मेरा डर
मेरा डर
मैं बहुत प्यार करता हूं गरिमा जोशी से। पसंद करता हूं उसे। ऐसा नहीं है कि वह मुझे प्यार नहीं करती, वह भी मुझे बेहद प्यार करती है। मैं डरता हूं अपनी मम्मी से यह बताने से कि मैं किसी के प्यार में हूं।
अभी मैं स्कूल जाने वाला एक साधारण सा विद्यार्थी हूं। अभी भी मुझे न जाने कितने दायरो और कानून में रहने पड़ते है। कभी मैंने सपने में भी नहीं सोचा कि वह दिन कैसा होगा जब मैं अपनी मम्मी को गरिमा के बारे में बताऊंगा।
उसने तो अपनी मम्मी को बहुत कुछ बता रखा है मेरे बारे में। यहां तक कि उसकी मम्मी भी मुझे पसंद करती है। उनको लगता है कि मैं एक अच्छा छात्र हूं, अच्छा सा लड़का हूं। वह मुझे अच्छा इसलिए कहती है क्योंकि मेरे एकेडमिक्स, मेरे पढ़ाई बाकी बच्चों से काफी अच्छी है।
लेकिन मैं अपनी मम्मी को क्या कहूं, मैं डरता हूं अपनी मम्मी से। महीनों गुजर चुके है, अपने प्यार में हूं लेकिन अभी तक मैंने अपनी मम्मी से कुछ भी नहीं बताया। यहां तक कि चुपके-चोरी मैंने गरिमा को किस कर चुका है।
पर मैं अपनी मम्मी को कैसे बताऊं, कैसे समझाऊं मैं अपनी मम्मा को, कि उनका बेटा किसी के प्यार के आंचल में छुपकर घुल चुका है। कैसे बताऊं उन्हें कि किसी के प्यार की नदियों में वह बह चुका है।
मैंने एक बार सपना देखा था- कि एक बार मेरी मम्मी मुझे पकड़ ली थी, उससे फोन पर बात करते हुए। तो उन्होंने मुझे थप्पड़ लगाया था और तो और उसके 2 महीने बाद तक मुझे फोन छूने को भी नहीं दिया गया था।
सच कहता हूं मेरी मम्मी भी मुझसे बहुत प्यार करती है पर आज तक मेरे अंदर कभी हिम्मत नहीं आई कि मैं उन्हें सब कुछ सच बता दूं गरिमा के बारे में।