मेरी दादी के खाने का जवाब नहीं
मेरी दादी के खाने का जवाब नहीं
रिया की दादी बहुत ही खुश मिज़ाज़ हैं! हमेशा सबको खुश रखती हैं! खाना बनाने में तो उन्हें इतनी महारत हासिल है कि पूछिए ही मत! रिया की सहेलियाँ रिया के घर बहाना बना बना कर आती हैं, दरअसल उनको दादी के हाथ का बना खाना, खाना होता है! दादी के बनाये कुछ व्यंजन ऐसे होते हैं जो उन्हें उनको उनकी दादी ने सिखाये थे! रिया अपनी दादी के इस हुनर की कायल थी। रिया की मम्मी भी उनसे नया सीखने की कोशिश करती रहती हैं!
एक दिन पूरा परिवार खाना खा रहा था, खाना इतना स्वादिष्ट था कि रिया के मुँह से निकल गया कि, "दादी आप तो ग्रेट हो, आपके खाने के आगे बड़े बड़े होटल के खानसामा भी बेकार लगते हैं!”
दादी ये सुन खुश तो हुई, फिर बोली, "बेटा हमारे समय में औरतें परिवार की ख़ुशी में ही खुश रहती थी, काश मैं भी आज के समय पैदा हुई होती, तो मुझे भी लोग जानते। मेरे हुनर की हर जगह वाहवाही होती, तो कितना अच्छा होता!" इतना कह कर दादी एकदम रुक सी गयी! फिर सबने खाना खाया और सो गए!
अगली सुबह रिया ने दादी को अपने साथ मंदिर चलने को कहा! दादी हैरान थी, क्योंकि हमेशा मंदिर जाने के नाम पर रिया नाटक करती थी और आज वो उसे अपने साथ ले जाने को तैयार थी! मंदिर के लिए दादी का मना करना तो बनता ही नहीं था! दोनों मंदिर पहुंची!
रिया ने दादी को मंदिर में बिठा कर कहा, "दादी आज से आपके सपने को पूरा करने और आपके हुनर को सब तक पहुंचाने का जिम्मा मेरा, पर आपको आज भगवान के सामने यह वचन लेना होगा कि आप मेरा साथ जरूर दोगे?" दादी की आंखे नम थी।
रिया को वचन देकर दोनों घर आ गए!
रिया ने दादी के लिए नया यूट्यूब चैनल बनाया, जिसका नाम रखा, "मेरी दादी के खाने का जवाब नहीं!" फिर रिया ने दादी के हाथों के लाजवाब व्यंजनों की वीडियो बनाकर चैनल में डालने शुरू कर दिए! यह काम जितना आसान लगता था, उतना दरअसल था ही नहीं! पर पूरे परिवार के सहयोग से सब कुछ आसान लगने लगा!
आज चैनल को 6 महीने हो गए हैं! दादी के चैनल को लोग पसंद तो कर रहे हैं, पर जितना रिया को लगता था कि दादी को प्रसिद्धी मिलेगी, वैसा कुछ खास नहीं हुआ! रिया दादी को हतोत्साहित नहीं करना चाहती थी, दोनों दादी-पोती अपनी मेहनत करते रहे! और एक साल 2 महीने बाद दादी के चैनल की पहली कमाई आनी शुरू हो गयी और अब दादी का चैनल घर घर की पसंद बन गया!
अच्छी कमाई के साथ दादी को अब बड़ी बड़ी प्रतियोगितायों में शामिल होने के लिए बुलाया जाने लगा! दादी के दिल के एक छोटे से कोने में दबी इच्छा को रिया ने पंख देकर यह साबित कर दिया था कि सबके सहयोग से और सब्र से काम करके अपनों के सपने पूरे हो सकते हैं!
आज "मेरी दादी के खाने का जवाब नहीं" चैनल को बहुत से पुरस्कार मिल चुके हैं! दादी रिया की शुक्रगुजार है कि उसने उसके लिए ये रास्ता ढूंढा और रिया दादी के हुनर के आगे नतमस्तक है! सच में अपनों के साथ और विश्वास से कोई भी काम असंभव नहीं है! सिर्फ एक पहल करनी पड़ती है!
