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Pratibha Jain

Crime

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Pratibha Jain

Crime

मेरा जलना तेरा मुस्कुराना

मेरा जलना तेरा मुस्कुराना

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बुधवार का दिन था। मनीष रोज की तरह दुकान पर गया। भीड़ काफ़ी हो गई दुकान पर तभी एक दादाजी आये और सब लोगों से प्यार से बात करने लगे भीड़ काफ़ी थी तो थोड़ा देर बैठ सब लोगों से बोलने लगा तुम ले लो एक सज्जन पास में खड़े बहुत देर से यह सब देख रहे थे तो दादा जी बोलने लगे आप समान ले लो? दादाजी बोलते ठीक है बेटा हम ले लेते है। दादा जी दुकान दार(मनीष) से एक 50किलो आटा की बोरी, 25किलो एक चावल की बोरी एक टिन तेल का कुछ छोटे मोटे ओर समान लेकर वही बैठ जाते है और फिर मनीष से बोलते है बेटा मेरा बेटा श्याम पता नहीं कहाँ चला गया तुम ज़रा अपना मोबाइल दोगे क्या, मनीष अपना और काम में बिजी था इसलिए बिना कुछ बोले मोबाइल दे देता है? दादाजी वही बैठ किसी को कॉल करते है। तभी श्याम आ जाता है और मनीष से बोलता है कितने पैसे हुये मनीष बिल देता है और बोलता है तीन हज़ार तभी श्याम बोलता है ठीक है देते है ये समान रिक्शा में रखा दूँ, जब तक मनीष सारे लोगों को समान दे देता है। जैसे ही श्याम पैसे देता है और मनीष पैसे रखने को डीरोज़ खुलता है तभी दादाजी बोलते है बेटा काजू और देना जैसे ही मनीष काजू लेने अंदर जाता तभी श्याम और दादाजी पूरे पैसे लेकर भाग जाता है। मनीष काजू के पैकेट रख इधर उधर देखता है फिर पास खड़े लोगों से पूछता है यहाँ दादाजी ओर एक लड़का थे कहा गये वो सब लोग बोलते वो तो चले गये। जैसे ही मनीष की नज़र डिरोज पर पड़ी सारे पैसे गायब और मोबाइल भी। मनीष रोने लगता है। किसी फ्रेंड के मोबाइल से अपने भाई को कॉल करता है, रोते हुये बोलता है। भाई हम लूट गये। थोड़ी देर बाद उसका भाई आता है तो मनीष गले लग कर रोने लगता है भाई भगवान क्या हमें इतना जला रहा है। कैसे पापा का इलाज करायेंगे भाई 2 दिन के पैसे चले गये और सबसे बड़ा मोबाइल जिसमें आधी जिंदगी जमा थी। पास खड़े बहुत लोग हँस रहे थे और साथ में बोल रहे बहुत घूमता था यहाँ से सामान लेता वहाँ से लेता और हमसे सस्ता बेचता था अच्छा हुया। मनीष का भाई बोलने लगा आज मेरा जलना तेरा मुस्कुराना। भाई समय घूमता है। याद रखना।



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