Renu Poddar

Drama

5.0  

Renu Poddar

Drama

मेरा ससुराल भी अब मेरा मायका

मेरा ससुराल भी अब मेरा मायका

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26 साल की आभा के आंसू थमने का नाम ही नहीं ले रहे थे और थमते भी कैसे इतनी कम उम्र में पति को जो खो दिया था। इस उम्र में तो आजकल शादी भी नहीं होती। उसकी शादी को सात साल हो गए थे। 

बेचारी का एक बेटा हुआ भी पर वो भी तीन साल का हो कर मर गया और उसके जाने के बाद उसके पति लक्ष्य को शराब की ऐसी लत पड़ी की वो दिन पर दिन उसमें डूबता ही चला गया। सबने लक्ष्य को बहुत समझाने की कोशिश की पर उसके ऊपर किसी की बात का कोई असर नहीं हुआ। आभा ने सोचा क्या पता बच्चा होने से सब ठीक हो जाये पर अब वो प्रेग्नेंट ही नहीं हो पा रही थी। डॉक्टर ने उसके ज़रूरी टेस्ट भी कर लिए, उसकी सारी रिपोर्टस नॉर्मल देख कर डॉक्टर ने उसे सलाह दी की अपने पति के भी कुछ टेस्ट करवा लो। आभा ने लक्ष्य को जब टेस्ट करवाने को कहा तो उसने आभा को यह कह कर डांट दिया कि "मुझ में कुछ कमी होती तो हमारा बेटा कैसे होता। खुद तो बिना बात के डॉक्टरों के चक्कर काटती रहती है।" आभा ने कहा, "सबके बच्चों को खेलते हुए देख, मुझे कितना सूना-सूना लगता है। तुम कैसे समझोगे, तुम्हें अपने पीने से फुर्सत मिले तभी तो कुछ सोचोगे।" लक्ष्य को आभा की बात पर इतना गुस्सा आया, वो उसे धक्का देता हुआ और गालियाँ देता हुआ कमरे से बाहर चला गया। 

आभा अकेले बैठी-बैठी रोती रही, ऐसे ही कुछ समय निकल गया। आभा ने एक बार लक्ष्य को जबरदस्ती मना कर, अपने रिश्तेदार की बेटी गोद ले ली। आभा सारा दिन उसी के कामों में लगी रहती। बच्चा आने से लक्ष्य बहुत खुश था उसने अब पीना भी कम कर दिया था। उसने सोच भी लिया था, अब वो धीरे-धीरे अपनी पीने की लत छोड़ देगा। एकदम से तो पीना छोड़ना मुश्किल था पर जिन्होंने अपनी बेटी गोद दी थी वो यह समझने को तैयार नहीं हुए और यह कर अपनी बेटी को वापिस ले गए की तुम्हारे साथ तो हमारी बेटी का भविष्य सुरक्षित नहीं है। हमने तो यही कह कर तुम्हें अपनी बेटी दी थी की तुम्हें शराब छोड़नी पड़ेगी। लक्ष्य और आभा ने उन्हें बहुत समझाया कि कुछ दिन में वो पूरी तरह शराब छोड़ देगा पर वो किसी तरह नहीं माने और अपनी बेटी को ले गए। लक्ष्य फिर से टूट गया और अब तो वो दिन रात-पीने लगा। कुछ समय बाद उसका लीवर ख़राब हो गया और कुछ दिन के इलाज़ के बाद वो लक्ष्य के जाने के कुछ समय बाद आभा के माता-पिता उसे अपने साथ लेने आ गए पर आभा के ससुराल वाले उसकी दूसरी शादी करना चाहते थे। उन्हें आभा से पूरी हमदर्दी थी। उन्होंने उसके माता-पिता को समझाया की अब यह सिर्फ आपकी ही बेटी नहीं है, हमारी भी बेटी है। आभा के माता- पिता ने उनसे कहा "अगर आप इसे अपनी बेटी समझते थे, तो इतने साल यह इतना कुछ सहन करती रही, तब क्यों नहीं आपने कुछ किया और इसने भी हमें पराया समझ लिया, इसने हमें कभी कुछ बताया ही नहीं।" आभा ने अपने माता- पिता से कहा "आप दोनों हार्ट पेशेंट हो और भाई-भाभी पहले ही आप लोगों से अलग रहते हैं, ऐसे में मैं आपको और दुखी होते हुए नहीं देखना चाहती थी इसलिए मैंने आपको कभी कुछ नहीं बताया। 

आभा की सास ने कहा "हम यह सोचते रहे की लक्ष्य सुधर जायेगा। अपना बेटा खोने का हमें भी उतना ही गम है, जितना आपको अपना दामाद खोने का है। अब जो हो चुका उसे तो हम नहीं बदल सकते पर आगे हम अपनी गलती सुधारना चाहते हैं। हम आभा को पहले उसके पैरों पर खड़ा करेंगे, फिर इसकी शादी करेंगे।" यह सब सुन कर आभा के माता- पिता के पास कुछ कहने को नहीं था। उन्होंने बस इतना कहा "हम आपके साथ हैं, आखिर हमारी बेटी के भविष्य का सवाल है।" आभा के ससुराल वालों ने उसकी अपने घर के पास ही नौकरी लगवा दी। 

आभा मेहनती तो थी ही पूरी लगन से घर का और बाहर का काम करती थी। एक दिन उसकी जेठानी का भाई अपने साले का रिश्ता आभा के लिए लेकर आया क्यूंकि उसके साले की पत्नी एक्सीडेंट में चल बसी थी। उसके एक पांच साल का बेटा था। आभा के ससुराल वालों ने आभा को सब बताया और उससे कहा की "तुम दोनों एक बार मिल लो, अगर तुम्हें ठीक लगेगा तभी हम बात आगे बढ़ायेंगे। सबने आभा को बहुत समझाया की अभी तो उसकी पूरी ज़िन्दगी पड़ी है, ऐसे कैसे वो अकेले ज़िन्दगी बितायेगी। आभा सबके कहने से उस लड़के जिसका नाम रोहित था मिलने को तैयार हो गयी। रोहित को भी अपने बच्चे के लिए माँ चाहिए थी। रोहित जब आभा से मिलने आया, तो उसका बेटा अक्षत उसके पीछे से खड़ा हो कर छुप-छुप कर आभा को देख रहा था और अपने पापा से पूछ रहा था "पापा आप तो कह रहे थे, मम्मी को लेने जा रहे हैं। कहाँ है मम्मी।" आभा को उस बच्चे पर बहुत तरस आया और उसके मन में बच्चे के लिए बहुत प्यार उमड़ गया, इसलिए वो भी शादी को तैयार हआभा की विदाई के समय उसके माता-पिता के साथ-साथ लक्ष्य के घर वाले भी ऐसे रोए जैसे सच में ही बेटी को विदा कर रहे हों। उन्होंने आभा का प्रॉपर्टी में जितना भी हिस्सा था सब बैंक में जमा करवा दिया और अपने पास से पैसा लगा कर उसकी बहुत बढ़िया शादी की। आभा सबसे रोती-रोती कह रही थी "मेरे दो मायके हैं"| आभा, शादी के बाद रोहित के साथ बहुत खुश थी। अब तक की ज़िन्दगी में तो उसने दुख ही देखे थे पर अब रोहित पूरी कोशिश करता था कि उसे कोई दुख छू कर भी ना निकले।


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