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rekha karri

Drama Tragedy

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rekha karri

Drama Tragedy

मेरी क्या गलती है

मेरी क्या गलती है

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    भाग-१

शाम के सात बजे थे। अखिला कार से उतरकर आती है और अपने बच्चे धृव को गोद में लेकर अपनी सास की तरफ़ देखती है और कहती है मैं चलती हूँ। सुगंधी बच्चे का सारा सामान हाथ में लेती है साथ ही बेटे बहू के लिए बनाई सब्जी और दाल भी बना कर पैक करके रखी थी, वह सब लेकर अखिला के पीछे -पीछे कार तक जाती है। अखिला बच्चे को लेकर अंदर बैठ जाती है और सुगंधी सारा सामान उसके साथ में रखवा देती है। अखिला सुगंधी को बॉय बोलती है और ड्राइवर से चलने के लिए कहती है। कार के जाने के बाद सुगंधी घर के अंदर आती है और कुर्सी पर निढाल होकर बैठ जाती है। यह रोज़ का रवैया था। यह अभी की बात है!!!!!!

भूतकाल में चलेंगे तो.......

सुगंधी और रामप्रसाद के दो बच्चे हैं लड़की और लड़का। लड़की पवित्रा इसी शहर में है और अपने परिवार में दो बच्चों और पति के साथ खुश है। लड़का शेखर दुबई में काम करता था अब इसी शहर में आकर रहने लगा है। माता-पिता का घर छोटा है और ऑफिस से दूर है कहकर अलग से रहने लगा है। सुगंधी के पति रामप्रसाद ट्यूटोरियल चलाते हैं और अपने काम में व्यस्त रहते हैं। सुगंधी भी स्कूल में काम करती थी पर अब रिटायर होकर घर में ही रहती है। सुगंधी को सालों से वात रोग की बीमारी है। उसके दोनों घुटनों ने जवाब दे दिया था। बहुत ही मुश्किल से चल पाती थी। किसी तरह उसने अपने स्कूल की नौकरी को किया और अब रिटायर होकर आराम से थी। 

रोज घर के पास के ही पार्क में सुबह शाम वाकिंग भी करती थी। वैसे ही बहुत सारी महिलाओं के साथ उसकी दोस्ती हुई। उन लोगों के साथ छोटे मोटे टूर पर भी चली जाती थी। घर पर ही थोड़े से फिजयोथेरपी के एक्सरसाइज़ भी कर लेती थी जिसके कारण उन्हें पैरों की तकलीफ़ से थोड़ा आराम भी मिलने लगा। बेटी पवित्रा के पास भी चली जाती थी। उसके दोनों बच्चों के साथ समय का पता ही नहीं चलता था। 

भाग- २

इसी बीच बेटे की शादी भी हो गई थी पर लड़की जिसका नाम शीला था पति के साथ दुबई नहीं जाना चाहती थी पर उसने इसका सारा दोष सास और पति पर डाल दिया कि पति लेकर जाता नहीं है सास भेजना नहीं चाहती है। सुगंधी और शेखर के लिए यह शादी एक श्राप ही बन गया था। घर में रहकर ही शीला बहुत से करनामे करने लगी। सुगंधी स्कूल चली जाती थी और रामप्रसाद अपने ट्यूटोरियल चले जाते थे। सारा दिन घर में रहकर सास के ख़िलाफ़ अपने भाइयों को भड़काती थी। आस पड़ोस के लोगों को सुगंधी के बारे में ग़लत बातें बताती थी। इन सब विषयों से अनजान सुगंधी बहू की तारीफ़ ही करती थी ताकि लोग उनके बारे में ग़लत न समझें। एक दिन जब घर में कोई भी नहीं था तब शीला ने आसपास के लोगों को बताया कि सास ने मेरे खाने में कुछ मिला दिया है और हर दिन की तरह सब टेबल पर रख कर चली गई है। मुझे नहीं मालूम था और मैंने खा लिया है मुझे चक्कर आ रहे हैं। प्लीज़ मेरे भाइयों को बुला दीजिए। लोगों ने इसकी बात पर विश्वास किया और शीला के भाइयों को बुला लिया। भाइयों ने उसे अपने पहचान के अस्पताल में ही भर्ती किया ताकि मामला उनके ही तरफ़ हो। पुलिस ने सुगंधी से पूछताछ की थी पर किसी तरह लड़की को कुछ नहीं हुआ है इसलिए पुलिस ने भी इन्हें वार्निंग देकर भेज दिया था। अब तो शीला का रवैया और बदल गया। खुले आम सास को मारती थी और कहती थी कि अगर किसी को बताया तो पुलिस बुला दूँगी। इस तरह उसने सुगंधी और रामप्रसाद का जीना हराम कर दिया था। शीला के भाई कभी भी आ जाते थे और घर से साड़ियाँ सोना लेकर भाग जाते थे। एक बार शीला अपने भाइयों के पास गई दो तीन दिन रहकर आऊँगी कहते हुए। इसी मौक़े का फ़ायदा उठाते हुए शेखर ने कहा -आप दोनों घर छोड़ कर कहीं और चले जाइए। घर पर ताला लगा दीजिए। ये लोग आपको कुछ भी कर सकते हैं। अब तक आस-पास के लोगों को भी पता चल गया था कि शीला झूठ बोल रही है क्योंकि कामवाली बाई ने सुगंधी के प्रति हो रहे अत्याचार को अपनी आँखों से देखा था। उसने सबको बता दिया था। रामप्रसाद अपने बहन के घर गए और सुगंधी अपने भाई के घर परंतु शीला और उसके भाइयों को जानना था कि वे कहाँ हैं। एक दिन तो हद हो गई सुगंधी स्कूल में थी और शीला का भाई वहाँ पहुँच गया। सुगंधी डर गई कि स्कूल में सबको पता चल जाएगा इसलिए उसने जल्दी से छुट्टी ली और बाहर आकर आटो ले लिया पर शीला का भाई उसके आटो का पीछा करते हुए जाता है और सिग्नल के पास जब आटो रुकी तो उसका हाथ पकड़ कर आटो से बाहर खींच लेता है और वहीं सामने के पुलिस स्टेशन में ले जाकर बहन पर गृह हिंसा का केस दर्ज कर देता है। पुलिस सुगंधी को कंप्लेन लिखवाने के बाद छोड़ देती है और शीला के भाई से छानबीन का वादा भी करती है। इस शर्मनाक घटना के बाद सुगंधी अपने चाचा के लड़के पास जाती है जो रूलिंग पार्टी के एम . एल . ए हैं। उन्होंने सुगंधी की तरफ़ से वकील तय करके उसका हौसला बढ़ाते हैं और शीला के भाइयों से भी बात करके मामले के तह तक पहुँचते हैं। शेखर को भी दुबई से बुलाकर कोर्ट में मामला सुलझाते हैं। शीला दस लाख रुपयों की माँग करती है। किसी तरह से उसे आठ लाख रुपए देकर दोनों को तलाक़ दिलवाया जाता है। लड़कियों को क़ानूनी हक़ है और उनकी तरफ़दारी की जाती है। उसका फ़ायदा शीला और उसके भाइयों जैसे लोग करते हैं। शेखर कई दिनों तक इस हादसे से उभर कर नहीं आ सका। सुगंधी ने भी बहुत कुछ सहा था पर अपने दुख को भूल कर वह शेखर को हौसला देती थी। 


भाग ३

दो तीन साल बाद एक दिन फ़ोन पर शेखर ने माँ को बताया कि वह अखिला से शादी करना चाहता है वह पंजाब से है और शेखर की कंपनी में ही काम करती है। उसे सब कुछ पता है पर उसे कोई एतराज़ नहीं है। सुगंधी खुश हो गई। चलो !बेटे का घर भी बस जाएगा क्योंकि बच्चे खुश हैं तो माँ भी खुश हो जाती है। अखिला के माता-पिता भी खुश थे। दोनों की शादी बहुत ही सिंपल तरीक़े से हो गई। इस बीच सुगंधी भी रिटायर हो जाती है और रोज़ सुबह शाम वाकिंग करना दोस्तों के साथ वक़्त बिताना करती रहती है। अब धीरे-धीरे उसने अपने ऊपर ध्यान देना शुरू किया था। सीनियर सिटिज़न के ग्रूप में ज्वाइन हो जाती है और उसको समय का पता ही नहीं चलता था। सब सुख के दिन हैं तो फिर क्या ? दुबई में दो साल रहने के बाद अखिला कन्सीव होती है और अपने माँ के घर डिलीवरी के लिए आती है। उनका बेटा होता है धृव और सुगंधी बहुत खुश हो जाती है। शेखर भी दुबई से बच्चे के लिए आता है। अखिला और शेखर ने वापस दुबई न जाने का फ़ैसला कर लिया था। दोनों यहीं नौकरी ढूँढने लगे और उन्हें अच्छी कंपनियों में नौकरी भी मिल भी गई। अखिला को अब बेटे को देखने के लिए किसी की ज़रूरत थी। उसने सुगंधी से कहा आप थोड़ा धृव को देखते रहिए मेरा ऑफिस इसी तरफ है जाते समय इसे छोड़ दूँगी शाम को वापस घर जाते समय ले जाऊँगी। जब कोई नेनी मिल जाएगी तब उसे भी आपकी मदद के लिए रख दूँगी। सुगंधी को पोते के प्यार ने अपनी तरफ़ खींच लिया क्यों नहीं क्यों नहीं मैं हूँ ना कहते हुए उसने हाँ कर दी। नया -नया था सुबह साढ़े आठ बजे बहू बच्चे को सोते हुए ही लाकर छोड़ देती थी। उसके उठने के बाद उसे नहलाने से लेकर खाना खिलाना डायपर बदलना सब सुगंधी को ही करना पड़ता था। बहू के ऑफिस से आने से पहले ही शेखर की पसंद की सब्ज़ी दाल बनाकर रख देती थी ताकि घर जाते ही बहू सिर्फ़ चावल बना सके। इतना करने के बाद भी न ही बहू और न ही बेटा एक शब्द तारीफ़ के कहते थे। सुगंधी सोचती थी कि वे लोग तारीफ़ के पुल बाँध देंगे पर नहीं। अब धृव भी बड़ा हो रहा था उसके पीछे दौड़ कर थक जाती थी। खाने के लिए भी समय नहीं मिलता था। उसने सोचा बहू ने तो कहा था थोडे दिन की ही बात है पर यहाँ तो महीने गुजर गए पर दोनों कुछ नहीं कह रहे थे। सुगंधी सोचती थी कि मेरा ही पोता है। यह सब तो ठीक है पर मदद के लिए एक छोटी सी बच्ची भी होती तो मेरे लिए अच्छा था। मैं इतना नहीं थकती थी रात होते ही दोनों पैरों में बहुत दर्द होता था। देर रात तक नींद भी नहीं आती थी। पवित्रा हमेशा कहती थी माँ एकबार उनसे बात कर लो आपको कुछ हुआ तो कौन करके देगा। शेखर से बैठ कर बात करने का समय ही नहीं मिलता है। शनिवार को सुबह जब बच्चे को छोड़ने अखिला आई तो उसने कहा शाम को आप तैयार रहिए कल रविवार है न हमारे साथ आप दोनों रह सकते हैं क्योंकि हमें अपने दोस्तों के साथ पार्टी में भी जाना है। सुगंधी को बहुत बुरा लगता है। वह फिर सोचती है चलो इसी बहाने बेटे से भी बात कर लेती हूँ कि मदद के लिए किसी को रख लेंगे क्योंकि अब मेरे पैर फिर साथ नहीं दे रहे हैं। शनिवार शाम को रामप्रसाद ने तो साफ़ आने के लिए मना कर दिया था कि एक दिन की बात है मैं किसी तरह मेनेज कर लूँगा। पर मैं नहीं आऊँगा। अब सुगंधी तो मना नहीं कर सकती है। इसलिए शाम को जब बहू आई तो उसके साथ गई। 

              

भाग-४

अखिला सुगंधी और धृव घर पहुँचे। सुगंधी ने देखा शेखर ऑलरेडी तैयार बैठा था। उसने कहा -माँ आप अपने लिए कुछ बना लीजिए हम लोग बाहर जा रहे हैं। सुगंधी हतप्रभ रह गई। उसे अपने बेटे से यह उम्मीद नहीं थी। बहू कपड़े बदलने गई और शेखर धृव के साथ खेल रहा था, धीरे से उसके पास जाकर कहती है कि धृव की देखभाल करने के लिए किसी नेनी को रखने वाले थे न नहीं मिली क्या ? अभी वह कुछ बोल ने ही वाला था कि अखिला आ गई उसने कहा कि अभी मिली नहीं है ! वैसे भी आप रिटायर होकर घर पर ही है न। बेकार में नेनी को पैसे देने के बदले में आप देख लेंगी तो पोते का साथ भी आपको मिलेगा ,पैसे बचेंगे और हम भी अपने काम को बिना किसी चिंता के कर सकेंगे। इसलिए हमने ढूँढना भी छोड़ दिया है। चलो !!!शेखर देरी हो रही है। मम्मी जी अब इस विषय पर हम कभी भी बात नहीं करेंगे। हमारे दोस्तों के सास भी उनके बच्चों को देख लेती हैं। उन्होंने कभी कोई शिकायत नहीं की है। आप ही हैं जो बोल रही हैं। चाहे तो हर महीने आपके बैंक में पैसा जमा कर देंगे। मेरे ख़याल से तब तो आपको कोई दिक़्क़त नहीं होगी। बॉय बेटा कहते हुए वे लोग आगे बढ़ गए। कभी भी अपना मुंह न खोलने वाली बहू भी इतना कडुवा बोल सकती है क्या ? कहकर सुगंधी सोचने लगी और उसके आँखों से आँसू झर-झर बहने लगे। धृव रोने लगा उसके मासूम चेहरे को देख सुगंधी को तरस आ गया और सोचने लगी इस मासूम की क्या गलती है ?बड़ों की गलती की सजा इसे क्यों मिले ? सोचते हुए उसे दूध लाकर देती है। बहुत भूखा था शायद बेचारा जल्दी जल्दी पीने लगा। उसे दूध पीते हुए सुगंधी सोचती है कि इन सब में मेरी क्या गलती है मैं ही क्यों सह रही हूँ यह सब !!!!!!! इसका कोई जवाब नहीं 



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உள்நுழை

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