़मीन पर लगा लो। ये कह कर वो आराम से सो गया।"
मीरा तो पहले ही अपने पिता के जाने से दुखी थी, और अब तो राकेश के शादी को ना मानने से उसके दुख की कोई सीमा ही नहीं रही थी। लेकिन वो करती भी क्या। दुखों से होश आता तो कुछ सोचती भी। इसे ही अपनी नियति मान कर वो रहने लगी। उसने अपने सास ससुर को भी कुछ नहीं बताया।
मीरा का स्वभाव इतना अच्छा था कि थोड़े दिनों में ही उसके सास ससुर उस अपनी बेटी मानने लगे। उन्हें लगता ही नहीं था कि वो अभी अभी इस घर में आयी है। मीरा भी उनके रूप में फिर से माँ - बाप पाकर खुश हो गई थी।
राकेश के माता पिता को थोड़े ही दिनों में दाल में काला नज़र आने लगा। उन्होंने जब मीरा से पूछा तो पहले तो वो मना करती रही कि ऐसा कुछ नहीं है पर आखिर में उसने रोते हुए सब सच बता दिया। राकेश के माता पिता बहुत दुखी हुए और उन्होंने मीरा का राकेश से तलाक करवा कर दूसरा अच्छा रिश्ता ढूंढने का फैसला किया। उन्होंने राकेश को भी बहुत डांटा कि इस से अच्छा तो शादी के लिए ना ही कर देता। और तलाक के लिए वकील से बात की। वकील ने उन्हें कहा कि 6 महीने से पहले तलाक के लिए आवेदन नहीं कर सकते।
तब राकेश के माता पिता ने मीरा को रहने के लिए घर में दूर कमरा दे दिया ताकि वो आराम से रह सके। पर राकेश को यह बात पसंद नहीं आई। उसको तो कमरे में मीरा कि आदत पड़ चुकी थी। मीरा की अच्छी आदतों ने उसका दिल भी जीत लिया था। लेकिन बस वो मीरा को कह नहीं पा रहा था। कमरा बदलने के बाद से राकेश घर में सबसे चिढ़ा रहता और छोटी छोटी बातों पर मुंह बनाने लगा।
राकेश की माँ उसके मन की बात समझ गई पर वो यह सब अपने बेटे के मुंह से हो कहलवाना चाह रही थी। उन्होंने अपनी एक सहेली को अपने साथ मिला लिया और झूठमूठ के लड़के वाले बुलवा लिए मीरा को देखने के लिए। राकेश को किसी ने भी ये नहीं बताया कि लड़के वाले मीरा को देखने आने वाले हैं। इतवार को जब राकेश कि माताजी की दोस्त अपने लड़के को लेकर मीरा को देखने का नाटक करने आती हैं तब राकेश को पता चला कि वो तो मीरा की दूसरी शादी करवाना चाहते हैं। उसके तो तोते उड़ गए। उसे जब कुछ समझ नहीं आया तो उसने अपने माता पिता को सब बता दिया और उनसे माफ़ी मांगी। लेकिन उन्होंने कहा कि तुमने मीरा के साथ गलत किया है तो माफ़ी भी वही दे सकती है।
राकेश की निगाहें अब बस घर में मीरा को ढूंढ़ती रहती थीं और मीरा उन निग़ाहों से घबरा कर राकेश के सामने आने से भी बचने लगी थी। जब तक प्यार नहीं था सब ठीक था, पर अब प्यार होने के बाद राकेश से ये दूरी बर्दाश्त नहीं हो रही थी लेकिन वो मीरा से माफ़ी भी नहीं मांग पा रहा था।
उन्हीं दिनों मीरा का सिलेक्शन लेटर आ गया जो उसने दूसरे शहर में नौकरी के लिए भरा था। राकेश को जब ये पता चला तो उसके पैरों के नीचे से तो ज़मीन ही खिसक गयी। उसे लगा कि अगर आज कुछ नहीं किया तो उसका प्यार हमेशा के लिए उस से दूर हो जाएगा। वो मीरा के कमरे में गया और उसने ना सिर्फ मीरा से माफ़ी मांगी बल्कि अपने प्यार का इज़हार भी कर दिया। मीरा तो एकदम सकपका गई, उसे कुछ समझ नहीं आया तो वो कमरे से बाहर जाने लगी। तभी राकेश ने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया और मीरा के माथे को चूम लिया। मीरा की आँखों से आँसू निकल पड़े। राकेश ने मीरा से वायदा किया को वो अब कभी इन आँखों में आँसू नहीं आने देगा। और फिर मीरा की जिंदगी में बहार आ गई।
