मेरी बेटी बीमार है
मेरी बेटी बीमार है
"कल्पना ज़रा अदरक वाली चाय तो बना दो और उसमें तुलसी हल्दी और नीम भी डाल देना" भरत जी ने अपनी बीवी से कहा।
"क्यों आज आपकी लाडली बहू ने आपको चाय नहीं बनाकर दी जो मुझसे बोल रहे हो?"
"अरे उसकी तबीयत कुछ ठीक नहीं इसलिए मैंने उसे अलग कमरे में रहने को कहा है चाय बन जाए तो बताना उसके भी रूम के बाहर रख दूँगा।"
इतने में कल्पना जी के दामाद का फ़ोन आया "मम्मी जी जल्दी घर आ जाइये शिल्पा कोरोना पॉजिटिव है वो कमरे में बंद है और मैं ध्रुव और मिली को अकेले संभालने में असमर्थ हूँ। अपनी माँ को बुला लेता लेकिन वो पहले से ही बीमार चल रहीं हैं। मैं बिल्कुल अकेला पड़ गया हूँ आप आ जाइये।"
राहुल की घबराई आवाज़ ने कल्पना जी के भीतर भूचाल मचा दिया।
भरत जी के पूछने पर वो इतना ही कह पाईं "मेरी बेटी बीमार है मैं उसके पास जा रही हूँ उसके छोटे छोटे बच्चे बिलख रहे हैं मां के बिना" और वो रो पड़ीं।
"तुम्हारी बहू भी बीमार है कल्पना उसे कौन देखेगा?"
"अरे कोई बीमार नहीं है काम ना करने के बहाने हैं बस।"
"मुझे तुम्हारी सोच पर तरस आ रहा है कल्पना मतलब अपनी बेटी की तबीयत खराब और बहू की तबीयत खराब मतलब ड्रामा वाह क्या बात है"।
इतने में कल्पना जी की बेटी शिल्पा का फ़ोन आया "बेटी कैसी है तू तबीयत बहुत ज़्यादा तो ख़राब नहीं है?"
"मैं ठीक तो नहीं हूँ माँ लेकिन भाभी ने जो नर्स भेजी है वो कमाल की है उसने मेरे साथ साथ बच्चों को भी संभाल लिया है राहुल को बच्चों के साथ दूसरे रूम में कर दिया है। आप यहाँ की चिंता मत करना बस भाभी का ध्यान रखना जैसे वो रखतीं हैं सबका।"
आत्मग्लानि के आँसू रोके कल्पना जी अपनी बहू अपर्णा के रूम के बाहर चाय व नाश्ता रख आईं।